Poem On Terrorism in Hindi – आतंकवाद पर कविता हिंदी में
Poem On Terrorism in Hindi
- “आतंकवाद”
- सजती है बाजार जहाँ
गोलियों बारूदों की,
कौड़ियो के मोल बिकते
जान-ईमान इंसानो के।
इंसानियत की छाँव जहाँ
खो रही उजालों में,
हो रहा वह राष्ट्र जवां
नकाबों के अँधियारो में।
आतंकी हमलों तले
वीरों ने सर कटा दिए,
माँ का आँचल कफ़न बना
अर्थी को पिता का कंधा मिला।
कितनी माँगे उजड़ गई
घर का दीपक बुझ गया,
माँ की गोद सूनी हुई
पिता का सहारा छीन गया।
मन की आँखों से देख जरा ऐ आतंकी
कद तेरा कितना छोटा है,
मरी हुई है ज़मीर तुम्हारी
मर गया धर्म-ईमान है।
हर साँसे बद्दुआ दे रही
जर्रा-जर्रा तुम्हे कोश रहा ,
इन मौतों के सिलसिले को जरा
तू दो पल ठहरकर सोच जरा
तूने अपनी मासूमियत खोई
तूने खोया अपना ईमान
इंसानों को मारने वाले कैसे हो सकता है इन्सान
ऐ आतंकी सोच ज़रा।। – Unknown Friend
- sajatee hai baajaar jahaan
goliyon baaroodon kee,
kaudiyo ke mol bikate
jaan-eemaan insaano ke.
insaaniyat kee chhaanv jahaan
kho rahee ujaalon mein,
ho raha vah raashtr javaan
nakaabon ke andhiyaaro mein.
aatankee hamalon tale
veeron ne sar kata die,
maan ka aanchal kafan bana
arthee ko pita ka kandha mila.
kitanee maange ujad gaee
ghar ka deepak bujh gaya,
maan kee god soonee huee.
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