History of Jharkhand in Hindi gk – झारखण्ड का इतिहास jharkhand information :

History of Jharkhand in Hindi gk – झारखण्ड का इतिहास 

History of Jharkhand in Hindi gk - झारखण्ड का इतिहास jharkhand information

History of Jharkhand in Hindi gk – झारखण्ड का इतिहास jharkhand information

  • झारखण्ड राज्य भारत के नवीनतम राज्यों में से एक है, बिहार के दक्षिणी हिस्से को विभाजित कर झारखण्ड का सृजन किया गया था। झारखण्ड यानी ‘झार’ या ‘झाड़’ जो स्थानीय रूप से वन का पर्याय है एवं ‘खण्ड’ यानी टुकड़ा से मिलकर बना है अपने नाम के अनुरूप यह एक वन प्रदेश है। इसकी स्थापना झारखण्ड आंदोलन का फल है।
  • 1938 के आसपास गठित आदिवासी महासभा ने जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में अलग राज्य का सपना देखा था, पर यह वर्ष 2000 में साकार हुआ जब केन्द्र सरकार ने 15 नवम्बर (बिरसा मूंडा का जन्मदिवस) को इसे भारत के अठ्ठाइसवें राज्य के रूप में स्थापित किया। औधोगिक नगरी राँची इसकी राजधानी है।
    झारखण्ड के पड़ोसी राज्यों में उत्तर में बिहार, दक्षिण में ओड़िशा, पश्चिम में उत्तर-प्रदेश तथा छत्तीसगढ़, एवं पूर्व में पश्चिम बंगाल आते हैं। लगभग यह सम्पूर्ण राज्य छोटानागपूर के पठार पर अवस्थित है। यहाँ की प्रमुख नदीयाँ कोयल, दामोदर, खरखई और स्वर्णरेखा हैं। झारखण्ड क्षेत्र विभिन्न धर्म, संस्कृतियों और भाषाओं का संगम है। सम्पूर्ण भारत में वनों के अनुपात में यह राज्य अग्रणी तथा वन्य जीवों के संरक्षण के लिए मशहूर है। झारखण्ड की गतिविधियां मुख्यतः राजधानी राँची, जमेशदपुर, धनबाद एवं बोकारो जैसे औद्योगिक केन्द्रों से होती है।
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    • झारखण्ड का इतिहास  

      ऐतिहासिक  रूप से झारखण्ड अनेक आदिवासी समुदायों का नैसर्गिक वास स्थल रहा है। भारतीय संविधान में जिन्हें ‘अनुसूचित जनजाति’ के रूप में चिन्हित किया गया है। इनमें मुंडा, संताल, हो, खड़िया, उरांव, असुर, बिरजिया, पहाड़िया आदि प्रमुख समुदाय हैं। इन्हीं आदिवासी समुदायों ने झारखण्ड के जंगलों को साफ कर खेती तथा इंसानों के रहने लायक बनाया। नागवंशियों, मुसलमानों, अंग्रेजों तथा अन्य बाहरी आबादी के आने के पूर्व इस क्षेत्र में आदिवासियों की अपनी सामाजिक-राजनितिक व्यवस्था थी। मुगल सल्तनत के दौरान इसे कुकरा प्रदेश के नाम से जाना जाता था।

    • ब्रिटिश शासन  – 

    • 1765 ई• के बाद यह ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गया। ब्रिटिश दास्तां के अधीन यहाँ काफी अत्याचार हुए उस कालखंड में इस प्रदेश में ब्रिटिशों के खिलाफ बहुत से सामूहिक आदिवासी विद्रोह हुए, कुछ प्रमुख विद्रोह थे :-
    • 1772-1780 – पहाड़िया विद्रोह
    • 1780-1785 – मांझी विद्रोह, जिसके नेता तिलका मांझी को भागलपुर में फांसी दी गयी थी।
    • 1795-1800 – तमाड़ विद्रोह, मुंडा विद्रोह विष्णु मानकी के नेतृत्व में
    • 1800-1802 – मुंडा विद्रोह तमाड़ दुखन मानकी के नेतृत्व में
    • 1819-1820 – मुंडा विद्रोह पलामू के भूकन सिंह के नेतृत्व में
    • 1832-1833 – खेबर विद्रोह भागीरथ, दुबाई गोंसाई एवं पटेल सिंह के नेतृत्व में
    • 1833-1834 – भूमिज विद्रोह वीरभूम के गंगा नारायण के नेतृत्व में
    • 1855           – लार्ड कार्नवलिस के खिलाफ संथालों का विद्रोह
  • 1855-1860 – सिद्धू-कान्हू के नेतृत्व में संथालों का विद्रोह
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    • 1856-1857 – शहीद लाल विश्वनाथ शाहदेव, शेख बिखारी गणपतराय एवं बुधु वीर का सिपाही विद्रोह के दौरान आंदोलन
    • 1874 – खेरवार आंदोलन भागीरथ मांझी के नेतृत्व में
    • 1895- 1900 – बिरसा मुंडा के नेतृत्व में मुंडा विद्रोह
    • इन सभी विद्रोहों को भारतीय ब्रिटिश सेना द्वारा निष्फल कर दिया गया था। 1914 ई• में टाना भगत के नेतृत्व में लगभग छब्बीस हजार आदिवासियों ने फिर से ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विद्रोह किया जिससे प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन आरम्भ किया था।
  • 1915 ई• मेंं आदिवासी समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए ‘छोटानागपुर उन्नति समाज’ बनाई गई।
    इस संगठन का उद्देश्य राजनैतिक  था। जब 1928 ई• में साइमन आयोग पटना आया तब छोटानागपुर उन्नति समाज ने अपने प्रतिनिधि मंडल द्वारा स्वयं-शासन के लिए एक अलग राज्य की मांग की गई थी जिसे अस्वीकार कर दिया गया था।
    • History of Jharkhand in Hindi – स्वतंत्रता पश्चात् 
  • झारखण्ड का सृजन आरजेडी के पूर्व शर्त पर कांग्रेस के समर्थन पर निर्भर करता था कि राजद बिहार पुनर्गठन विधेयक (झारखण्ड विधेयक) के पारित होने पर बाधा नहीं देंगे। अंत में राजद तथा कांग्रेस के समर्थन के साथ केन्द्र में सत्ताधारी गठबंधन ने भाजपा की अगुवाई की, जिसके फलस्वरूप राज्य का मेल चुना गया, जो पहले के चुनावों में इस क्षेत्र में शामिल था। उस वर्ष संसद ने मानसून सत्र में झारखण्ड विधेयक को मंजूरी दी, इस प्रकार एक अलग राज्य का मार्ग बना। और 15 नवम्बर 2000 को झारखण्ड का सपना साकार हुआ।

