Hindi Diwas Poems – हिन्दी दिवस पर कविता
Hindi Diwas Poems
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सुन्दर भाषा जो हिन्दुस्तान की ताज है ।हर हिन्दुस्तानी के मन की आवाज है ।।सुरीले जिसके सुर और साज है ।यह भारतियों की प्यारी भाषा हिन्दी … यहाँ जो जन-जन की ओजस्वी आवाज़ है । हिन्दी है सब भाषाओं की बहना।बोली और देववाणी के संग रहना ।। सब भाषाओं की गुरु है हिन्दी ।सब भाषी साहित्यों का है गहना ।भारत का अभिमान है हिन्दी ।भारत की शान है हिन्दीभारत की सर्वोच्च उड़ान है हिन्दीभारत की पहचान है हिन्दी ।।( रामचन्द्र स्वामी अध्यापक बीकानेर)
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ऐ हिंदी भाषा – Hindi Diwas Poem
ऐ हिंदी भाषा!
तेरे देश में ही तुझको कष्ट हो रहा है,
हिन्द से हिंदी अस्तित्व नष्ट हो रहा है ।
चाहे व्यक्ति कितना भी हो तुझमें सक्षम,
अंग्रेजी ज्ञान बिना अशिक्षित माना जाता है,
बड़े सभाओं- गोष्ठियों में तिरस्कृत जाना जाता है
पश्चिम में तेरी वरीयता ही नहीं,
तो उत्तर में भी जटिल है कमी,
पूरब पर तेरे कुछ अवशेष रक्षक हैं,
दक्षिण में तेरे पदचिन्ह तक नहीं,
तुझको कार्यालयों में मात्र विकल्प बनाकर,
आज सरकार को हर्ष हो रहा है,
हिन्द से हिंदी का अस्तिव नष्ट हो रहा है…
आज लोग यहाँ के सांस्कृतिक धरोहर खो रहे हैं
अपनी भूमि में विदेशी भाषाओं के बीज बो रहे हैं
मातृभाषा यहां तू है मगर,
फिरंगी बोल फल फूल रहे हैं,
औरों जैसे बनने की चाह में,
हम अपना मूल भूल रहे हैं,
हिंदी के साम्राज्य में आज अंग्रेजी का वर्चस्व हो रहा है,
हिन्द से हिंदी का अस्तित्व नष्ट हो रहा है…
इतनी उपेक्षा क्यूँ आज हमारी हिंदी से?
ये संकोछ क्यूँ अपनी पहचान से, विरासत से?
ये जो तेरी अनिवार्यता में अभाव है
अंग्रेजों के अनुयाईयों के उपहार हैं
अपनी संस्कृति से अनभिज्ञ होना अदम्य परित्याग है,
हिन्द में हिन्दी से वंचित रहना हमारा सबसे बड़ा दुर्भाग्य है,
हिमालय के कवच में बेहिचक,
आज यहां स्वदेशी भाषा उन्मूलन का दंश हो रहा है,
हिन्द से हिन्दी का अस्तित्व नष्ट हो रहा है…
ज़रा सी कोशिश अगर की जाये,
हिन्दी को कर्णधार बनाया जाये,
प्रगति के नए मार्ग खुल जाएंगे,
हम आधार सुदृढ़ बनाएंगे,
मेरा तन मन धन मेरी पहचान है हिन्दी,
सारी भाषाओं को प्रस्फुटित करने वाली,
हर भारतीय का स्वाभिमान है हिन्दी ।
-Jaya Pandey
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ऐसी है मेरी हिन्दी – Hindi Diwas Poem 14 september
- जन-जन की भाषा है हिंदी
भारत की आशा है हिंदी…………
जिसने पूरे देश को जोड़े रखा है
वो मजबूत धागा है हिंदी ……………………
हिन्दुस्तान की गौरवगाथा है हिंदी
एकता की अनुपम परम्परा है हिंदी…………
जिसके गर्भ से रोज नई कोंपलें फूटती है
ऐसी कामधेनु धरा है हिंदी ……………………
जिसने गुलामी में क्रांति की आग जलाई
ऐसे वीरों की प्रसूता है हिंदी …………
जिसके बिना हिन्द थम जाए
ऐसी जीवनरेखा है हिंदी……………………
जिसने काल को जीत लिया है
ऐसी कालजयी भाषा है हिंदी …………
सरल शब्दों में कहा जाए तो
जीवन की परिभाषा है हिंदी ……………………
– अभिषेक मिश्र ( Abhi )
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हिंदी ही भारत का मान – Hindi Diwas Poem – hindi pakhwara poems
- विश्व के मंच में हिंदी ही भारत का मान है
जो आती हो अपनी भाषा कहने में शर्म
तो समझ लो तुम्हारा व्यक्तित्व ही है भ्रम
अपनी मातृभाषा का करके तिरस्कार
कभी ना पा सकोगे सच्चा सत्कार
यह हमारी राजभाषा है, भारत की जिज्ञासा है
विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली
वो दूसरी भाषा हमारी हिन्दी है
हिन्दी समृद्ध है, हिन्दी सुदृढ़ है
