माँ पर 10 कविता || Short Poem on Mother in Hindi language font :

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  • ( माँ-बेटी पर कविता )
    Maa-Beti Hindi Sad Poem

  • माँ, क्या तुम कोई परियों की कहानी हो?
    माँ, क्या तुम कोई परियों की कहानी हो?
    या मेरी कल्पना कोई पुरानी हो?
    क्या तुम कोई परियों की कहानी हो?
    क्या सचमुच मेरी ज़िंदगी में तेरा वजूद था?
    या बस मेरे सोच के दायरे में सिमटी हो?
    या हो कोई मधुर स्वप्न,
    जो बस नींदों में बनती हो?
    जिससे मेरा भाग्य है वंचित,
    तुम वो गोद सुहानी हो,
    माँ, क्या तुम कोई परियों की कहानी हो?
    अतीत में गूंजती मीठी सी आवाज़ हो तुम,
    एक धुंधली टिमटिमाती सी याद हो तुम,
    जिसे जी भर के बुला ना सकी,
    वही प्यारा सा अल्फ़ाज़ हो तुम,
    मेरे स्कूल के किस्सों,दोस्तों,
    पसन्द, नापसन्द हर चीज से अंजानी हो,
    माँ, क्या तुम कोई परियों की कहानी हो?
    इतनी कम समझ, इतनी छोटी उमर थी,
    कि मौत के मतलब से भी बेखबर थी,
    मैं रोज़ तेरा इंतेज़ार करती थी,
    सबसे तेरा ठिकाना पूछा करती थी,
    फिर भ्रम और वास्तविकता वक़्त ने बता दिया
    तेरे खालीपन ने मुझे लिखना सिखा दिया ।
    – Jaya Pandey

  • ( माँ पर दिल छू लेने वाली कविता )
    Maa Par Emotional Hindi Poem

  • ऐसी होती है माँ
  • हमारे हर मर्ज की दवा होती है माँ….
    कभी डाँटती है हमें, तो कभी गले लगा लेती है माँ…..
    हमारी आँखोँ के आंसू, अपनी आँखोँ मेँ समा लेती है माँ…..
    अपने होठोँ की हँसी, हम पर लुटा देती है माँ……
    हमारी खुशियोँ मेँ शामिल होकर, अपने गम भुला देती है माँ….
    जब भी कभी ठोकर लगे, तो हमें तुरंत याद आती है माँ…..
    दुनिया की तपिश में, हमें आँचल की शीतल छाया देती है माँ…..

    खुद चाहे कितनी थकी हो, हमें देखकर अपनी थकान भूल जाती है माँ….
    प्यार भरे हाथोँ से, हमेशा हमारी थकान मिटाती है माँ…..
    बात जब भी हो लजीज खाने की, तो हमें याद आती है माँ……
    रिश्तों को खूबसूरती से निभाना सिखाती है माँ…….
    लब्जोँ मेँ जिसे बयाँ नहीँ किया जा सके ऐसी होती है माँ…….
    भगवान भी जिसकी ममता के आगे झुक जाते हैँ
    – कुसुम

  • ( माँ पर प्यारी सी कविता )
    Cute Hindi Poem on Mom

  • माँ मैं फिर
  • माँ मैं फिर जीना चाहता हूँ, तुम्हारा प्यारा बच्चा बनकर
    माँ मैं फिर सोना चाहता हूँ, तुम्हारी लोरी सुनकर
    -माँ मैं फिर दुनिया की तपिश का सामना करना चाहता हूँ, तुम्हारे आँचल की छाया पाकर
    माँ मैं फिर अपनी सारी चिंताएँ भूल जाना चाहता हूँ, तुम्हारी गोद में सिर रखकर
    माँ मैं फिर अपनी भूख मिटाना चाहता हूँ, तुम्हारे हाथों की बनी सूखी रोटी खाकर
    -माँ मैं फिर चलना चाहता हूँ, तुम्हारी ऊँगली पकड़ कर
    माँ मैं फिर जगना चाहता हूँ, तुम्हारे कदमों की आहट पाकर
    माँ मैं फिर निर्भीक होना चाहता हूँ, तुम्हारा साथ पाकर
    -माँ मैं फिर सुखी होना चाहता हूँ, तुम्हारी दुआएँ पाकर
    माँ मैं फिर अपनी गलतियाँ सुधारना चाहता हूँ, तुम्हारी चपत पाकर
    माँ मैं फिर संवरना चाहता हूँ, तुम्हारा स्नेह पाकर
    क्योंकि माँ मैंने तुम्हारे बिना खुद को अधूरा पाया है. मैंने तुम्हारी कमी महसूस की है .
    – अभिषेक मिश्र ( Abhi )

