11 देशभक्ति कविताएँ || Patriotic poems in Hindi by famous poets desh bhakti :

patriotic poems in hindi by famous poets – देशभक्ति कविताएँ Patriotic poems in Hindi by famous poets देशभक्ति कविताएँ desh bhakti kavita

desh bhakti kavita

  • हिमाद्रि तुंग शृंग से – Patriotic poems in Hindi by famous poets

    हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
    स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती
    ‘अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
    प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!’
    असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी
    सपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी!
    अराति सैन्य सिंधु में, सुवाड़वाग्नि से जलो,
    प्रवीर हो जयी बनो – बढ़े चलो, बढ़े चलो!
    – जयशंकर प्रसाद

  • पुष्प की अभिलाषा – Patriotic poems in Hindi by famous poets – desh bhakti kavita

    चाह नहीं, मैं सुरबाला के
    गहनों में गूँथा जाऊँ,
    चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
    प्यारी को ललचाऊँ,
    चाह नहीं सम्राटों के शव पर
    हे हरि डाला जाऊँ,
    चाह नहीं देवों के सिर पर
    चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
    मुझे तोड़ लेना बनमाली,
    उस पथ पर देना तुम फेंक!
    मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
    जिस पथ पर जावें वीर अनेक!
    – माखनलाल चतुर्वेदी

  • मैं अखिल विश्व का गुरू महान – Patriotic poems in Hindi by famous poets – desh bhakti kavita

    मैं अखिल विश्व का गुरू महान,
    देता विद्या का अमर दान,
    मैंने दिखलाया मुक्ति मार्ग
    मैंने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान।
    मेरे वेदों का ज्ञान अमर,
    मेरे वेदों की ज्योति प्रखर
    मानव के मन का अंधकार
    क्या कभी सामने सका ठहर?
    मेरा स्वर नभ में घहर-घहर,
    सागर के जल में छहर-छहर
    इस कोने से उस कोने तक
    कर सकता जगती सौरभ भय।
    – अटल बिहारी वाजपेयी

  • भारत जमीन का टुकड़ा नहीं – Patriotic poems in Hindi by famous poets देशभक्ति कविताएँ desh bhakti kavita

    भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,
    जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
    हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है,
    पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।
    पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं।
    कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है।
    यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है,
    यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है।
    इसका कंकर-कंकर शंकर है,
    इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है।
    हम जियेंगे तो इसके लिये
    मरेंगे तो इसके लिये।
    – अटल बिहारी वाजपेयी

  • शहीदों में तू नाम लिखा ले रे – Patriotic poems in Hindi by famous poets देशभक्ति कविताएँ desh bhakti kavita

