भक्ति काल के कवि और उनकी रचना – Bhakti Kaal Ke Kavi Aur Unki Rachna in Hindi :

bhakti kaal ke kavi aur unki rachna in hindi – भक्ति काल के कवि और उनकी रचना इन हिंदी
Bhakti Kaal Ke Kavi Aur Unki Rachna Hindi

भक्ति काल के कवि और उनकी रचना – Bhakti Kaal Ke Kavi Aur Unki Rachna in Hindi

  • ______भक्ति काल के प्रसिद्ध कवि______
  • भक्ति काल के कवि मुख्यतः दो धाराओं में विभाजित हैं :–

  • निर्गुण काव्य धारा
  • सगुण काव्य धारा
  • ■निर्गुण काव्य धारा ::—-
  • निर्गुण काव्य धारा के कवि ईश्वर ने निर्गुण अर्थात निराकार रूप की आराधना करते थे। इनमें भी दो धाराएँ थीं
  • संत काव्य धारा
  • सूफी काव्य धारा
  • संत काव्य धारा के प्रमुख कवि ::—

  • कबीरदास –
  • कबीर सन्त परम्परा के प्रमुख और प्रतिनिधि कवि है | इनके जन्म के विषय मे प्रामाणित साक्ष्य उपलब्ध नही है | जनश्रुतियों के अनुसार कबीर का जन्म 1398 ई0 मे और मृत्यु 1518 ई0 मे हुई | कबीर नीरु और नीमा नामक जुलाहा दम्पति को तालाब की किनारे मिले थे। इन्होंने बच्चे का लालन – पालन किया | यही बच्चा बाद मे बडा होकर कबीर के नाम से जाना गया ।कबीर के गुरु रामानन्द थे |
  • कबीर अनपढ थे | उनके शिष्यो ने कबीर की वाणीको सजोकर रखा तथा बाद मे पुस्तक का आकार दिया |
    इनकी रचना ‘बीजक’ नाम से जानी जाती है | कबीर ने जीवन भर धार्मिक तथा सामाजिक अंधविश्वासो का
    तीखा विरोध किया तथा समाजिक बुराइयों का भी विरोध किया |
  • रामानन्द –
  • रामानन्द जी के आविर्भाव काल , निधन काल , जीवन चरित आदि के सम्बंध मे कोई प्रामाणिक सामग्री उपलब्ध नहीं है | ये लगभग 15 वीं शती के उत्तार्द्ध मे हुए थे | इनकी शिक्षा – दीक्षा काशी मे हुआ| ये रामानुजाचार्य परम्परा के शिष्य थे।
  • नामदेव –
  • ये महाराष्ट्र के भक्त के रुप मे प्रसिद्ध है | सतारा जिले के नरसी बैनी गांव मे सन् 1267 ई0 मे इनका जन्म हुआ था | इनके गुरु का नाम सन्त विसोवा खेवर था | नामदेव मराठी और हिंदी दोनो भाषाओ मे भजन गाते थे | उन्होने हिन्दू और मुस्लमान की मिथ्या रूढियों का विरोध किया।
  • सूफी काव्य धारा के प्रमुख कवि :–

  • मलिक मुहम्मद जायसी-
  • इनका जन्म 1492 ई0 के लगभग हुआ था | रायबरेली जिले के जायस नामक स्थान पर जन्म लेने वाले मलिक मुहम्मद जायसी के बचपन का नाम मलिक शेख मुंसफी था | जायस के निवासी होने कारण वे जायसी कहलाते थे।मलिक मुहम्मद जायसी सूफी काव्य धारा (प्रेममार्गी शाखा) के प्रतिनिधि कवि है | इन्होंने पद्मावत, अखरावट, आखिरी कलाम, चित्ररेखा आदि रचनाएं लिखीं।
  • मुल्ला दाउद –
  • सूफी कवि मुल्ला दाउद की रचना ‘चन्दायन’ है | इस ग्रंथ की रचना 1379 ई0 मे हुई थी | यह प्रेमाख्यानक परम्परा का दूसरा काव्य है |
  • कुतुबन –
  • कुतुबन की रचना ‘मृगावती’ है | जिसका रचना काल 1503 ई0 है | ये चिश्ती वंश के शेख बुरहान के शिष्य थे , तथा जौनपुर के बादशाह हुसैनशाह के आश्रित थे | यह ग्रन्थ अवधी भाषा मे लिखा गया है |
  • ■ सगुण काव्य धारा ::—-

