Poem On Barish in Hindi – पहली बारिश पर कविता
बारिश पर कविता || Poem On Barish in Hindi font first rain barsat kobita
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- 2. दूसरी कविता – पहली बारिश —– पूरी कविता पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- 3. तीसरी कविता – पहली बारिश की बूदें —– पूरी कविता पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
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1. पहली कविता
पहली फुहार~~~~~~~~~~~~~
पहली फुहार बारिश की आई ।
बगियाँ पर हरियाली छाई ।।
बहता पानी कल कल कल ।
नन्हें भागे हो हलचल ।।
झूम उठे बाहों के झूले ।
बच्चों संग हम सब कुछ भूले ।।
इठलाती कागज की कश्ती ।
याद आई बचपन की मस्ती ।।
बादल बहराइच झर झर झर।
मेंढक बोले टर टर टर ।।
बूंदें कैसी चमक रही है ।
मोती जैसे चमक रही है ।।
रंग बिरंगे छाते देखो ।
पक्षियों की बारातें देखो ।।
मोर नाचते घूम-घूम। कर ।
चिड़िया गाए झूम झूम कर ।।
गरजे बादल अब घनघोर ।
झन झन झन झींगुर का शोर ।।
बारिश हो जाए ऐसी रोज़ ।
हो जाए हम सब की मौज ।।
डॉ. किरण पांचाल ( अंकनी )
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2. दूसरी कविता
पहली बारिशजब आयी साल की पहली बारिश
गिरी कोख से बादल की, तो आकर मिली जमीन से ,
तालाबों का फिर से जन्म हुआ, भू भाग पानी से समतल हुआ!
खुली नींद तो पेड़-पौधों के बच्चे भी फिर से झूम उठे,
आने लगी खिड़की से खुशबू गर्म पकोड़ों की
जब आयी साल की पहली बारिश
रंग बदला प्रकृति का, आयी मिठास फल फूलों में ,
करें मोर आवाज़ जोर से, देखकर बादल घनघोर ,
फैलाये पंखुड़ी जब निकला एक नन्हा फूल गुलाब का ,
कागज की किस्ती भी चलने लगी पानी पे ज़ोर-ज़ोर से ,
बिना ख्याल कविता लिखने बैठा कवि सब छोड़ के
जब आयी साल की पहली बारिश
निकला मेंढक खोद ज़मीं को, वापस जैसे जन्म हुआ फिर उसका
पंख तले बच्चों को समेटे बैठी चिड़िया पेड़ पे ,
और घोसलों से चूजे झांके सब कुछ नया देख के
महसूस की हमने खशबू मिट्टी की……
जब शीत लहर का झोंका आया ,
गर्म हवा कहीं सो गयी, बदला रुख भी हवाओं का
रंग बिरंगे रंगों वाली छतरी भी घर से निकल पड़ी !
जब आयी साल की पहली बारिश
– रवि यादव
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3. तीसरी कविता - पहली बारिश की बूदें
पहली पहली बारिश की बूदें
मेरे दिल को आज ले डूबें
जो तू साथ-साथ चलता
मेरा दिल ना यूं मचलता।
पहली बारिश में तू मेरे साथ होता
मेरे हाथों में तेरा हाथ होता
जो तू साथ-साथ चलता
मेरा दिल ना यूं मचलता।
पहली बारिश में होती प्यार की बात
दिल से दिल की होती मुलाकात
जो तू साथ-साथ चलता
मेरा दिल ना यूं मचलता।
पहली बारिश में तन्हाई न होती
अगर तू आकर मुस्कुराई होती
जो तू साथ-साथ चलता
मेरा दिल ना यूं मचलता।
– विशाल गर्ग खुर्जा
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