Essay On Makar Sankranti in Hindi Language
मकर संक्रांति पर निबन्ध – Essay On Makar Sankranti in Hindi Language
- भारत में अनेक पर्व-त्यौहार मनाए जाते हैं और इन सब के पीछे ज्ञान-विज्ञान, स्वास्थय एवं प्रकृति से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बाते होती हैं.
इन्ही में से एक पर्व है मकर संक्रांति जो पूरे भारतवर्ष में विभिन्न नामों से मनाया जाता है. यह पर्व सूर्य के माघ मास में मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है. इसलिए इसे मकर संक्रांति कहते हैं. ये अलग-अलग प्रांतों में भिन्न-भिन्न नामों से वहाँ की परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है जो अपने आप में अनूठा है.
- वैसे तो संक्रांति साल में 12 बार हर राशि में प्रवेश करती है लेकिन मकर और कर्क राशि में इसके प्रवेश का विशेष महत्व है. मकर राशि के साथ बढ़ती गति के चलते दिन बड़ा और रात छोटी हो जाती है और कर्क राशि में रात बड़ी और दिन छोटा हो जाता है. इस वजह से मकर संक्रांति किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है. इस दिन किसान अपनी फसल काटते हैं. सूर्य का हिन्दु धर्म में बहुत महत्व है उन्हें रौशनी, ऊर्जा, उम्मीद और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है. वैसे ही मकर संक्राति नए कार्य की शुरूआत का प्रतीक है. ये भारत का एक मात्र एैसा पर्व है जो हर वर्ष एक ही तारीख को मनाया जाता है.
- इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर सूर्य को जल अर्पण करने के पश्चात् तिल, गुड़-चुड़े के साथ इच्छानुसार दान दिया जाता है. फिर दही-गुड़-चुड़ा और तिलकूट खाया जाता है साथ ही दिन में सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाकर खिचड़ी खाया जाता है. इस दिन खिचड़ी के दान का भी महत्व है. जिस कारण इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है. कुछ जगहो में पतंग उड़ा कर भी इसे मनाते हैं. गुजरात में खासकर पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता भी रखी जाती है. पंजाब में लोहड़ी जलाकर उत्सव मनाया जाता है.
- इस पर्व को पूरे देश में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है जैसे;
- प्रांत नाम
- ۰राजस्थान एवं गुजरात उत्तरायण
- ۰हिमाचल प्रदेश और हरियाणा मगही
- ۰पंजाब लोहड़ी
- ۰असम माघ बिहु
- ۰कश्मीर शिशुर सेक्रांत
- ۰उत्तर प्रदेश एवं पश्चिमी बिहार खिचड़ी
- ۰कर्नाटक और आँध्रप्रदेश मकर संक्रमामा
- ۰बिहार, झारखण्ड, गोवा, महाराष्ट्र, मकर संक्रांति
- मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, सिक्किम..
- भारत के अलावा दुसरे देशों में ये अलग-अलग नामों से प्रचलित है जैसे;
- देश नाम
- नेपाल माघे संक्रांति
- ۰श्री लंका उलावर थिरूनाल
- ۰थाईलैंड सोंगकर्ण
- ۰मयंमार थिंगयान
- ۰कंबोडिया मोहा संगकर्ण
- इस प्रकार ये पर्व विभिन्न नामों से मनाया जाता है पर उद्देश्य एक होता है सूर्य की रौशनी का स्वागत करना.
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