    वह देश, देश क्या है, जिसमें
    लेते हों जन्म शहीद नहीं।
    वह खाक जवानी है जिसमें
    मर मिटने की उम्मीद नहीं।
    वह मां बेकार सपूती है,
    जिसने कायर सुत जाया है।
    वह पूत, पूत क्या है जिसने
    माता का दूध लजाया है।
    सुख पाया तो इतरा जाना,
    दुःख पाया तो कुम्हला जाना।
    यह भी क्या कोई जीवन है:
    पैदा होना, फिर मर जाना!
    पैदा हो तो फिर ऐसा हो,
    जैसे तांत्या बलवान हुआ।
    मरना हो तो फिर ऐसे मर,
    ज्यों भगतसिंह कुर्बान हुआ।
    जीना हो तो वह ठान ठान,
    जो कुंवरसिंह ने ठानी थी।
    या जीवन पाकर अमर हुई
    जैसे झांसी की रानी थी।
    यदि कुछ भी तुझ में जीवन है,
    तो बात याद कर राणा की।
    दिल्ली के शाह बहादुर की
    औ कानपूर के नाना की।
    तू बात याद कर मेरठ की,
    मत भूल अवध की घातों को।
    कर सत्तावन के दिवस याद,
    मत भूल गदर की बातों को।
    आज़ादी के परवानों ने जब
    खूं से होली खेली थी।
    माता के मुक्त कराने को
    सीने पर गोली झेली थी।
    तोपों पर पीठ बंधाई थी,
    पेड़ों पर फांसी खाई थी।
    पर उन दीवानों के मुख पर
    रत्ती-भर शिकन न आई थी।
    वे भी घर के उजियारे थे
    अपनी माता के बारे थे।
    बहनों के बंधु दुलारे थे,
    अपनी पत्नी के प्यारे थे।
    पर आदर्शों की खातिर जो
    भर अपने जी में जोम गए।
    भारतमाता की मुक्ति हेतु,
    अपने शरीर को होम गए।
    कर याद कि तू भी उनका ही
    वंशज है, भारतवासी है।
    यह जननी, जन्म-भूमि अब भी,
    कुछ बलिदानों की प्यासी है।
    अंग्रेज गए जैसे-तैसे,
    लेकिन अंग्रेजी बाकी है।
    उनके बुत छाती पर बैठे,
    ज़हनियत अभी वह बाकी है।
    कर याद कि जो भी शोषक है
    उसको ही तुझे मिटाना है।
    ले समझ कि जो अन्यायी है
    आसन से उसे हटाना है।
    ऐसा करने में भले प्राण
    जाते हों तेरे, जाने दे।
    अपने अंगों की रक्त-माल
    मानवता पर चढ़ जाने दे।
    तू जिन्दा हो और जन्म-भूमि
    बन्दी हो तो धिक्कार तुझे।
    भोजन जलते अंगार तुझे,
    पानी है विष की धार तुझे।
    जीवन-यौवन की गंगा में
    तू भी कुछ पुण्य कमा ले रे!
    मिल जाए अगर सौभाग्य
    शहीदों में तू नाम लिखा ले रे!
    – गोपाल प्रसाद व्यास

  • प्रयाण-गीत – Patriotic poems in Hindi by famous poets देशभक्ति कविताएँ desh bhakti kavita

    प्रयाण-गीत गाए जा!
    तू स्वर में स्वर मिलाए जा!
    ये जिन्दगी का राग है–जवान जोश खाए जा!
    प्रयाण-गीत …
    तू कौम का सपूत है!
    स्वतन्त्रता का दूत है!
    निशान अपने देश का उठाए जा, उठाए जा !
    प्रयाण-गीत…
    ये आंधियां पहाड़ क्या?
    ये मुश्किलों की बाढ़ क्या?
    दहाड़ शेरे हिन्द! आसमान को हिलाए जा !
    प्रयाण-गीत…
    तू बाजुओं में प्राण भर!
    सगर्व वक्ष तान कर!
    गुमान मां के दुश्मनों का धूल में मिलाए जा।
    प्रयाण-गीत गाए जा!
    तू स्वर में स्वर मिलाए जा!
    ये जिन्दगी का राग है–जवान जोश खाए जा।
    – गोपाल प्रसाद व्यास

  • नमामि मातु भारती – Patriotic poems in Hindi by famous poets देशभक्ति कविताएँ desh bhakti kavita

    नमामि मातु भारती !
    हिमाद्रि-तुंग, श्रींगिनी
    त्रिरंग- अंश- रंगिनी
    नमामि मातु भारती
    सहस्र दीप आरती !
    समुद्र- पाद- पल्लवे
    विराट विश्व –वल्लभे
    प्रबुद्ध बुद्ध की धरा
    प्रणम्य हे वसुंधरा !
    स्वराज्य – स्वावलंबिनी
    सदैव सत्य – संगिनी
    अजेय ,श्रेय – मंडिता
    समाज-शास्त्र-पण्डिता !
    अशोक -चक्र –संयुते
    समुज्ज्वले समुन्नते
    मनोग्य मुक्ति –मंत्रिणी
    विशाल लोकतंत्रिनी !
    अपार शस्य – सम्पदे
    अजस्र श्री पड़े-पड़े
    शुभन्करे – प्रियंवदे
    दया – क्षमा वंशवदे !
    मनस्विनी – तपस्विनी
    रणस्थली – यशस्विनी
    कराल- काल- कलिका
    प्रचंड मुंड- मालिका
    अमोघ शक्ति – धारिणी
    कुराज कष्ट – वारिणी
    अदैन्य मंत्र – दायिका
    नमामि राष्ट्र – नायिका !
    – गोपाल प्रसाद व्यास