  • ( माँ बनने की ख़ुशी कविता )
    Maa Banne Ki Khushi Poem
  • माँ का एहसास
  • मीठा एहसास हुआ मुझको
    जब गोद में आयी तुम मेरे
    पूर्ण हो गया जीवन मेरा
    जब गोद में आयी तुम मेरे
    सारी पीडा़ दूर हो गयी
    रुह की ममता जाग गयी
    नैनो में एक आशा छायी
    जब गोद में आयी तुम मेरे
    नया एक अब नाम मिला
    नया रुप जीवन में खिला
    पतझड़ में फिर से बहार आयी
    जब गोद में आयी तुम मेरे
    देखा जब पहली बार तुझे
    चुँमा जब पहली बार तुझे
    दिल अति आनन्दित हो गया
    जब गोद में आयी तुम मेरे
    डुबते को जैसे किनारा मिले
    अनाथ को जैसे सहारा मिले
    वो एहसास हुआ मुझको
    जब गोद में आयी तुम मेरे
    सुनी जब तेरी किलकारी
    देखी जब तेरी मनुहारी
    दिल में उमंग सा छा गया
    जब गोद में आयी तुम मेरे
    आशीष यही अब है मेरी
    काबिलियत हो तुममे इतनी
    इतराऊँ भाग्य पर मै अपनी
    कि गोद में खेली तुम मेरे
    – कंचन पाण्डेय GURUSANDI MIRZAPUR UTTAR PRADESH

  • ( मेरी माँ कविता ) Meri Maa Hindi Kavita
  •  मेरी प्यारी माँ..
  • मेरी सबसे प्यारी माँ, मॉम कहूँ या म्ममा..
    तुम शरीर हो माँ और हम तो तेरी परछाइ,
    उस  ख़ुदा की हम पे नैमते, जो तू हम पर करे रहमते..
    हमारे हँसने से रोने तक, हमारे जगने से सोने तक,
    जिसकी हम पर दुहाईयाँ वो है मेरी सबसे प्यारी माँ…
    मॉम कहूँ या मम्मा.. तुमने सुनाई बचपन में कितनी कहानियां ,
    हमने तुम से सिर्फ की लड़ाईयां….,
    माँफ कर दो माँ वो सारी बुराइयाँ
    हमको तो पसंद है माँ तेरी अच्छाईयां ,
    तुझसे से जुदा न रह पायंगे तुझसे जुदा न साँस लें पायंगे..
    जैसे आसमान अधूरा चाँद के बिना वैसे हम अधूरे हैं तेरे बिना,
    यही है माँ हमारी सच्चाईयां,
    माँ तुझमे है हमारी खुदाईयां..
    मॉम कहु या मम्मा..
    – कविता मौर्या

  • ( माँ और उसकी ममता ) Maa Aur Uski Mamta
  • मॉ वह दर्पण है
  • मॉ वह दर्पण है जिसमें ममता झलकती है
    माँ से ही दुनिया कि मूरत बनती है
    तुम्हारी हर हँसी उसकी हँसी होती है
    तकलीफ में भी उसे परवाह तुम्हारी होती है
    तुम्हारे अपमान को वो सहती रहती है
    फिर भी तुम्हारी सलामती की वो दुआ करती रहती है
    तुम्हारे सपने को वो अपना सपना बना लेती है
    तुम्हारे लिए वो कांटों को भी अपना बिछौना बना लेती है
    मॉ को छोड़कर तुम एक नया परिवार बनाते हो
    मॉ की ममता की तुम खुद ही चिता जलाते हो
    तुम्हारी यादों मे वो हरपल रोती रहती है
    किस्मत वाले होते हैं जिनके मॉ होती है
    जो हर वक्त तुम्हारे साथ रहती है
    ऐसी तो सिर्फ मॉ होती है
    – प्रिया यादव
    असालतगंज

