20 Karwa Chauth Shayari Hindi करवा चौथ शायरी || Sms Status Quotes wishes lines :

karwa chauth shayari hindi – हिंदी करवा चौथ शायरी 20 Karwa Chauth Shayari Hindi करवा चौथ शायरी || Sms Status Quotes wishes lines

20 Karwa Chauth Shayari Hindi करवा चौथ शायरी || Sms Status Quotes wishes lines

  • आभा रहे पूर्णिमा जैसी, सिंदूरी उसकी मांग दिखे
    कामना है हर सुहागन को जीवनभर यह चांद दिखे
  • फिर वही मंगलसूत्र की जगमगाहट
    फिर वही मंगल कामना की पुकार,
    यह चौठ का चांद है
    सजा लो फिर वही सोलह श्रृंगार
  • फिर रिश्तों के धागे जोड़ने तुम आ जाना,
    फिर राह तकती रहूंगी, फिर व्रत तोड़ने तुम आ जाना
  • चलो फिर अपने रिश्ते में चंद्रमा की आभा सजाते हैं
    शुभ बेला है आज, चलो फिर वचन दोहराते हैं
  • कहीं दूर वो चन्द्रमा को निहारती हुई,
    और चंद्रमा उसको श्रृंगारता हुआ,
    रात्रि की मधुर मृदंग है
    उसका जीवन साथी उसके संग है
  • नीर सा कोमल गठबन्धन है
    जैसे पर्वत और नदी का संगम है
    मेरे तिमिर में अपना प्रकाश भरो,
    ऐ चन्द्रमा, जीवन में उसका साथ भरो
  • चन्द्रमा आ चुका है अम्बर में,

    प्रतीक्षा की परीक्षा को आराम दो

    इस विरह यातना को विराम दो

  • यथार्थ और स्वप्न का समागम है
    कल्पना से सुंदर, जीवन से अद्भुत,
    यह मिथ्या नहीं, चौठ की सुहागन है.
  • नूतन बेला यह, चन्द्र की नवप्रभा है
    साज सृंगार करके किसीने दुल्हन सा रूप रचा है
  • दमक रही है आभा उसकी, चाँद तुम निहार लो
    पिया बिन अधूरा है मगर उसका सिंगार तुम जान लो
  • आज चन्द्रमा और आकाश जैसा यह शीतल संगम है
    मेल नहीं यह कुछ पल का, जन्मों का बंधन है
  • सूर्य की लालिमा नहीं, यह पूनम का तेज है,
    रात्रि भी सुहागन सी सजी है, व्रत यह विशेष है,
  • फिर वह व्रत और विधान हो, चलनी में फिर यह चन्द्र रहे
    हर जनम मिले यही साथ, हर चौठ पिया के संग रहे.
  • शुभ घड़ी आयी, मन पुलकित है

    पिया संग देख मुझे चन्द्रमा भी हर्षित है

  • देखो सखी, शुभ संजोग बना है
    चलनी में चांद है, सिंदूरी ये मांग है
  • सजी है रात भी सुहागन जैसी
    फिर प्रेम की पुकार है
    आकाश को चाँद का ,
    और किसी को पिया का इंतेज़ार है
  • आकाश तारों में लिपटा है

    पर चांद ओझल है अब भी

    प्यास प्रचण्ड है

    पर मन शीतल है अब भी

  • आओ सखी चन्दा पुकारे अब
    पिया की आरती उतारे अब
    फिर सलामती के दीप जलाए अब
    चलो फिर वचन दोहराए अब
  • मिलन का फूल अभी खिला नहीं
    सजकर वो कबसे खड़ी है चौखट पर
    चांद तो आया मगर पिया नहीं।
  • मृदंग सा मन अशांत है
    विरह का यह वृतांत है
    प्रतीक्षा है चरम पर
    अश्रु हैं नयन पर

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