Mathrubhumi Poem in Hindi मातृभूमि पोएम इन हिंदी मातृभूमि की कहानी pankti panktiyan :

mathrubhumi poem in hindi – मातृभूमि पोएम इन हिंदी
Mathrubhumi Poem in Hindi

Mathrubhumi Poem in Hindi मातृभूमि पोएम इन हिंदी

  • मातृभूमि की कहानी

  • मातृभूमि की यही कहानी |
    नित नव पल्लव सूख रहे हैं,
    स्वप्न हृदय के टूट रहे हैं |
    उपवन कैसे अस्त-व्यस्त है,
    नहीं नजर आता रँग धानी |
    आजादी के अंकुर फूटे,
    सत्य मार्ग से रिश्ते टूटे |
    भ्रष्टाचार, कुरीति फली है,
    बढ़ती दिन-दिन है हैवानी |
    मातृभूमि की यही कहानी |
    प्रहरी कैसे लुप्त हो गए,
    पुष्प खिले वे कहाँ खो गए |
    उनको खिला सके न कोई,
    नहीं सरों में इतना पानी |
    मातृभूमि की यही कहानी |
    याद मनुज माली को करता,
    पीर अगाध हृदय में भरता |
    कोई ऐसा नहीं बचा जो,
    लिखे देश की नयी कहानी |
    मातृभूमि की यही कहानी |
    – कुलदीप पाण्डेय आजाद

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