बेटी के जन्म पर कविता || Beti Ke Janam Par Kavita
Beti Ke Janam Par Kavita
- बेटी के जन्म पर कविता || daughters birth poem
- अनमोल बेटियाँ
ओस की एक बूंद होती है बेटियां
स्पर्श खुदरा हो, तो रोती हैं बेटियां
पापा की लाडली, मां का वात्सल्य होती है बेटियां
अपनों की शुभकामनाएं, परिवार की पावन दुआएं होती है बेटियाँ
जिनमें खुद भगवान बसता, ऐसी वंदनाएँ होती है बेटियां
त्याग, तप, गुण धर्म, साहस की गौरव गाथाएं होती है बेटियां
दुर्दिनों के दौर में, परिवार की संवेदनाएं होती हैं बेटियां
दुख दर्द में मुस्कुराकर पीर हरती, ऐसी जादू की झड़ी होती है बेटियां
बेटों से कम नहीं, कुल की लाज होती हैं बेटियां
बेटा अगर हीरा, तो मोती होती है बेटियां
खुद कांटों की राह पर चलकर औरों के लिए फूल बनती है बेटियां
रोशन करता है बेटा एक कुल को, तो दो-दो कुल की लाज होती हैं बेटियां
बहुत खुशनुमा, चंचल, नादान सी होती है बेटियां
कभी हस्ती हैं, कभी रोती हैं बेटियां, बड़ी मासूम होती है बेटियां
बाबुल की लाडली, मां की दुलारी होती है बेटियां
घर महक उठता है जब मुस्कुराती है बेटियां
घर लगता है सूना-सूना जब दूसरे घर जाती है बेटियां
सारे जहां को आज महकाती हैं बेटियां
दो-दो कुल की रस्म-रिवाज निभाती है बेटियां
सुख की संभावना, ईश्वर की आराधना होती है बेटियाँ
हर घर की खुशी, मानव का अस्तित्व होती है बेटियां
काजल, मेहंदी, बिंदिया और सिंदूर यह सारे श्रृंगार होती है बेटियां
सृष्टि की रचियता, वंश का आधार होती है बेटियां
रहमत से भरपूर खुदा की नेमत है बेटियां
यह हम नहीं कहते, यह तो कहता है भगवान
जब वो बहुत खुश होता है तभी तो जन्म लेती है बेटियाँ
रामचंद्र स्वामी ( अध्यापक )
रा.उ.मा.वि. नत्थूसर्गेट बीकानेर
.