Independence Day Poems in Hindi language – स्वतंत्रता दिवस पर कविता
Independence day Poems in Hindi
स्वतन्त्रता की कीमत
- अगर आजादी को बचाना चाहते हो, तो देश के लिए लहू बहाना होगा
जो देश की खातिर जीते-मरते हैं, उनके आगे अपना शीश झुकाना होगा
जो चाहते हो, जय हिन्द का नारा बुलंद रहे, तो तुम्हें सुभाष बन जाना होगा…………
अगर अकबर को उसकी औकात दिखानी है, तो खुद को प्रताप बनाना होगा………………
मुगलों से लोहा लेना है, तो शिवाजी बनकर आना होगा
गौरी को मौत की नींद सुलानी है, तो पृथ्वीराज सा बाण चलाना होगा
अगर अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने हो, तो लक्ष्मीबाई बन जाना होगा…………………….
कभी मंगल, कभी भगत, तो कभी आजाद बनकर धरती में आना होगा…………………..
जाति धर्म देखे बिना, देशद्रोहियों को अपने हाथों से मिटाना होगा
नई पीढ़ी को अभिमन्यु सा, गर्भ में देशभक्ति का पाठ पढ़ाना होगा
तुम्हें व्यक्तिवाद छोड़कर राष्ट्रवाद अपनाना होगा………………………
हर व्यक्ति में भारतीय होने का स्वाभिमान जगाना होगा………………………..
लोकतंत्र को स्त्तालोलुपों से मुक्त कराना होगा
देशभक्ति को भारत का सबसे बड़ा धर्म बनाना होगा
वीरता की परम्परा को आगे बढ़ाना होगा……………………….
हर भारतीय को देश के लिए जीना सिखाना होगा………………………………
– अभिषेक मिश्र ( Abhi )
आजादी का दीप
14 अगस्त की शाम लिखा मैने
क्या आजादी का दीप जलेगा कभी
जो जले थे कभी वो भी बुझ गए
अगर सरकारें करती रहीं मक्कारी
तो न सुधरेगी जनता की बदहाली
ऐसे मे आजादी का दीप जलेगा कभी
कब तक लुटेगी बेटी की आबरु
क्या न मिलेंगी बेटी को आजादी
ऐसे मे आजादी का दीप जलेगा कभी
कब तक रहेगी अब बेरोजगारी
क्या अब न मिटेगी गरीबी कभी
ऐसे मे आजादी का दीप जलेगा कभी
– राम राज कुशवाहा
नौजवान आओ रे
नौजवान आओ रे, नौजवान गाओ रे ।।
लो क़दम बढ़ाओ रे, लो क़दम मिलाओ रे ।।
ऐ वतन के नौजवान, इक चमन के बागवान ।
एक साथ बढ़ चलो, मुश्किलों से लड़ चलो ।
इस महान देश को नया बनाओ रे ।।
नौजवान…
धर्म की दुहाइयाँ, प्रांत की जुदाइयाँ ।
भाषा की लड़ाइयाँ, पाट दो ये खाइयाँ ।
एक माँ के लाल, एक निशां उठाओ रे ।।
नौजवान…
एक बनो नेक बनो, ख़ुद की भाग्य रेखा बनो ।
सर्वोदय के तुम हो लाल, तुमसे यह जग निहाल ।
शांति के लिए जहाँ को तुम जगाओ रे ।।
नौजवान…
माँ निहारती तुम्हें, माँ पुकारती तुम्हें ।
श्रम के गीत गाते जाओ, हँसते मुस्कराते जाओ ।
कोटि कण्ठ एकता के गान गाओ रे ।।
नौजवान…
– बालकवि वैरागीप्यारे भारत देश
प्यारे भारत देश
गगन-गगन तेरा यश फहरा
पवन-पवन तेरा बल गहरा
क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले
चरण-चरण संचरण सुनहरा
ओ ऋषियों के त्वेष
प्यारे भारत देश।।
वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी
प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी
उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक
मानो आँसू आये बलि-महमानों तक
सुख कर जग के क्लेश
प्यारे भारत देश।।
तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे
तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे!
राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी
काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी
बातें करे दिनेश
प्यारे भारत देश।।
जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे
हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे
सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं
काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं
श्रम के भाग्य निवेश
प्यारे भारत देश।।
वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे
उठ आई यह भरत-मेदिनी, शीतल मन्द समीरे
बोल रहा इतिहास, देश सोये रहस्य है खोल रहा
जय प्रयत्न, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा,
जय-जय अमित अशेष
प्यारे भारत देश।।
– माखनलाल चतुर्वेदी makhanlal chaturvedi ki desh bhakti rachnaye- देशभक्ति कविता हिन्दी में Short Desh Bhakti Poem in Hindi Desh Bhakti Kavita
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Pls sharw Kavita on svatantra diwas by APJ Abdul kalam
kya mast mast mast
Sooo nice..
BEAUTIFUL BEAUTIFUL BEAUTIFUL WAH YAAR MAST MAST MAST
MUJHE ABDUL KALAM WALI KAVITA BAHUT ACHI LAGI THANKU.MERA APSE NIVEDAN HAI KI AAP AAGE KI KAVITA SHARE KDRE THANKU.
What a beautiful poem… speechless
Nice yaar
MAST MAST MAST HAI !