Essay On Basant Ritu in Hindi – बसंत ऋतु पर निबन्ध
बसंत ऋतु पर निबन्ध – Essay On Basant Ritu in Hindi Nibandh
- प्रस्तावना —— भारत प्राकृतिक शोभा संपन्न देश है. इस देश की धरती पर छह ऋतु परिक्रमा देती रहती हैं. सभी ऋतुओं में श्रेष्ठ होने के कारण बसंत को हम ऋतुराज कहते हैं. बसंत ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य अपने पूर्ण यौवन पर होता है. इस ऋतु में वनस्पतियाँ फूल और पत्तों से लद जाती है.
- बसंत का आगमन ——– शिशिर ऋतु के बाद बसंत ऋतु का आगमन होता है. सभी वृछ और लताएँ नवीन पल्लवों और पुष्पों से सजकर झूमते हैं. प्रकृति को नया जीवन मिलता है और वह नई उमंग व सजधज के साथ अपनी शोभा बिखराने लगती है.
प्रकृत की मोहक छटा —— बसंत में चारों ओर मोहक सौन्दर्य दृष्टिगोचर होता है. खेतों में सरसों की पीली मखमली चादर बिछ जाती है. आम के पेड़ मंजरों के बोझ से झुक पड़ते हैं. और हवा के झोंकों में झूम उठते हैं. वायु में सुगंध बिखर जाती है. फूलों से अटखेलियां करते भंवरे मधु पीकर मधुर गुंजार करने लगते हैं. तथा रंग-बिरंगी तितलियों से उड़ते हुए झुंड सभी के मन को मोह लेते हैं. प्रकृति के मोहक रूप को देखकर मनुष्य का मन भी प्रफुल्लित हो उठता है. कोयल की कूक मानव मन को संगीत लहरी से भर देती है. इस प्रकार वसंत ऋतु में संपूर्ण प्रकृति मानव जगत नई सुंदरता उमंग उल्लास और आनंद से भर जाता है वसंतोत्सव ——- मनुष्य अपने हृदय के उल्लास को विविध प्रकार से प्रकट करता है. बसंती कपड़े पहन कर स्त्रियां बसंत का स्वागत करती हैं. होली भी बसंत का उत्सव है जब पके हुए अन्न के दाने अग्नि को समर्पित करके बसंत का स्वागत किया जाता है. बसंत के सौन्दर्य में डूबे मानव मन नाच नाच उठते हैं. तथा जगह-जगह संगीत के आयोजन होते हैं. नगरों में भी बसंत के मेले लगते हैं.
उपसंहार —– बसंन्त ऋतु अपने सौन्दर्य व उल्लास के कारण अपना विशेष स्थान रखती है. इतनी मनमोहक व उमंग भरी कोई भी ऋतु नहीं है. यह देवदूत बसंन्त जन-जन को नव निर्माण व हास विलास के माध्यम से धर्म अर्थ काम और मोछ के पथ पर अग्रसर होते रहने की प्रेरणा प्रदान करता है.
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