    नक्सली

    झारखण्ड नक्सली-माओवादी उग्रवाद प्रभावित राज्य रहा है। 1967 में नक्सलियों के विद्रोह से इसकी शुरूआत हुई। पुलिस तथा अर्धसैनिक बल समूहों के मौजूद होने के बावजूद यह राज्य नक्सल बेल्ट का हिस्सा रहा है।
    इसकी वजह से प्राकृतिक संसाधनों से प्रचुर होने के बावजूद झारखण्ड गरीबी और निराशा झेल रहा है।
    प्रशासनिक इकाई
    राज्य के निर्माण के समय इसमें 18 जिलें थे जो पहले दक्षिण बिहार का हिस्सा हुआ करते थे,
    इनमें से कुछ जिलों को पुनर्गठित करके छह नए जिलें सृजित किए गए वर्तमान में झारखण्ड में चौबीस जिले हैं।
    झारखण्ड में वनस्पति एवं जैविक विविधताओं का भंडार है। यहाँ कई वन्य अभ्यारण्य भी हैं।

    • अर्थतंत्र History of Jharkhand in Hindi 

    • झारखण्ड की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खनिज एवं वन संपदा से निर्देशित है। लोहा, कोयला, बॉक्साइट,
      यूरेनियम इत्यादि खनिजों की प्रचुरता है। खनिजों के खनन से सालाना राज्य को करोड़ों रूपये की आय होती है।
      भारत के कुछ सर्वाधिक औद्योगिकृत स्थान जमेशदपुर, राँची, बोकारो एवं धनबाद में स्थित हैं।
      झारखण्ड के उधोगों में कुछ प्रमुख हैं:-
    • हिंदुस्तान का सबसे बड़ा उर्वरक कारखाना सिंदरी में स्थित था जो अब बंद हो चुका है।
    • भारत का पहला और विश्व का पाँचवां सबसे बड़ा इस्पात कारखाना जमशेदपुर में है।
    • एक और बड़ा इस्पात कारखाना बोकारो स्टील प्लांट बोकारो में है।
    • भारत का सबसे बड़ा आयुध कारखाना गोमिया में है।
  • History of Jharkhand in Hindi – सरकार 
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    • झारखण्ड के मुख्य राज्यपाल हैं जिन्हें राष्ट्रपति नियुक्त करते हैं, प्रथम राज्यपाल प्रभात कुमार थे।
      और राज्य की कार्यकारी शक्ति मुख्यमंत्री के पास होती है। झारखण्ड में अबतक छः मुख्यमंत्री नियुक्त हो चुके हैं, जिसमें प्रथम मुख्यमंत्री भाजपा से बाबुलाल मरांडी थे। सबसे लम्बे समय तक तीन बार, पाँच वर्षों तक भाजपा से अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री रहे। झामुमो से शिबु सोरेन और हेमंत सोरेन भी बीच में मुख्यमंत्री रहे।
      झारखण्ड में स्वतंत्र दल से मधु कोड़ा भी मुख्यमंत्री बने जिस दौरान तीन बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था।
    • वर्तमान में राज्य की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू तथा मुख्यमंत्री रघुवर दास (भाजपा) हैं।
    • झारखण्ड में कई खुबसुरत पर्यटन स्थल हैं तथा उच्च शिक्षण संस्थान हैं, कला-संस्कृतियों और प्राकृतिक सम्पदा से सम्पन्न यह राज्य सम्भावनाओं का धनी है।

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