माँ दुर्गा पर कविता – Poem on Maa Durga in Hindi mata durga navratri kavita :

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  • जय माँ दुर्गा

  • जय जगदम्बा जननी माँ दुर्गा भवानी,
    गाए तुम्हारी लीला
    संसार का हर प्राणी।
    तुम वीरों की शक्ति माता,
    कमज़ोरों की हो ढाल।
    तुम जग की करुणामयी माता,
    जगत तुम्हारा लाल।
    जब भी आई है जग पर,
    कोई विपत्ति भारी।
    तुमने आँचल फैला कर,
    हर ली पीड़ा सारी।
    तुम्हारे क्रोध के आगे ,
    देव- दानव काँपे थर थर।
    किंतु ममता छिपी हुई है,
    तेरे क्रोध के भी अंदर।
    तेरी शक्ति से ही शासित,
    है ब्रह्मांड ये सारा।
    जिसका न कोई साथी माता,
    उसका तू है सहारा।
    देवों ने जब पुकार लगाई,
    देख विपत्ति भारी।
    दौड़ी आई रक्षा को माता
    लिये सिंह सवारी।
    देख माता का रौद्र रूप
    महिषासुर घबराया।
    दानवों के प्रकोप से तूने,
    जग को मुक्त कराया।
    काली रूप धर कर तूने ही
    रक्तबीज को हराया।
    माता तेरी शक्ति के आगे
    कोई टिक न पाया।
    है दानव हर गली में माता
    सर्वत्र फैला अंधियारा।
    शक्ति रूप ले कर आओ माता,
    फैला दो उजियारा।
    — अंशु प्रिया ( anshu priya )
  • माँ नैनों में बस गई

  • माँ नैनों में बस गई है
    रूप अलग उसके कई हैं
    हो कर सिंह पर सवार
    माँ लगती रंगों की फ़ुहार
    बढ़ जाता रिश्तों में प्यार
    माँ लाती खुशियाँ अपार
    बढ़े समाज में संस्कार
    हो समस्त दुष्टों का संहार
    रूप सौंदर्य तेरा ऐसा अनोखा
    जैसा पहले कभी न देखा
    पावन तेरे कदम जब पड़ते
    रोग दरिद्र सब हैं घटते
    देख तुझे दुष्ट होते प्रकम्पित
    माँ तेरी शक्ति अलौकिक
    है मेरी यही प्रार्थना
    पूरी हो सबकी मनोकामना
    बढ़े सबकी तुझमें आस्था
    बारंबार प्रणाम तुझे हे जगत माता।
                                      – जया सहाय
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