प्रेरित करने वाली हिंदी कहानी – Inspirational Story in Hindi Language
प्रेरित करने वाली हिंदी कहानी – Inspirational Story in Hindi Language
- गलतफहमी
- सीता ज्यों हीं मायके से आई, रमेश से नौकरी करने को पूछ बैठी. रमेश ने कहा- बच्चों की देखभाल कौन करेगा ? सीता भी कुछ उलझन में पड़ गई, क्योंकि बच्चों का ख्याल आ गया, आखिर इनका भविष्य बीतता जा रहा है और इसी के साथ खर्च और रमेश की चिंता बढ़ती जा रही थी. और रमेश की आय भी कोई बहुत अधिक नहीं थी.
सीता मात्र करवट बदलकर सुबह करती थी. अंततः वह रमेश से फिर पूछ बैठी, मुझे भी नौकरी करने दो, परेशानी कुछ तो कम होगी. कर्ज के गर्त में गिरते हुए रमेश को सीता की बात ठीक लगी, उसने कहा- हाँ कर सको तो ठीक है. थोड़ी कोशिश के बाद सीता को भी नौकरी लग गई. अब दोनों कार्यालय और घर के काम करने लगे.
एक दिन सीता के कार्यालय से आने में 2 घण्टे की देरी हो गई. रमेश घर के काम में लगा हुआ है, साथ हीं सीता के बारे में सोच रहा है. तभी सीता एक पुरुष के साथ घर में प्रवेश करती है और चाय-नाश्ते के बाद उस व्यक्ति को विदा करती है.
नवयुवक के जाते हीं रमेश सीता पर बरस पड़ता है, तू अब तक क्या कर रही थी जबकि रात के आठ बजने वाले हैं. कुलटा कहीं की इस मंशा की पूर्ति के लिए नौकरी करना चाहती थी. मैं समझा की दोनों की नौकरी से आमदनी बढ़ेगी और हम अच्छा जीवन व्यतीत करेंगे. पर हुआ उल्टा हीं. तभी तो कहा जाता है, कि स्त्रियाँ चहारदीवारी से बाहर जाते हीं अविश्वसनीय हो जाती हैं. धर्म और चरित्र का ख्याल खो देती हैं.
सीता निर्दोष थी, फिर भी अपने स्वभाव के कारण चुप रही. रमेश ने कहा, चुप रहने से काम नहीं चलने वाला है. अब मैं तुमसे तलाक लेना चाहता हूँ, क्योंकि अब तुम किसी और की प्रेयसी हो… मेरी नहीं. तुम तलाक के लिए तैयार रहना. बच्चों का भार मैं वहन करूंगा. तुमने मेरे साथ विश्वासघात किया है.
आत्मसम्मान की भावना सब में होती है, सीता भी भला कबतक शांत रहती. आख़िरकार बोल पड़ी- मैं नहीं जानती थी कि आप आधुनिक होते हुए भी इतने शंकालु मानसिकता के हैं. मैं तो निर्दोष हूँ, पर फिर भी यदि आप मेरा किसी से बोलना या किसी के साथ काम करना नापसंद करते हैं, तो मैं भी तलाक के लिए तैयार हूँ. मैं पिंजरे की चिड़िया बनकर नहीं रहना चाहती, ऐसी मानसिकता के कारण हीं स्त्रियों को विद्रोह करना पड़ता है.
इतना सुनते हीं रमेश का पशुत्व जागता है, वह डंडे से सीता की पिटाई करता है. सीता रोते-रोते पूरी रात बिताती है.
आज तलाक का दिन है. जीवनसाथी बिछड़ जायेंगे. रमेश यह जानने की कोशिश करता है कि कहीं सीता निर्दोष तो नहीं है. अदालत की ओर बढ़ते कदम के साथ रमेश के मन में यह प्रश्न कौंधने लगता है.
- वह सोचने लगता है, कि कोई स्त्री गलत होकर भी ऐसे जवाब नहीं दे सकती है. तभी सामने से उसे सीता आती हुई दिखाई देती है, रमेश सीता से कुछ देर अकेले में बात करने की विनती करता है. सीता बात करने के लिए तैयार हो जाती है. रमेश सीता से अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगता है, सीता कुछ देर सोचने के बाद रमेश को अपनी गलती सुधारने का एक मौका देने के लिए तैयार हो जाती है. दोनों फिर घर की ओर चल पड़ते हैं.
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