  • कदम कदम बढ़ाये जा

    कदम कदम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा
    ये जिन्दगी है क़ौम की, तू क़ौम पे लुटाये जा
    शेर-ए-हिन्द आगे बढ़, मरने से फिर कभी ना डर
    उड़ाके दुश्मनों का सर, जोशे-वतन बढ़ाये जा
    कदम कदम बढ़ाये जा …
    हिम्मत तेरी बढ़ती रहे, खुदा तेरी सुनता रहे
    जो सामने तेरे खड़े, तू ख़ाक मे मिलाये जा
    कदम कदम बढ़ाये जा …
    चलो दिल्ली पुकार के, क़ौमी निशां सम्भाल के
    लाल किले पे गाड़ के, लहराये जा लहराये जा
    कदम कदम बढ़ाये जा…
    – राम सिंह ठाकुर

  • जियो जियो अय हिन्दुस्तान – Patriotic poems in Hindi by famous poets देशभक्ति कविताएँ desh bhakti kavita

    जाग रहे हम वीर जवान,
    जियो जियो अय हिन्दुस्तान !
    हम प्रभात की नई किरण हैं, हम दिन के आलोक नवल,
    हम नवीन भारत के सैनिक, धीर,वीर,गंभीर, अचल ।
    हम प्रहरी उँचे हिमाद्रि के, सुरभि स्वर्ग की लेते हैं ।
    हम हैं शान्तिदूत धरणी के, छाँह सभी को देते हैं।
    वीर-प्रसू माँ की आँखों के हम नवीन उजियाले हैं
    गंगा, यमुना, हिन्द महासागर के हम रखवाले हैं।
    तन मन धन तुम पर कुर्बान,
    जियो जियो अय हिन्दुस्तान !
    हम सपूत उनके जो नर थे अनल और मधु मिश्रण,
    जिसमें नर का तेज प्रखर था, भीतर था नारी का मन !
    एक नयन संजीवन जिनका, एक नयन था हालाहल,
    जितना कठिन खड्ग था कर में उतना ही अंतर कोमल।
    थर-थर तीनों लोक काँपते थे जिनकी ललकारों पर,
    स्वर्ग नाचता था रण में जिनकी पवित्र तलवारों पर
    हम उन वीरों की सन्तान ,
    जियो जियो अय हिन्दुस्तान !
    हम शकारि विक्रमादित्य हैं अरिदल को दलनेवाले,
    रण में ज़मीं नहीं, दुश्मन की लाशों पर चलनेंवाले।
    हम अर्जुन, हम भीम, शान्ति के लिये जगत में जीते हैं
    मगर, शत्रु हठ करे अगर तो, लहू वक्ष का पीते हैं।
    हम हैं शिवा-प्रताप रोटियाँ भले घास की खाएंगे,
    मगर, किसी ज़ुल्मी के आगे मस्तक नहीं झुकायेंगे।
    देंगे जान , नहीं ईमान,
    जियो जियो अय हिन्दुस्तान।
    जियो, जियो अय देश! कि पहरे पर ही जगे हुए हैं हम।
    वन, पर्वत, हर तरफ़ चौकसी में ही लगे हुए हैं हम।
    हिन्द-सिन्धु की कसम, कौन इस पर जहाज ला सकता ।
    सरहद के भीतर कोई दुश्मन कैसे आ सकता है ?
    पर की हम कुछ नहीं चाहते, अपनी किन्तु बचायेंगे,
    जिसकी उँगली उठी उसे हम यमपुर को पहुँचायेंगे।
    हम प्रहरी यमराज समान
    जियो जियो अय हिन्दुस्तान!
    – रामधारी सिंह दिनकर

