आजादी पर कविता || Azadi Par Kavita Poem on Azadi in hindi
आजादी पर कविता || Azadi Par Kavita Poem on Azadi in hindi
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#must_read_once… क्या मिली आजादी ?
- चुप चाप से बैठे मन को ,घेर लिया कुछ सवालों ने ….
क्या मिली आजादी भारती माँ को बीते सत्तर सालों में…..
पहले फिरंगी गोरे थे अब कुछ गोरे कुछ काले हैं. ,
ईमानदारों का जीना मुश्किल है, बईमानों के बोल बाले हैं,
आज भी ओरंगजेब बसा है भारतीयों के ख्यालों में ….
क्या मिली आजादी…..
उस पेड़ को ही बिसराते है , बैठे जिस पेड़ की डाली पे ,
वो ईमान बहा दिया करते हैं सियासत की गंदी नाली में…
देशद्रोह की बू आती है , उनकी गन्दी चालों से….
क्या मिली आजादी ……
इस पवित्र भूमि पर अब वो ढोंग रचाया करते हैं…
ढेरों में कुछ बाबा अपनी हवस मिटाया करते हैं …
अब प्रभु भी मिलते नही है, मस्जिद और शिवालयों में ..
क्या मिली आजादी….
स्तर गिर रहा राजनीति का , खुद संसद भी शर्माती है ,
गीता और कुरान भी तो अब वोट बैंक में आती आती है,
वो सहादत पे भी कर लेते हैं सियासत , मुआवजों के हवालों से …
क्या मिली आजादी….
जो सीमा पर वतन की खातिर अपने प्राण गंवाया करते हैं ,
बस झंडा ऊंचा रहे हमारा,ये अरमान सजाया करते हैं,
सिंकती हैं रोटियां उनकी ही चिंताओं के उजालों पे …
क्या मिली आजादी …..
ना ही तो बन्दूक उठानी , ना ही तलवार चलानी है ,
#मोहित इस जनता को बस एक ही बात समझानी है …
कि बस हिंदुस्तान बसाना है हर हिंदुस्तानी के ख्यालों में
फिर मिलेगी आजादी भारती माँ को आगामी कुछ सालों में….
– Mohit Mittal
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