Breastfeeding Tips in Hindi problems mother diet – ब्रेस्ट फीडिंग टिप्स हिन्दी में
ब्रेस्ट फीडिंग टिप्स हिन्दी में – Breastfeeding Tips in Hindi Problems Mother Diet
- नवजात शिशु के लिए माँ का दूध सबसे अच्छा आहार होता है. जन्म से 6 माह तक बच्चे को केवल माँ का दूध हीं पिलाना चाहिए. शिशु के जन्म के 1 घण्टे के भीतर माँ का दूध पिलाना चाहिए. क्योंकि माँ का दूध बच्चे के लिए जीवनदायक होता है. यह जानना जरूरी है कि Breastfeeding ब्रेइस्टफीडिंग जरूरी क्यों है. खास तौर पर पहली बार माँ बनने जा रही महिलाओं के लिए यह जानना जरूरी होता है कि Breastfeeding ( स्तनपान ) करवाने के माँ और शिशु को क्या-क्या फायदे हैं. और उनके लिए यह जानना भी जरूरी होता है कि स्तनपान करवाने का सही तरीका क्या है. तो आइए जानते हैं स्तनपान करवाने का सही तरीका और स्तनपान करवाने के फायदे.
- स्तनपान करवाने का सही तरीका : Breastfeeding: Tips and Tricks
- शिशु का मुँह स्तन के पास ले जाइए. शुरूआत में आपको थोड़ी दिक्कत हो सकती है.
क्योंकि शिशु को प्रारम्भ में शिशु को ठीक से स्तनों से दूध पीना नहीं आता है, इसलिये वह
थोड़ी हलचल कर सकता है. शुरूआत में शिशु की अज्ञानता के कारण आपके स्तनों में दर्द हो
सकता है. लेकिन आपको संयम खोने की जरूरत नहीं है. शिशु को दुलार से ही स्तनपान करवाएँ.
कुछ दिनों के बाद शिशु खुद स्तन से दूध निकालना सीख जाएगा. -
स्तनपान के दौरान शिशु को अच्छी तरह से पकड़ें, क्योंकि छोटे बच्चे बहुत ज्यादा हलचल करते हैं.
- कई बार माँ के स्तनों में केवल इसलिए दर्द रहता है क्योंकि माँ बच्चे को सही तरीके से लिटाकर दूध
नहीं पिलाती है. और आरामदायक तरीके से नहीं लिटाने के कारण हीं शिशु माँ का दूध अच्छी तरह
नहीं पीता है. शिशु को हल्का मुड़कर लेटने में आराम मिलता है, इसलिए शिशु को उसी तरह
लिटाकर दूध पिलाएँ. - शिशु को अपनी बाँह पर लिटाएं और शिशु के मुँह को स्तन तक ले जाइए. शुरूआत में शिशु को
अभ्यस्त होने में थोड़ा समय लगेगा, इसलिए अपना संयम न खोएँ. - गोद में लेकर दूध पिलाना आपके और शिशु दोनों के लिए ज्यादा आरामदायक होगा.
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स्तनपान करवाने के बाद स्तन को पानी से धो लेना चाहिए.
- अगर आपके स्तनों में किसी प्रकार की समस्या हो गई हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
- स्तनपान करवाना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसलिए इससे दूर न भागें.
- स्तनपान नहीं करवाने से माँ के स्तनों में दूध सूख जाता है, जिससे माँ को बाद में कई बीमारियाँ होने की सम्भावना बढ़ जाती है.
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स्तनपान नहीं करवाने से शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
- स्तनपान करवाने के फायदे
- स्तनपान करवाने से शिशु को जन्म के बाद होने वाली साधारण बीमारियाँ होने का खतरा कम हो जाएगा.
- शिशु को साँस से सम्बन्धित कोई बीमारी होने का खतरा कम हो जाता है.
- स्तनपान करवाने से शिशु को किसी भी तरह के संक्रमण से बहुत हद तक सुरक्षा मिलेगी.
- शिशु के आंत में सूजन आ जाना आम बात होती है, माँ का दूध पीने से यह खतरा कम हो जाता है.
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6 माह तक दूध नहीं पिलाने से शिशु को पेट की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.
- इस डर से स्तनपान नहीं करवाना कि आपके स्तनों का आकार बिगड़ जाएगा, एक मूर्खतापूर्ण सोच है.
- स्तन में अगर चोट लग जाए या शिशु उसे काट दे, या जलन या खुजली हो तो स्तन / निप्पल पर घी लगाना फायदा पहुँचायेगा. स्तन में अगर स्क्रैच पड़ जाए तो भी घी लगाना फायदा पहुँचायेगा.
- ब्रेस्ट को सही आकार में रखने के लिए इलास्टिक सूती टी शर्ट वाले कपड़े पहनें.
- ब्रेस्ट को नारियल तेल, बेबी लोशन से मसाज करने से आपके स्तन ढीले नहीं पड़ेगे.
- नवजात शिशु की माँ को टाइट ब्रा नहीं पहनना चाहिए, इससे शिशु को दूध पिलाने में परेशानी होगी. कसा हुआ ब्रा पहनने से ब्रेस्ट पर पसीने की वजह से रैश आ जायेंगे और खुजली होने लगेगी. इसलिए नवजात शिशु के बाद आरामदेह ब्रा पहनना चाहिए. सूती ब्रा पहनना सबसे अच्छा रहेगा.
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