  • सगुण काव्य धारा के कवि ईश्वर के सगुण अर्थात साकार रूप की आराधना करते थे। इनमें भी मुख्यतः दो शाखाएँ थीं :-
  • राम भक्ति काव्य धारा
  • कृष्ण भक्ति काव्य धारा
  • राम काव्य धारा के प्रमुख कवि :–
  • तुलसीदास :
  • तुलसीदास को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। इन्होंने रामकथा को अवधी रूप दे कर घर घर मे प्रसारित कर दिया।इनका जन्म काल विवादित रहा है। इनके कुल 13 ग्रंथ मिलते हैं :-
  • दोहावली 2. कवितावली 3. गीतावली 4.कृष्ण गीतावली 5. विनय पत्रिका 6. राम लला नहछू 7.वैराग्य-संदीपनी 8.बरवै रामायण 9. पार्वती मंगल 10. जानकी मंगल 11.हनुमान बाहुक 12. रामाज्ञा प्रश्न 13. रामचरितमानस।
  • नाभादास :
  • अग्रदास जी के शिष्य, बड़े भक्त और साधुसेवी थे। संवत् 1657 के लगभग वर्तमान थे और गोस्वामी तुलसीदास जी की मृत्यु के बहुत पीछे तक जीवित रहे। इनकी 3 रचनाए उपलब्ध हैं:–
  • रामाष्टयाम 2. भक्तमाल 3. रामचरित संग्रह
  • स्वामी अग्रदास
  • अग्रदास जी कृष्णदास पयहारी के शिष्य थे जो रामानंद की परंपरा के थे। सन् १५५६ के लगभग वर्तमान थे. इनकी बनाई चार पुस्तकों का पता है. प्रमुख कृतियां है– 1. हितोपदेश उपखाणाँ बावनी ध्यानमंजरी 3. रामध्यानमंजरी 4. राम-अष्ट्याम
  • कृष्ण काव्यधारा के प्रमुख कवि

  • सूरदास :
  • ये कृष्णभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि हैं। सूरदास नेत्रहीन थे।
  • इनका जन्म 1478 में हुआ था तथा मृत्यु 1573 में हुई थी। इनके पद गेय हैं। इनकी रचनाएं 3 पुस्तकों में संकलित हैं।
  • सूर सारावली : इसमें 1103 पद हैं । 2. साहित्य लहरी 3. सूरसागर : इसमें 12 स्कंध हैं और सवा लाख पद थे किंतु अब 45000 पद ही मिलते हैं । इसका आधार श्रीमद भागवत पुराण है ।
  • कुंभनदास :
  • यह अष्टछाप के प्रमुख कवि हैं। जिनका जन्म 1468 में गोवर्धन, मथुरा में हुआ था तथा मृत्यु 1582 में हुई थी।
    इनके फुटकल पद ही मिलते हैं ।
  • नंददास :
  • ये 16वी शती के अंतिम चरण के कवि थे। इनका जन्म 1513 में रामपुर हुआ था तथा मृत्यु 1583 में हुई थी।
    इनकी भाषा ब्रज थी।इनकी 13 रचनाएं प्राप्त हैं।
  • रासपंचाध्यायी 2. सिद्धांत पंचाध्यायी 3. अनेकार्थ मंजरी 4. मानमंजरी 5. रूपमंजरी 6. विरहमंजरी 7. भँवरगीत
    8. गोवर्धनलीला 9. श्यामसगाई 10. रुक्मिणीमंगल 11. सुदामाचरित 12. भाषादशम-स्कंध 13. पदावली
  • रसखान:
  • इनका असली नाम सैय्यद इब्राहिम था। इनका जन्म हरदोई में 1533 से 1558 के बीच हुआ था। इन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन कृष्णभक्ति को समर्पित कर दिया था। इन्हें प्रेम रस की खान कहा जाता है। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं
  • सुजान रसखान 2. प्रेमवाटिका
  • मीरा :
  • मीराबाई स्वयं ही एक लोकनायिका हैं।इनका जन्म1498 में हुआ था तथा मृत्यु 1547 में। इन्होंने मध्य काल में स्त्रियों की पराधीन बेड़ियों को तोड़ कर स्वतंत्र हो कर कृष्णप्रेम का प्रदर्शन करने का साहस किया। इन्होंने सामाजिक और पारिवारिक दस्तूरों का बहादुरी से मुकाबला किया और कृष्ण को अपना पति मानकर उनकी भक्ति में लीन हो गयीं। उनके ससुराल पक्ष ने उनकी कृष्ण भक्ति को राजघराने के अनुकूल नहीं माना और समय-समय पर उनपर अत्याचार किये।मीरा स्वयं को कृष्ण की प्रेयसी मानती हैं, तथा अपने सभी पदों में उसी तरह व्यवहार करती हैं। इनके मृत्यु को ले कर कई किवंदतियां प्रसिद्ध हैं। इनके सभी पद गेय हैं। इनकी रचनाएँ मीराबाई पदावली में संग्रहित हैं।
  • – अंशु प्रिया (anshu priya)

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