एकता पर 2 सुंदर सी कविता || Hindi Poem On Ekta || Poem On Unity in Hindi :

hindi poem on ekta – poem on unity in hindi – एकता पर कविता 
एकता पर सुंदर सी कविता || Hindi Poem On Ekta || Poem On Unity in Hindi

एकता पर सुंदर सी कविता || Hindi Poem On Ekta || Poem On Unity in Hindi

  • दोस्तों हम आपके लिए लाये हैं, एकता पर कवितायें. हमें उम्मीद है आपको ये कवितायें पसंद आएँगी.
  • देशहित – vividhata me ekta poem in hindi

  • जनता निद्रा से जागो, देश हित में आगे आओ
    नेताओं को लड़ने दो, तुम मत दंगे फैलाओ
    मेरे देश के युवा सुनो, धर्मो को पीछे छोड़ो
    मानवता की बात करो, सब मिलकर कदम बढ़ाओ
    जनता निद्रा से जागो, देश हित में आगे आओ
    मेरी माताओं और बहनो, तुम भी अपना फ़र्ज़ निभाओ
    अपने-अपने बच्चों को तुम, इंसानियत का सबक सिखाओ
    जनता निद्रा से जागो, देश हित में आगे आओ
    वोटों को मत अपने बेचो, लोकतंत्र की मर्यादा जानो
    नेता के चंगुल में न आओ, उसको अपनी ताकत बतलाओ
    जनता निद्रा से जागो, देश हित में आगे आओ
    आपस में तुम लड़ो नहीं, दुश्मनो से तुम डरो नहीं
    भारत माँ को ज़रूरत हो, तो तुम सीमा पर आ जाओ
    जनता निद्रा से जागो, देश हित में आगे आओ
    – NAWAZ ANWER KHAN
  • “एकता का दीप जलाएंगे” – poem on anekta mein ekta

  • नफ़रत की दीवार तोड़कर,
    प्रेम की गंगा बहाएंगे,
    सबके दिलो मे फिर से,
    एकता का दीप जलाएंगे ।।
    छुआ-छूत को मानकर,
    आपस में न भिड़ं जाएंगे,
    हँसी खुशी हम साथ-साथ,
    मिलकर भेदभाव भुलाएंगे ।।
    नारियो की इज्जत कर,
    उनका अधिकार दिलवाएंगे,
    सबके दिलो मे फिर से,
    एकता का दीप जलाएंगे ।।
    दो पैसो के लालच मे,
    भ्रष्टाचार नही फैलाएंगे,
    भूख-प्यासे रहकर भी,
    एकता का दीप जलाएंगे ।।
    – Rahul Dravesh
  • विविधता मै एकता – rashtriya ekta poem

    भिन्न-भिन्न फूलों को जब साथ मै है पिरोया जाए
    अद्भुत मनोरम माला बन जाए,यही विविधता मै एकता कहलाए।
    भिन्न प्रांत है,भिन्न है बोली
    भिन्न धर्म के लोग यहाँ।
    नयन नक्श मैं भले है भिन्न
    फिर भी एक ही माला(देश) कहलाएं
    देवता है सबके भिन्न,लेकिन पूजा की श्रद्धा है एक।
    भांगड़ा,गरबा,चाहे हो कथकली
    नृत्य भले है भिन्न, फिर भी भारतीय संस्कृति है एक ।
    वेशभूषा चाहे भिन्न है,धरोहर लेकिन सबकी है एक।
    प्रान्त भले है भिन्न-भिन्न,
    लेकिन सबकी सत्ता है एक।
    धर्म है भिन्न,त्योहार तो है एक।
    संविधान एक,कानून एक
    राष्ट्र ध्वज व गीत है एक।
    भारतीय सेना के वीर हो या हो खेल का कोई खिलाड़ी,
    राष्ट्रीय स्तर पर सब है एक ।
    फिर भी क्यों चक्रव्यूह मैं है फंसे हुए ।
    इंसान इंसानियत की दृष्टि से दूर खड़े हुए।
    हिन्दू,मुस्लिम या हो सिख ईसाई
    क्यों नही कहते है ,है भाई-भाई।
    गीता ,ग्रन्थ या हो कुरान, बाइबिल
    सबमे केवल अमन ही सिखलाए।
    माने हम अपने ग्रन्थ को
    शांति अमन के पथ को अपनाए।
    तभी सही मायनों मैं विविधता मैं एकता हमारा देश बन जाए।
    क्योंकि
    भिन्नताएं है यहाँ कई फिर भी देश
    प्रेम है एक।
    – भारती विकास( प्रीति)

  • आपको कविता ( Hindi Poem On Ekta) कैसी लगी,  हमें जरुर बताएँ.

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