महिला सशक्तिकरण कविता Mahila Sashaktikaran Poem
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Mahila Sashaktikaran Poem
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‘क्यों मुझको?’
क्यों मुझको सीमाओं का संसार मिला है?
क्यों मुझको संवेदनाओं का विकार मिला है?
क्यों ‘दुर्गा’ की संज्ञा देकर
‘अबला’ का उपनाम मिला
क्यों ‘लक्ष्मी’ का रूप कहकर
समाज का अपमान मिला
जिसका उद्भव हुआ मेरे गर्भ में
उसमें भी पुरुषार्थ का अभिमान मिला
क्यों मुझको पग-पग पर कुप्रथाओं का प्रहार मिला है?
क्यों मुझको सीमाओं का संसार मिला है?
किसी की अर्धांगिनी,
किसी की जननी हूँ मैं,
नवजात की जन्मपूर्व धरती हूँ मैं,
सृष्टि हूँ मैं, समष्टि हूँ मैं
क्यों मेरे उन्मुक्त प्रतिभाओं को,
बेड़ियों का पुरस्कार मिला है?
क्यों मुझको सीमाओं का संसार मिला है?
– Jaya Pandey -
Beti Bachao Beti Padhao Poem
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वो कह रही थी कि उसे स्कूल जाना है
वो कह रही थी कि उसे स्कूल जाना है।
पढना है, पढाना है, ग्यान की गंगा बहाना है।
कहीँ किसी आङन में कलपना औऱ टेरेसा के अवतार को जगाना है।
उसके सपने बुलंद हैं
मगर मंजिले तो बेड़ीयो मे बंद हैं
दूर कही पर स्कूल के दरवाजे हैं
औऱ रसते मे कुछ दंगों के शहजादे हैं
वो डरती है…. कहती है…
”नारे तो बहुत लगाते हो!
ओ मन्त्रियो! तुम बेटी कहां बचाते हो?
लौट आते हैं हम आधे राह से,
बस्ते लेकर निकले थे कितनी चाह से..
वो हमारे शोरगुल के रास्ते
रहते हैं अब चुपचाप से…
कुछ बेसुध गुंडों के खौफ से,
क्यों डरते हैं सब उनके रौब से..?
राष्ट्र निर्माण का यही संकल्प तुम्हारा था?
समता के संविधान मे क्या हिस्सा यही हमारा था?? ”
व्यथाएँ सुन लो, सुधार के आसार हैं
उसकी पढ़ने की चाह ही विकास का आधार है
दूर कहीं अशिक्षा के अंधेरों में दीपक जलाना है
वो कह रही थी उसे स्कूल जाना है ।
– Jaya Pandey - 4 Beti Bachao Poems in Hindi बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कविता beti padhao Kavita