देशभक्ति कविता देशभक्ति कविता
देशभक्ति कविता
- भारत का गौरव
- यह देख दशा तुम भारत की, जो मानवता का मुकुट रहा
जिसमें अशांति का नाम न था, यह देखो गर्त में गिरने चला
फिर भी अगर तुम अचेत रहो, फिर इससे ग्लानि और क्या हो………….
तुम फिर भी यों हीं बैठे रहो, और माता की दुर्दशा हो ?………………………….
यह तुम सोचो क्या यह ग्लानि नहीं, मानवता की यह हानि नहीं
मानव तुम पर थूकेंगे हीं, तुमको उलाहना देंगे हीं
मानव तुम भी सचेष्ट रहो, ताकि मर्यादा धूल न हो…………………..
पहले बुराइयाँ दूर करो, फिर नव समाज निर्माण करो………………………….
भारत में अनेक बुराई है, अच्छे लोगों ने राजनीति से दूरी बनाई है
सत्ता स्वार्थियों के पास है गिरवी पड़ी, इसलिए गरीबों पर आफत बड़ी
अच्छे आदर्शों को हमने भुला दिया, इसलिए अपना सबकुछ गंवा दिया………….
कन्या अब भी अबला है, न जाने नारी को क्यों मिली यह सजा है………………………….
पहले तुम कुप्रथाओं का नाश करो, ताकि दुखियन का भी उद्धार तो हो
तुम सदा-सदा सचेष्ट रहो, ताकि भारत में कोई दुखी न हो
इस पर न तुम्हारा ध्यान गया, भारत का गौरव मिट हीं गया
मैं फिर कहता हूँ मनन करो, भारत का गौरव प्राप्त करो…….
तुम मनन करो…….. तुम मनन करो………………………….
– डॉ नारायण मिश्र
- भारत माता की जय
- भारत माता की जय से आओ करें वीर सपूतों को नमन
आज जिनकी वजह से देश में शांति और अमन
इस वतन पर मिटे हैं अनगिनत गुलाब
जिनकी खुशबू लिए भारत बना है महान
उन क्रांतिवीरों की गाथा हम यूँ हीं गाते जायेंगे
देश की हर तरक्की में उन्हें याद करते जायेंगे
हर मुश्किल घड़ी में हमने दुश्मनों को भी गले लगाया है
हो बांग्लादेश या हो पाकिस्तान हमने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है
आजादी के लिए हमने बहुत खून बहाया है
एकता से हमने अंग्रेजों को भी मार भगाया है
सलाम है ऐसे वीर सपूतों को जिन्होंने आजादी दिलाई है
भारत माता के चेहरे पर फिर हंसी लौटाई है
गर्व है मुझे मेरे भारत पर, इसकी आन और शान पर
वादा है मेरा….. वन्देमातरम गाता जाऊंगा
हर बुराई को इस जमीन से हटाऊंगा
– हर्ष शरमा
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