घर पर 24 शानदार शायरी इन हिंदी | Ghar Par Shayari in Hindi sweet home sher :

ghar par shayari in hindi – घर पर शायरी इन हिंदी
घर पर 24 शानदार शायरी इन हिंदी Ghar Par Shayari in Hindi sweet home sher

चंद दिन जब घर से बाहर गुजारने पड़े
तब समझ में आया, घर के बिना जिंदगी कैसी होती है.

  • सुकून की तलाश में हम कई दर घूम आए
    लेकिन घर जैसा सुकून कहीं और नहीं पाया.
  • मेरा घर जितना पुराना होता गया
    ये मुझे उतना हीं प्यारा होता गया.
  • जब खुमारी चढ़ी थी, तो घर छोड़कर निकल गया था मैं
    जब जमाने की ठोकरें लगी, तब घर की अहमियत समझ आई.
  • दोपहर के धूप की तपन को इसलिए झेल जाता हूँ मैं
    क्योंकि थके कदमों की मंजिल मेरा घर होता है.
  • जब मुझे ये समझ आया कि दुनिया केवल मतलब की यार है

    तब मुझे याद आई मेरी माँ और याद आया मेरा घर.

  • भले लाखों रुपए खर्च कर लो, भले जमाने को कदमों में झुका लो
    लेकिन घर जैसा सुकून सारे जहान में कहीं और कहाँ पाओगे.
  • मजबूरियों के आड़े वक्त में मेरा घर हीं मेरे काम आया
    जब सबने साथ छोड़ा, तब घरवालों को साथ पाया.
  • उसके आने से पूरे घर में रौनक छा गई है
    वह अकेले नहीं आई है, संग ढेरों खुशियाँ लाई है.
  • जब भी मैं दुनिया से थक-हार जाता हूँ
    मेरे कदम खुद-ब-खुद घर की ओर बढ़ पड़ते हैं.
  • बेघरों के दर्द को मैं उसी रोज समझ पाया
    जब मुझे दूसरे के घर में पूरा एक साल बिताना पड़ा.
  • माँ-बाप के गुजरने के बाद ये बात समझ पाया मैं
    कि बुजुर्गों की कमी घर को वीरान बना देती है.
  • दूसरों के घरों में आग लगाने वालों से कह दो,
    कभी कोई चिंगारी उनका हीं घर न जला दे.
  • नहीं मैं अपने घर को नीलाम नहीं कर सकता
    इसमें उम्र भर की कई खट्टी-मीठी यादों का बसेरा जो है.
  • जब से घर की अहमियत समझी है मैंने

    तब से किसी परिंदे का खोंसला नहीं उजाड़ा मैंने.

  • मैं घर की चौखट पर हीं खड़ी उसका इंतजार करती रही
    और वो किसी दूसरे के संग, किसी और घर की ओर मुड़ गया.
  • माना तुम्हें पा न सका, माना हमारे रास्ते उम्र भर के लिए जुदा हुए
    लेकिन अब भी तेरे घर के सामने से गुजर कर बहुत सुकून पाता हूँ मैं.
  • एक घर बनाने में सालों लग जाते हैं
    इसलिए किसी का घर उजाड़ा न करो.
  • माना सारा दिन दुनिया में बेफिक्र होकर उड़ती हूँ मैं

    लेकिन शाम होने के बाद, घर पहुंचकर हीं खुद को महफूज पाती हूँ मैं.

  • रोजी-रोटी की तलाश में हर शख्स को हर भोर बाहर जाना पड़ता है
    वरना सुबह-सुबह घर छोड़कर जाना किसे अच्छा लगता है.
  • मेरे कदम खुद-ब-खुद रुक जाते हैं
    जब भी मैं तेरे घर के सामने से गुजरता हूँ.
  • तेरे घर का पता तो जानता हूँ मैं, पर वहाँ जाता नहीं
    क्योंकि डरता हूँ कि, कहीं तू मुझसे रूठ न जाए.
  • मेरी मोहब्बत के सुबूत देखने, मेरे घर चली आना कभी

    तेरे लगाए फूलों के पौधे आज भी यहाँ आबाद हैं.

  • मैं फिर कभी उसके घर नहीं गया
    जब से उसने कहा, “मेरी खुशियाँ चाहते हो, तो मुझसे दूर रहो तुम”.

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