  • ( माई मदर पोएम ) My Lovely Mother Hindi Poem
  • ओ माँ! मेरी माँ,
    प्यारी माँ, न्यारी माँ,
    मुझे जीना नहीं इस जहाँ,
    मुझे जीना नहीं तेरे बिना,
    ओ माँ! मेरी माँ,
    प्यारी माँ, न्यारी माँ।
    मैं बेटा हूँ तेरा ही माँ,
    मेरा कोई नहीं तेरे बिना,
    तू ममता की सागर है माँ,
    .तू शक्ति की अवतार है,
    तू करुणा की भंडार है,
    मेरे जीवन की श्रृंगार है,
    मेरे जीवन की आधार है,
    बिन तेरे सब बेकार है।
    ओ माँ, मेरी माँ,
    प्यारी माँ, न्यारी माँ।
    अपनी अंगुली के आधार से,
    तूने चलना सिखाया मुझे,
    सिर पर हाथों के स्पर्श से,
    तूने जीना सिखाया मुझे,
    जब कभी भी मैं रोया ओ माँ,
    तूने हँसना सिखाया मुझे,
    खुद भूखे भी रहकर ओ माँ,
    तूने जी भर खिलाया मुझे,
    मेरी हर बात को मानकर,
    तूने सबकुछ दिलाया मुझे,
    मेरी दुनिया बसाया ओ माँ,
    अपनी खुशियों को त्यागकर,
    तुम सा दूजा नहीं इस जहां में,
    मेरे जीवन की आधार हो,
    ओ माँ, मेरी माँ,
    प्यारी माँ, न्यारी माँ।
    मेरी पहचान है मेरी माँ,
    मेरी भगवान है मेरी माँ,
    बिन तेरे कुछ भी नहीं,
    मेरी संसार है मेरी माँ,
    तुझसे मेरा ये जीवन बना,
    तुझसे मेरा ये तन मन बना,
    मेरे जीवन की आधार हो,
    ओ माँ-मेरी माँ,
    प्यारी माँ, न्यारी माँ।।(इति)।।
    आपका केशव कुमार मिश्रा”सम्राट”
    अधिवक्ता, दरभंगा सिविल कोर्ट,बिहार।

  • माँ सागर है प्यार का ( Maa Sagar Hai Pyar Ka Kavita )
  • माँ सागर है प्यार का,
    पर दुख क्यों पीती है।
    माँ रूप है भगवान का,
    पर मर मर कर क्यूँ जीती है।
    माँ चट्टान – सी अटल,
    मां स्नेह नदी-सी बहती कल- कल।
    संतान की चिंता उसे सताती है पल -पल
    पर क्या संतान हमेशा ही उसे सुख देती है….
    क्या सिर्फ एक दिन ही माँ को समर्पित,
    ओर पूरा वर्ष वृद्धाश्रम में रहती पीड़ित।
    भावनाओ के झाझवातों को सहती,
    आज मानवता से कह रही है…
    न मनाओ सिर्फ एक दिन,
    न पीटो ढिढोरा प्यार का,
    सिर्फ मन से सम्मान करना सीखो,
    जननी का दुख हरनी का।
    आज भी जो तुम्हारी उफ्फ से तड़प जाती है,
    .आज भी कांपते हाथों से तुम्हें खाना खिलाती है।
    आज भी तुम्हें प्यार की नदी में नहलाना चाहती है,
    बस एकबार उसे वक़्त तो दो…
    माँ को माँ ही रहने दो…
    मीनाक्षी मोहन ‘मीता’

  • वो मेरी माँ ( Vo Meri Maa Kavita )
  • मेरी शैतानी,मेरी नादानी
    मेरी तोतली बाते बचकानी थी।
    देख के मेरी बचपन को
    तू तो अक्सर मुस्कुराती थी।
    थी मेरी लाखो गलती
    पर तु मुझे आँचल में छुपाती थी।
    जब तू एक लोरी गाती थी
    एक थपकी नींद ले आती थी।।
    तेरी हर बातों से
    शहद सी मिठास आती थी।
    तू तो हमेशा हम पर
    आशीष ही बरसाती थी।।
    मेरे कारण सारे जहां से
    तू हमेसा लड़ जाती थी।
    तू नहीं थी पढ़ी लिखी
    पर हर धड़कन पढ़ जाती थी।।
    बीती तेरी कई ऐसी राते
    जिसमे तू भूखी रह जाती थी।
    खाली पेट बसर कर के
    मुझे पेट भर खिलाती थी।।
    देख के मेरी बिगड़ी हालत
    तू चिंता में पड़ जाती थी।
    मेरे ही देखभाल में तू
    सारी रात जग जाती थी।।
    Kumar Anu Ojha

