हिंदी में किताबों पर कविता Poem on Books in Hindi Kitab pustak kitabon par Kavita :

poem on books in hindi – पोएम ऑन बुक्स इन हिंदी किताब पर 2 कविता - Poem on Books in Hindi Kitab Pustak Kitabon Par Kavita Poetry

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  • हम आपके लिए लाये हैं किताबों पर कविता. हमें उम्मीद है आपको कवितायें पसंद आएँगी.
  • पुस्तक ( किताबों ) को नमन – 1st Poem on Book

    पुस्तक ( किताबों ) तुम विचार बिंदु
    काव्य  औ  सद्ग्रंथ  हो
    शब्द – बूंद  से  भरे
    अथाह शब्द -सिंधु  हो ।
    लेखनी से प्रविष्ट तुम
    लेखक की उपलब्धि हो
    कहीं मन की पीड़ा तुम
    करते कहीं भाव-विभोर हो ।
    देश-काल  का  बखान
    वक्त  की पहचान हो
    कहीं पर आस्था तुम
    कहीं पर विश्वास हो ।
    ज्ञान  का  भंडार तुम
    करते शिक्षा दान हो
    गणित में अगणित तुम
    ज्ञान की तुम खान हो ।
    विद्या  का  दान कर
    बनाते  विद्वान   हो
    गीता और बाइबल तुम
    पुरान और  कुरान हो  ।
    पुस्तक ( किताबों ) तुम सबके मित्र
    लेखक की तो जान हो।
    – रचयिता –गोविंद बल्लभ बहुगुणा ऊंचा पुल हल्द्वानी

  • किताबें – 2nd Poem on Books in Hindi Language

    किताबों के सिवाय कुछ खरीदा ही नहीं
    लोग हँसते रहे हमको देखकर
    कभी मन की
    बात को किसी ने पढ़ा ही नहीं ।
    चंद चाँदी के सिक्के जमा कर न सके हम
    लोग दौलत के ढ़ेर पर बैठकर गरीबी को अलविदा कर न सके ।
    शब्दों की दूनियाँ में रम गयी है रूह मेरी
    किताबों से हो गई है दोस्ती मेरी
    हँसते हैं दिल से अब हम
    शिकवे किसी से रहे ही नहीं ।
    चंद कागज के पन्नों पर एहसासों की दौलत बिखेर दी
    कौन कहता है
    हम आगे बढ़े ही नहीं ।
    जब कहूँ अलविदा ए-जहाँ में तुझे
    दुनियाँ पहचाने मेरे शब्दों से मुझे
    आरजू अब और कुछ भी नहीं ।
    – राशि सिंह
    मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
    (अप्रकाशित एवं मौलिक )

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