New Poems in Hindi – क्या लिखूं ? मन की कहानी लिखूं या आँखों का पानी लिखूं :

New Poems in Hindi – न्यू पोएम्स इन हिंदी
New Poems in Hindi - क्या लिखूं ? - New Poems in Hindi

  • क्या लिखूं
  • क्या लिखूं   ?
    मन की कहानी लिखूं
    या आँखों का पानी लिखूं
    क्या लिखूं  ?
    तितलियों का शरमाना लिखूं
    या भँवरो का गुनगुनाना लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    हवाओं की झनकार लिखूं
    या कोयल के गीत सदाबहार लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    बादलो में चाँद का छिप जाना लिखूं
    या सूरज का हर रोज मुस्कुराना लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    धरती का श्रृंगार लिखूं
    या बूंदों का उपहार लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    फूलों की महक लिखूं
    या पत्तों की खनक लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    गंगा की पावनता लिखूं
    या नारी की शालीनता लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    दीपक का जलना लिखूं
    या अंधकार चीरकर आलोक का पथ गढ़ना लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    तारों का टिमटिमाना लिखूं
    या मेरा उन्हें निहारते जाना लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    पंछियों का चहचहाना लिखूं
    या कलियों का चटकना लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    मंदिर की घंटियों की आवाज लिखूं
    या मस्जिद की अजान का आगाज लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    सरिता का निरंतर बहना लिखूं
    या झरने का पहाड़ों से गिरना लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    सर्दियो की भीनी धूप का एहसास लिखूं
    या रात में पड़ती ओस का आभास लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    सावन की रंगीली बहार लिखूं
    या पतझड़ के मौसम का संहार लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    हवाओं की मीठी धुन सुनाना लिखूं
    या फसल का उस पर लहराना लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    पतंगे का लौ के प्रेम में मिट जाना लिखूं
    या सूर्यमुखी का भानु से नयन मिलाना लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    कृष्ण की बांसुरी का संगीत लिखूं
    या मीरा की उनसे प्रीत लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    गुरु के चरण स्पर्श का अद्भुत सार लिखूं
    या माँ के कोमल स्पर्श में बसा प्यार लिखूं
    क्या लिखूं   ?
    बचपन के लड़कपन का जमाना लिखूं
    या बारिशो में वो बेवजह का छपछपाना लिखूं
    क्या लिखूं…………………………….
    क्या लिखूं…………………………….
    क्या लिखूं…………………………….
    -आस्था गंगवार
  • ‘देश मेरा भी’

  • देश मेरा भी आज विकसित होता,
    अगर यहां भी सोच का दायरा विस्तृत होता,
    यहां सरकार का नुस्ख निकाला जाता है,
    आरक्षण को भ्रष्टाचार का कारण बताया जाता है,
    यदि सबका जीवन स्वयं-केंद्रित होता
    तो जान लो हर व्यक्ति समृद्ध होता,
    मेरे समाज में वास्तविकता से ज़्यादा कल्पनाएँ हैं,
    यहां हर बात में बातें बनाने की परम्पराएं हैं,
    राज काज, नियम कानून, सबकुछ प्रतिष्ठित होता
    अगर हरकोई अपने आप में व्यस्त और व्यवस्थित होता,
    देश मेरा भी आज विकसित होता…
    यहां अपराध, यहां गरीबी, यहां अंधविश्वास के व्यापारी भी हैं
    यहां अशिक्षा, यहां अज्ञान, यहां स्वार्थ के व्यापारी भी हैं,
    यहां चुगलखोरी, यहां भ्रांतियों की महामारी भी है,
    यहां छोटे दिमाग वालों को छोटी सोच की बीमारी भी है,
    तभी चरम पर बेरोजगारी भी है ।
    सबके मन मे सफलता का ध्येय होता,
    तो निश्चित ही, देश भी सफल पथ पर अग्रसरित होता,
    देश मेरा भी आज विकसित होता ।
    – Jaya Pandey
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