Beti Ki Vidai Poem in Hindi – बेटी की विदाई कविता
बेटी की विदाई कविता – Beti Ki Vidai Poem in Hindi
- बेटी की विदाई
दस्तूर है क्या इस दुनिया का
वर्षों से जो अपने थे मेरे
एक दिन में पराये हो गये
अपना कहते थे हम जिनको
क्यों हमसे जुदा वो हो गए
जिनके घर में बचपन बीता
जिनके बल पर चलना सिखा
इन नन्हें हाथों को जिसने
पकड़ कर हम को राह दिखाया
जिसके बल पर देखी दुनिया
दुनिया देखने के काबिल बनाया
आज उन्ही ने क्यों हमको
गैरों के हाथों में सौंप दिया
रहेंगे कैसे नए जीवन में
भूलेंगे कैसे उन यादों को
सीखी जिनसे जीने की कला
जो राह दिखाए जीवन की
क्यों जुदा हो गए वे मुझसे
क्या भूल गए वह अब मुझको
या खता हुई है कुछ मुझसे
कहती हूं अब यदि मैं उनसे
तो समझाते हैं वो मुझको
दस्तूर यही है दुनिया का
दस्तूर यही है दुनिया का
– कंचन पाण्डेय ( उत्तर प्रदेश )
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अम्मा की दुलारी
अम्मा की दुलारी
बाबा की प्यारी थी
भाई की संगी साथी
भाभी की सहेली थी
सखियों की सहेली
दादी की सहेली थी
जब विदा हुई घर से
बिल्कुल अकेली थी
समझा रहे थे बाबा
दिल में उदासी थी
माँ रोक न सकी
क्योंकि वह माँ थी
भाई की आँखें भीगी
भाभी की सूनी थीं
दादी दे रहीं आशीष
आवाज में उदासी थी
सखियाँ थीं बेहाल
टीम आज बिखरी सी थी
जब आई घड़ी विदाई की
सबकी हालात नाजुक थी
काहे बनाई में बेटी
काहे लिखी भाग्य में जुदाई
बेटीके आँखों में यह ही
शिकायत थी ।
राशि सिंह
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
(अप्रकाशित एवं मौलिक )
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