योग दिवस पर एक बढ़िया कविता – Poem On Yoga in Hindi kavita poetry rachna :

Poem on yoga in hindi – योग दिवस पर कविता योग दिवस पर एक बढ़िया कविता - Poem On Yoga in Hindi kavita poetry rachna

योग दिवस पर एक बढ़िया कविता – Poem On Yoga in Hindi kavita poetry rachna

  • योग करो

  • योग करो , मनयोग करो , इस दिवस पे समस्त योग करो ।
    तन-मन रोग भगाएंगे, सब मिलकर योग दिवस मनाएंगे ।
    योग की बह चली बयार, हमें आरोग्य बनाने को ।
    अब जीना है हजारों साल, यही है योग की पहचान ।
    सब मिलकर योग सिखाएंगे, दुश्मन को दूर भगाएंगे ।
    योग करो , मनोयोग करो. . . . . . . . . . . . . ।
    योग हमारी है पहचान, आरोग्यता हमारी शान ।
    हम हैं आर्य के वंशज और ऋषि मुनियों की संतान,  योग हमारी है पहचान ।
    योग करो,  मनोयोग करो .. … … |
    है आरोग्यता का अनमोल मंत्र, जो करते हैं इनका जतन उनका होता है सब मंगल ।
    मंगल के मालिक अमंगल को भगाएंगे, आज हम सब मिलकर योग दिवस  मनाएंगे ।
    योग करो,  मन योग करो……………..।
    त्राहिमाम की इस दुनिया में नित्य मंगल है जारी ।
    क्या योग के बिना जीवन संभव है भाई ।
    अमंगल की इस दुनिया में जीवन तभी बचा पाओगे ।
    जब करोगे योग का महाभियोग, तब मंगल के मालिक बनोगे ।
    योग करो, मनोयोग करो. . . . . . . . . . . . ।
    यह बनाती है मूरत ,  यह बनाती है सूरत ।
    तन मन मंडित करती है,  ज्ञान की गंगा बहाती है।
    ज्ञान की गंगा बहा कर हमें बनाती है कर्मवीर, सूरवीर, दानवीर और अंत में परमवीर बनाकर ,  परमधाम को ले जाती है।
    योग करो, मनयोग करो … … … … … ।
    जब करोगे योग, तो नित्य बढ़ेगा जीवन योग ।
    जीवन योग बढ़ाएंगे ,  सब मिलकर योग दिवस मनाएंगे ।
    पतंजलि का यह महाग्रंथ,  हमें सुयोग्य बनाती है ।
    जीवन ज्योति जला कर , अमर पुंज प्रज्जवलित करती है ।
    योग करो, मनोयोग करो .. . . I
    जीवन योग बढ़ाएंगे ,  पुन विश्व गुरु कहलायेंगे ।
    ज्ञान का दीप जलाकर, निशा को मिटायेंगे ।
    निशा को मिटायेंगे ,  दुनिया को दो टूक सिखाएंगे ।
    आज हम सब मिलकर योग दिवस मनाएंगे I
    योग करो , मनयोग करो … … … … ……………..।
    – दिवाकर पाठक ( Deewakar Pathak )
  • महिमा योग की

    योग को हम अपनाऐंगे
    जीवन को स्वस्थ बनाएंगे।
    है ध्यान -योग कुछ ऐसी विधा,
    जीवन मे’घोलती अमृत-सुधा
    योग बढाता बच्चों का याददाश्त,
    ध्यान ‘बढाता उनमें आत्मविश्वास।
    नौजवानों में स्फूर्ति भरता
    कर्मठ हों और करें विकास।
    बूढों को देता सुकून यह,
    उच्छवासों में भरता जूनून यह,
    संस्कारों की कूंजो है यह,
    तरक्की का है मजमून यह।
    तन-मन को स्वस्थ बनाऐंगे
    जन-जन में इसे फैलाऐंगे,
    देश को स्वर्ग बनाऐंगे,
    योग को हम अपनाऐंगे,
    योग को हम अपनाऐंगे।।
    – Pratibha Sinha

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