Maa par kavita in hindi – माँ पर कविता इन हिंदी
माँ पर 3 कविता || Maa Par Kavita in Hindi || श्रेष्ठ कविताएँ कविताओं का संकलन
- मां को समर्पित लफ़्ज़ों में भरे जज़्बात… मदर्स डे स्पेशल पोएम्स
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कविता : 1 – वो मां होती है ।
हर दर्द की दवा होती है
जब कोई नहीं होता
तब हमदर्द होती है ।
मेरी नींदों में स्वप्न की तरह
मेरी खुशियों में दुआओ की तरह
चिंता चिता नहीं बनती
जब वो पास होती है ।
कुम्भकार है वह कोई
आकार दिया मुझे
ठंडक रहती है कलेजे में
जब वो आँचल में छुपाती है ।
थक कर आती हूँ जब में
मुस्कान से जोश भर जाती है
आनन्दित कर जाती है
जब वो ममता झलकाती है ।
सवांरती है बिखरे तिनकों को
संभालती है जज़्बातों को
दुनिया की इस तपिश में
जब वो शीतल झोंका देती है ।
लेखिका – जयति जैन ‘नूतन’, भोपाल ।
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कविता : 2 उसका ही अंश हूँ मैं
उसकी ही पहचान हूँ
वो जिसने मुझे नकारा नहीं
vo वो जिसने मुझे अपनाया है
वो औरत है एक माँ
मेरी माँ !
वो कहती है जिंदगी हूँ में उसकी
अभिमान हूँ में उसका
वो औरत कोई और नहीं
वो है एक माँ
मेरी माँ !
वो ठंडी छाव है इस कड़ी धूप में
वो है तो मैं हूँ इस दुनिया में
vo वो है तो अस्तित्व मेरा
वो है कोई और नहीं
मेरी माँ !
जिसकी बदौलत मैं हूँ
आज यहाँ !
लेखिका – जयति जैन ‘नूतन’, भोपाल
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कविता 3 : – वो औरत एक मां है
उलझे हुए से फिरते हैं
नादिम सा एहसास लिए
दस्तबस्ता शहर में
वो नूर है
अंधेरे गुलिस्तां में ।
डरावने ख़ौफ़ के साये
हर शख्स बेगाने से
शहर भर के हंगामों में
वो कायनात है
उजड़े गुलिस्तां में ।
हाथ की लकीरें मिटती
जख्मों के निशानों से
दर्द-ए-दवा सी वो
ठंडे फव्वारे सी ।
खुदा भी झुके जिसके आगे
एक नुकरई खनक सी
फनकार है वो
जादूगरनी सी ।
आंखें भर भर आयें
जब लब कपकपायें
शबनम की बूंद वो
जन्नत की बारिश सी ।
( नादिम- लज़्ज़ित, दस्तबस्ता – बंधे हुए हाथ, नूर – ज्योति, कायनात – जन्नत, गुलिस्तां – गुलशन, नुकरई – चांदी जैसी )
— जयति जैन “नूतन” — - माता पिता पर शानदार कविता || Mata Pita Par Kavita in Hindi poem line poetry
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