ghar par shayari in hindi – घर पर शायरी इन हिंदी
चंद दिन जब घर से बाहर गुजारने पड़े
तब समझ में आया, घर के बिना जिंदगी कैसी होती है.
- सुकून की तलाश में हम कई दर घूम आए
लेकिन घर जैसा सुकून कहीं और नहीं पाया. - मेरा घर जितना पुराना होता गया
ये मुझे उतना हीं प्यारा होता गया. - जब खुमारी चढ़ी थी, तो घर छोड़कर निकल गया था मैं
जब जमाने की ठोकरें लगी, तब घर की अहमियत समझ आई. - दोपहर के धूप की तपन को इसलिए झेल जाता हूँ मैं
क्योंकि थके कदमों की मंजिल मेरा घर होता है. -
जब मुझे ये समझ आया कि दुनिया केवल मतलब की यार है
तब मुझे याद आई मेरी माँ और याद आया मेरा घर.
- भले लाखों रुपए खर्च कर लो, भले जमाने को कदमों में झुका लो
लेकिन घर जैसा सुकून सारे जहान में कहीं और कहाँ पाओगे.
- मजबूरियों के आड़े वक्त में मेरा घर हीं मेरे काम आया
जब सबने साथ छोड़ा, तब घरवालों को साथ पाया. - उसके आने से पूरे घर में रौनक छा गई है
वह अकेले नहीं आई है, संग ढेरों खुशियाँ लाई है. - जब भी मैं दुनिया से थक-हार जाता हूँ
मेरे कदम खुद-ब-खुद घर की ओर बढ़ पड़ते हैं. - बेघरों के दर्द को मैं उसी रोज समझ पाया
जब मुझे दूसरे के घर में पूरा एक साल बिताना पड़ा. - माँ-बाप के गुजरने के बाद ये बात समझ पाया मैं
कि बुजुर्गों की कमी घर को वीरान बना देती है. - दूसरों के घरों में आग लगाने वालों से कह दो,
कभी कोई चिंगारी उनका हीं घर न जला दे. - नहीं मैं अपने घर को नीलाम नहीं कर सकता
इसमें उम्र भर की कई खट्टी-मीठी यादों का बसेरा जो है.
-
जब से घर की अहमियत समझी है मैंने
तब से किसी परिंदे का खोंसला नहीं उजाड़ा मैंने.
- मैं घर की चौखट पर हीं खड़ी उसका इंतजार करती रही
और वो किसी दूसरे के संग, किसी और घर की ओर मुड़ गया. - माना तुम्हें पा न सका, माना हमारे रास्ते उम्र भर के लिए जुदा हुए
लेकिन अब भी तेरे घर के सामने से गुजर कर बहुत सुकून पाता हूँ मैं. - एक घर बनाने में सालों लग जाते हैं
इसलिए किसी का घर उजाड़ा न करो. -
माना सारा दिन दुनिया में बेफिक्र होकर उड़ती हूँ मैं
लेकिन शाम होने के बाद, घर पहुंचकर हीं खुद को महफूज पाती हूँ मैं.
- रोजी-रोटी की तलाश में हर शख्स को हर भोर बाहर जाना पड़ता है
वरना सुबह-सुबह घर छोड़कर जाना किसे अच्छा लगता है. - मेरे कदम खुद-ब-खुद रुक जाते हैं
जब भी मैं तेरे घर के सामने से गुजरता हूँ. - तेरे घर का पता तो जानता हूँ मैं, पर वहाँ जाता नहीं
क्योंकि डरता हूँ कि, कहीं तू मुझसे रूठ न जाए. -
मेरी मोहब्बत के सुबूत देखने, मेरे घर चली आना कभी
तेरे लगाए फूलों के पौधे आज भी यहाँ आबाद हैं.
- मैं फिर कभी उसके घर नहीं गया
जब से उसने कहा, “मेरी खुशियाँ चाहते हो, तो मुझसे दूर रहो तुम”.
.