  • वह देश कौन-सा है? – Patriotic poems in Hindi by famous poets

    मन-मोहिनी प्रकृति की गोद में जो बसा है।
    सुख-स्वर्ग-सा जहाँ है वह देश कौन-सा है?
    जिसका चरण निरंतर रतनेश धो रहा है।
    जिसका मुकुट हिमालय वह देश कौन-सा है?
    नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं।
    सींचा हुआ सलोना वह देश कौन-सा है?
    जिसके बड़े रसीले फल, कंद, नाज, मेवे।
    सब अंग में सजे हैं, वह देश कौन-सा है?
    जिसमें सुगंध वाले सुंदर प्रसून प्यारे।
    दिन रात हँस रहे है वह देश कौन-सा है?
    मैदान, गिरि, वनों में हरियालियाँ लहकती।
    आनंदमय जहाँ है वह देश कौन-सा है?
    जिसकी अनंत धन से धरती भरी पड़ी है।
    संसार का शिरोमणि वह देश कौन-सा है?
    सब से प्रथम जगत में जो सभ्य था यशस्वी।
    जगदीश का दुलारा वह देश कौन-सा है?
    पृथ्वी-निवासियों को जिसने प्रथम जगाया।
    शिक्षित किया सुधारा वह देश कौन-सा है?
    जिसमें हुए अलौकिक तत्वज्ञ ब्रह्मज्ञानी।
    गौतम, कपिल, पतंजलि, वह देश कौन-सा है?
    छोड़ा स्वराज तृणवत आदेश से पिता के।
    वह राम थे जहाँ पर वह देश कौन-सा है?
    निस्वार्थ शुद्ध प्रेमी भाई भले जहाँ थे।
    लक्ष्मण-भरत सरीखे वह देश कौन-सा है?
    देवी पतिव्रता श्री सीता जहाँ हुईं थीं।
    माता पिता जगत का वह देश कौन-सा है?
    आदर्श नर जहाँ पर थे बालब्रह्मचारी।
    हनुमान, भीष्म, शंकर, वह देश कौन-सा है?
    विद्वान, वीर, योगी, गुरु राजनीतिकों के।
    कृष्ण थे जहाँ पर वह देश कौन-सा है?
    विजयी, बली जहाँ के बेजोड़ शूरमा थे।
    गुरु द्रोण, भीम, अर्जुन वह देश कौन-सा है?
    जिसमें दधीचि दानी हरिचंद कर्ण से थे।
    सब लोक का हितैषी वह देश कौन-सा है?
    बाल्मीकि, व्यास ऐसे जिसमें महान कवि थे।
    श्रीकालिदास वाला वह देश कौन-सा है?
    निष्पक्ष न्यायकारी जन जो पढ़े लिखे हैं।
    वे सब बता सकेंगे वह देश कौन-सा है?
    छत्तीस कोटि भाई सेवक सपूत जिसके।
    भारत सिवाय दूजा वह देश कौन-सा है?
    – रामनरेश त्रिपाठी

  • जय राष्ट्रीय निशान!  – Patriotic poems in Hindi by famous poets

    जय राष्ट्रीय निशान!!!
    लहर लहर तू मलय पवन में,
    फहर फहर तू नील गगन में,
    छहर छहर जग के आंगन में,
    सबसे उच्च महान!
    सबसे उच्च महान!
    जय राष्ट्रीय निशान!!
    जब तक एक रक्त कण तन में,
    डिगे न तिल भर अपने प्रण में,हाहाकार मचावें रण में,
    जननी की संतान
    जय राष्ट्रीय निशान!
    मस्तक पर शोभित हो रोली,
    बढे शुरवीरों की टोली,
    खेलें आज मरण की होली,
    बूढे और जवान
    बूढे और जवान!
    जय राष्ट्रीय निशान!
    मन में दीन-दुःखी की ममता,
    हममें हो मरने की क्षमता,
    मानव मानव में हो समता,
    धनी गरीब समान
    गूंजे नभ में तान
    जय राष्ट्रीय निशान!
    तेरा मेरा मेरुदंड हो कर में,
    स्वतन्त्रता के महासमर में,
    वज्र शक्ति बन व्यापे उस में,
    दे दें जीवन-प्राण!
    दे दें जीवन प्राण!
    जय राष्ट्रीय निशान!!
    – सोहनलाल द्विवेदी

.