चेतक के वीरता की कहानी || Maharana Pratap Horse Chetak History in Hindi :

maharana pratap horse chetak history in hindi – चेतक की कहानी
Maharana Pratap Horse Chetak History in Hindi || चेतक के वीरता की कहानी ||`

चेतक के वीरता की कहानी || Maharana Pratap Horse Chetak History in Hindi

  • चेतक वीर महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा था.
  • हल्दीघाटी के युद्ध में चेतक ने अद्भुत स्वामीभक्ति बुद्धिमत्ता और वीरता का उदाहरण प्रस्तुत किया था.
  • चेतक युद्ध में बुरी तरह घायल हो जाने के बाद भी महाराणा प्रताप को रणक्षेत्र से बाहर सुरक्षित लाने में सफल हुआ था.
  • Chetak चेतक की गति इतनी तेज हुआ करती थी, कि किसी दूसरे घोड़े के जरिए चेतक का पीछा कर पाना असंभव था.
  • चेतक अरबी मूल का घोड़ा था.
  • जल्दी ही चेतक की चर्चा आसपास के क्षेत्र में होने लगी.
  • चेतक की गति इतनी अधिक तेज होती थी मानो वह हवा के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा हो.
  • चेतक की गति इतनी अधिक थी कि वह सवार व्यक्ति को लेकर क्षण भर में बहुत आगे पहुंच जाता था.
  • एक वाक्य में कहें तो चेतक महाराणा प्रताप की ताकत बन गया था.
  • क्योंकि चेतक विशेष था इसलिए महाराणा उसे विशेष स्नेह देते थे, और उस का विशेष ख्याल रखते थे.
  • चेतक की अद्भुत क्षमताओं ने उसे विशेष ऐतिहासिक पहचान दी है.
  • Chetak चेतक दुर्गम पथों पर भी आसानी से चलता था.

  • चेतक महाराणा प्रताप के लिए ईश्वर के वरदान से कम बिल्कुल भी नहीं था.
  • हल्दीघाटी के युद्ध में एक बरसाती नाले को पार करते हुए चेतक चोटिल हो गया और अंततः वीरगति को प्राप्त हुआ.
  • चेतक के वीरगति को प्राप्त होने के बाद, महाराणा प्रताप और उनके भाई शक्ति सिंह ने स्वयं अपने हाथों से चेतक का दाह संस्कार किया था.
  • चेतक की स्वामीभक्ति और वीरता के गीत आज भी मेवाड़ में गाए जाते हैं.
  • जिस जगह पर महाराणा प्रताप और उनके भाई शक्ति सिंह में चेतक का दाह संस्कार किया था उस स्थान पर
    आज चेतक की समाधि बनी हुई है.
  • चेतक ने कई लोगों को प्रेरित किया है और आने वाली पीढ़ियों को भी वह प्रेरित करता रहेगा.

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