  • माँ अब भी कविता ( Maa Ab Bhi Kavita )
  • माँ अब भी मुझे बच्ची ही कहती है ।
    मेरी चिंता में ही चिंतातुर रहती है ।
    जब भी निकलती हूँ घर से बाहर
    हिदायतें देना न भूलती है ।
    जोट ताकती रहती है पल पल
    दरबाजे की ओर अपलक निहारती है ।
    हँसती है मेरे हँसने पर ही
    उदासी पर तो आँसू बहाती है
    कभी दुपट्टे को टोकना कभी खाने को कहना
    माँ कहाँ भूलती है ।
    सोने पर एकटक मेरे चेहरे को निहारना
    अपना अधिकर समझती है ।
    आह पर मेरी कराह उठती है
    गंगा यमुना आँखों से बहाती है ।
    माँ मुझे ……….
    राशि सिंह
    मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
  • माँ पर एक सुंदर कविता
    ( Maa Par Ek Sundar Kavita )
  • मां पर कविता
  • तिमिर जैसा कुछ नहीं दुनिया में मेरी
    मेरी तो खूबसूरत सुबह शाम तुझसे है
    मिल रही हर दिन नई पहचान जिसे मां
    मेरा तो अद्वितीय नाम तुझसे है
    भूल बैठी हूं दुनिया को मैं
    मेरा तो अब हर काम तुझसे है  उठके गिरी गिरके उठी पकड़ तेरी उंगली मां
    मेरी जिंदगी का हर पैगाम तुझसे है  ज्योति तो महज एक नाम है
    दुनिया में यह नाम सनाम तुझसे है  तेरे बिन कुछ नहीं मैं
    मेरा तो हर मान तुझसे है
    मूल्य रहित होती तेरे बिन
    तेरे आंचल की घनी छांव में सम्मान की दुनिया में
    मेरा सबसे बड़ा दाम तुझसे
    तिमिर जैसा कुछ नहीं दुनिया में मेरी
    मेरी तो खूबसूरत सुबह शाम तुझसे है
    मिल रही हर दिन नई पहचान जिसे  मेरा तो अद्वितीय नाम तुझसे है
    –  ज्योति दोहरे दिनकर
  • मेरी माँ
    किया अंकुरित लहू से अपने नव माह तक

    हुआ प्रवेश जब भू पर  मेरा…. 
    हुई लायलित मां की ममता।
    नहीं कमी किसी की होने दिया
    पानी से आहार तक।
    कुछ आहट होते ही
    बिन बोले समझ जाती थी
    थे उपकार अनगिनत उसके
    क्या क्या तुम्हें बताऊं…….
    मां ममता की देवी है कैसे तुम्हें बताऊं
    हो जाता कष्ट लाल को मां तुरंत समझ जाती
    छोड़ काम सारे कष्ट निवारण करती।
    जब तक मुख से मुस्कान ना निकले लाल की
    तब तक मां की ममता अधरों में रहती।
    मां ममता की देवी है कैसे तुम्हें बताऊं
    दीया कष्ट अपने को किया लाल को सीच
    देख प्रफुल्लित लाल को अपने….
    हो उठा आनंदित तप्त हृदय ममता का।
    मां ममता की देवी है कैसे तुम्हें बताऊं
    शब्द कम पड़ जाते हैं मां की ममता के बखान
    मां मंदिर है, मां मस्जिद है,
    मां ईश्वर है, मां काबा है,
    मां काशी है, मां हरिद्वार है,
    मां सब खुशियों का संगम है
    मां दुनिया का सबसे पहला जगतगुरु है।
    मां ममता की देवी कैसे तुम्हें बताऊं……..
                 हंसराज पाल

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