भारत पर हिंदी कविता – Poem On Bharat in Hindi
भारत पर हिंदी कविता – Poem On Bharat in Hindi
- हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूँ
- भूखे, गरीब, बेरोजगार, अनाथों और लाचार की दास्तान लिखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूँ|
एक ही कपड़े में सारे मौसम गुजारनेवाले
सूखा, बाढ़ और ओले से फसल बर्बाद होने पर रोने और मरने वाले
कर्ज में डूबे हुए उस अन्नदाता किसान की जुबान लिखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूँ|
मैं भगत, सुभाषचन्द्र और आज़ाद जैसा भारत माँ का सपूत तो नहीं
लेकिन इन्हें सिर्फ जन्म और मरण दिन पर याद करने वाले और आंसूं बहाने वालों,
को इन सपूतों की याद दिलाने आया हूँ
फिर से बलिदान लिखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूँ|
मजहब के नाम पर ना हो लड़ाई
जाति धर्म के नाम पर ना हो कोई खाई
सब मिल-जुलकर रहे भाई भाई
जाति धर्म से ऊपर उठने के लिए इम्तिहान लिखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूँ|
सीमा पर देश के लिए लड़नेवाले
अपनी जान की परवाह किए बिना
देश पर मर मिटने वाले
मैं देश के ऐसे वीरों को सलाम लिखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूँ|
सब के पास हो रोज़गार और अपना व्यापार
देश मुक्त हो ग़रीबी, बेरोजगारी,बलात्कार और भष्ट्राचार
मैं देश के लोगो के सपने और अरमान लिखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूँ|
– विकास कुमार गिरि
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भारतवर्ष
मस्तक ऊँचा हुआ मही का, धन्य हिमालय का उत्कर्ष।
हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष॥
हरा-भरा यह देश बना कर विधि ने रवि का मुकुट दिया,
पाकर प्रथम प्रकाश जगत ने इसका ही अनुसरण किया।
प्रभु ने स्वयं ‘पुण्य-भू’ कह कर यहाँ पूर्ण अवतार लिया,
देवों ने रज सिर पर रक्खी, दैत्यों का हिल गया हिया!
लेखा श्रेष्ट इसे शिष्टों ने, दुष्टों ने देखा दुर्द्धर्ष!
हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष॥
अंकित-सी आदर्श मूर्ति है सरयू के तट में अब भी,
गूँज रही है मोहन मुरली ब्रज-वंशीवट में अब भी।
लिखा बुद्धृ-निर्वाण-मन्त्र जयपाणि-केतुपट में अब भी,
महावीर की दया प्रकट है माता के घट में अब भी।
मिली स्वर्ण लंका मिट्टी में, यदि हमको आ गया अमर्ष।
हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष॥
आर्य, अमृत सन्तान, सत्य का रखते हैं हम पक्ष यहाँ,
दोनों लोक बनाने वाले कहलाते है, दक्ष यहाँ।
शान्ति पूर्ण शुचि तपोवनों में हुए तत्व प्रत्यक्ष यहाँ,
लक्ष बन्धनों में भी अपना रहा मुक्ति ही लक्ष यहाँ।
जीवन और मरण का जग ने देखा यहीं सफल संघर्ष।
हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष॥
मलय पवन सेवन करके हम नन्दनवन बिसराते हैं,
हव्य भोग के लिए यहाँ पर अमर लोग भी आते हैं!
मरते समय हमें गंगाजल देना, याद दिलाते हैं,
वहाँ मिले न मिले फिर ऐसा अमृत जहाँ हम जाते हैं!
कर्म हेतु इस धर्म भूमि पर लें फिर फिर हम जन्म सहर्ष
हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष॥
– मैथिलीशरण गुप्त
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Aao milkar banaaye mera Bharat mahan….
Aao milkar banaaye mera Bharat mahan….
Sanskaar, pyar, ekta se jhud jaaye jahaan ek ek balak bane gunwaan……
Aesi kahaani banaaye Bharat ki dhuniya sadiyo tak gaati rahe issike ghungaan….
har javaan ki Sahidi par kiya hai dil se salam….
or vachan Diya h meri maa ko ki haste haste honge tujh pe kurbaan…..
har dhusman ko bnaakar dost badhaayege Bharat ki Shaan….
tab dard na hoga meri maa ki aankho m jab Nahi ladenge unke bache aaps me,
dono bhai maa ke liye denge jaan……
Ban jaayega tab mera Bharat mahan…
– Sapna mandani - bhookhe, gareeb, berojagaar, anaathon aur laachaar kee daastaan likhane aaya hoon
haan main aajaad hindustaan likhane aaya hoon|
ek hee kapade mein saare mausam gujaaranevaale
sookha, baadh aur ole se phasal barbaad hone par rone aur marane vaale
karj mein doobe hue us annadaata kisaan kee jubaan likhane aaya hoon
haan main aajaad hindustaan likhane aaya hoon|
main bhagat, subhaashachandr aur aazaad jaisa bhaarat maan ka sapoot to nahin
lekin inhen sirph janm aur maran din par yaad karane vaale aur aansoon bahaane vaalon,
ko in sapooton kee yaad dilaane aaya hoon
phir se balidaan likhane aaya hoon
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