इसमें ही निहित है हमारी सांस्कृतिक धरोहर
यह नहीं केवल जनभाषा एक विश्वभाषा है
प्रकृति से यह उदार और है ग्रहणशील
जिस भी भाषा संग बोलो हो जाए उसमें लीन
संस्कृत, अरबी, फारसी सहित
कई और भाषाओं का मेल है इसमें
भाषा यह प्राचीन है फिर भी नवीन है
हिन्दी भारतीयों की अभिलाषा है
विश्व में हो इसका पद ऊँचा यही हमारी आशा है
भाषा कभी कोई छोटी बड़ी नहीं होती
यह तो नजरिए नजरिए की बात है
पर अपनी भाषा का सम्मान करना अपने हाथ है
हिन्दी सौहार्द की भाषा है, प्यार की भाषा है
हिन्दी अधिकार की भाषा है
इसमें बड़ों के लिए आदर झलकता है
छोटों के लिए प्यार बरसता है
है इसमें विनम्रता, दृढ़ता तो चंचलता भी है
हिन्दी में देश की गरिमा बनाए रखने की गंभीरता है
इसमें अपनेपन का भान है, भारत की ये शान है
हिन्दी सिर्फ एक भाषा नहीं, हमारे राष्ट्र की पहचान है।।
– ज्योति सिंहदेव
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- हिंदी – Hindi Diwas Poem – poem on hindi bhasha
हम हिंदी हैं, हिंदी का हम सब को अभिमान है
सारी भाषाएँ प्यारी हैं, पर हिंदी हमारी जान है
जन में हिंदी, मन में हिंदी, हिंदी हो हर ग्राम में
हिंदी का उपयोग करें हम अपने हर एक काम में
एक सूर हैं, एक ताल हैं, एक हमारी तान है
सारी भाषाएँ प्यारी हैं, पर हिंदी हमारी जान है
राजभाषा है ये हमारी, राष्ट्रीयता का प्रतीक है
हिंदी का विरोध करना क्या यह बात ठीक है?
हिंदी की जो निंदा करते, वे अब तक नादान हैं
सारी भाषाएँ प्यारी हैं, पर हिंदी हमारी जान है
पूरब- पश्चिम, उत्तर – दक्षिण करें, सिर्फ हिंदी में ही भाषण
सारे विश्व में फैले हिंदी, हम सबका अरमान है
सारी भाषाएँ प्यारी है, पर हिंदी हमारी जान है
– डॉ. रज़्ज़ाक शेख ‘राही’
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vishwa hindi diwas par kavita
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मातृभाषा के प्रति धर्म
- भूल गए हैं अपना धर्म,
अपनी मातृभाषा के प्रति अपना कर्म।
हिंदी बोलने में आती है शर्म,
फिर कैसे कहें हिंदी हैं हम।
गौरवमयी इतिहास हमारा,
होना चाहिए देश प्राणों से प्यारा।
खाई शहीदों ने सीने पर गोली,
फिर भी है सिक्कडों में अपनी बोली।
अंग्रेज़ी के गुलाम बने हुए हैं हम,
फिर कैसे कहें हिंदी हैं हम।
अंग्रेज़ी बनी प्रतिभा की पहचान,
हिंदी का नहीं कहीं रह गया मान।
देख कर गरिमा इसकी खोती,
भारतमाता नित्य है रोती।
सूर तुलसी को अब नहीं पहचानते हम,
फिर कैसे कहें हिंदी है हम
अब न हो मातृभाषा का अपमान,
लौटाना है इसका खोया सम्मान।
मानसिकता होगी अंग्रेज़ बेड़ियों से आज़ाद,
भारतेंदु,प्रेमचंद भी होंगे जब सबको याद।
हिंदी जब सिंहासन की ओर बढ़ाएगी कदम,
फिर कह पाएंगे कि हिंदी हैं हम।
– अंशु प्रिया (Anshu priya)
- भारत में उपेक्षित होती हिंदी, भारतीयों की गुलाम मानसिक को दर्शाती है. हर महीने लाखों करोड़ों रुपए कमाने वाले राजनेता हों, फिल्म स्टार या खिलाडी….. ये लोग हिंदी की कमाई खाते हैं. संसद की कार्यवाही अंग्रेजी में होती है, लेकिन एक नेता को मजबूरी में हीं सही लेकिन लोगों से सम्वाद स्थापित करने के लिए हिंदी का हीं सहारा लेना पड़ता है, फिर चाहे उनकी नीतियाँ अंग्रेजों वाली हीं क्यों न हो. एक ऐसा फिल्म स्टार जो भले हीं नग्नता और पश्चिमी बुराइयों को फैलाता हो, उसे भी फ़िल्मों में हिंदी का उपयोग करना पड़ता है.चीन के लोग चाइनीज की-बोर्ड का उपयोग करते हैं, लेकिन भारतीय हिंदी का उपयोग नहीं करते हैं. दूसरी भाषा बुरी नहीं होती लेकिन हम अपनी भाषा में जितनी तरक्की कर सकते हैं, उनकी दूसरी भाषा में नहीं.
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