पृथ्वीराज चौहान का इतिहास, – Prithviraj Chauhan History in Hindi

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prithviraj chauhan history in hindi - पृथ्वीराज चौहान का इतिहास


Prithviraj Chauhan Biography in Hindi

  • महान हिन्दू राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान का जन्म सन 1149 में हुआ था.
  • पृथ्वीराज चौहान को राय पिथौरा के नाम से भी जाना जाता था.
  • महाराजा अनंगपाल ने अपने नाती पृथ्वीराज चौहान को अपनी बेटी और दामाद की सहमती से दिल्ली की गद्दी का
    उत्तराधिकारी बनाया था.
  • पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक के रूप में भी जाना जाता है.
  • इनके पिता का नाम राजा सोमेश्वर चौहान था.
  • इनकी माता का नाम कर्पूरी देवी था.
  • पृथ्वीराज ने दिल्ली का नवनिर्माण करवाया था.
  • वे बचपन से हीं तीरंदाजी और तलवारबाजी के शौकिन थे.

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पृथ्वीराज का बचपन और युवावस्था

  • वे बहुत हीं साहसी थे, और युद्ध में माहिर थे.
  • पृथ्वीराज को बचपन में हीं कई बार मारने की कोशिशें की गई.
  • कन्नौज का राजा जयचंद्र पृथ्वीराज की उन्नति सहन नहीं कर पा रहा था, वह पृथ्वीराज का घोर शत्रु बन गया.
    पृथ्वीराज ने जयचंद की पुत्री संयोगिता से हीं विवाह किया.
  • पृथ्वीराज चौहान ने संयोगिता से प्रेम विवाह किया था.
  • कहा जाता है कि संयोंगिता बहुत ज्यादा सुंदर थी. पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी आज भी मशहूर है.
  • Love Story of Prithviraj Chauhan and Sanyogita in Hindi.
    संयोगिता ने पृथ्वीराज की वीरता के ढेरों किस्से सुने थे, वह विभिन्न मध्मों से पृथ्वीराज के बारे में जानकारी लेती रहती थी.
    एक बार दिल्ली से एक चित्रकार(पन्नाराय) कन्नौज आया हुआ था. उसके पास दिल्ली के सुंदर-सुंदर और पृथ्वीराज के भी
    कुछ दुर्लभ चित्र थे. राजकुमारी संयोगिता की सहेलियों ने संयोगिता को इसके बारे में बताया. संयोगिता ने चित्र देखे और
    चित्रकार से उसने वह चित्र ले लिया. चित्रकार पन्नाराय ने संयोगिता का एक मोहक चित्र बनाकर पृथ्वीराज के सामने
    प्रस्तुत किया. पृथ्वीराज संयोगिता की सुन्दरता पर मोहित हो गए. इस तरह से पृथ्वीराज और संयोगिता की प्रेम कहानी शुरू हुई थी.
  • संयोगिता के पिता जयचंद ने राजकुमारी संयोगिता के स्वयंवर में पृथ्वीराज चौहान को नहीं बुलाया था, क्योंकि पृथ्वीराज
    और संयोगिता एक-दूसरे से प्रेम करते थे… इस कारण पृथ्वीराज ने संयोगिता की सहमती से संयोगिता का अपहरण
    कर लिया और अपनी राजधानी पहुँचकर विवाह किया.

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राज्य विस्तार

  • पृथ्वीराज चौहान ने अपने राज्य का विस्तार राजस्थान से हरियाणा तक किया. पृथ्वीराज ने मुस्लिम आक्रमणकारियों के खिलाफ राजपूतों को एकजुट किया था.
  • पृथ्वीराज चौहान ने वैसे तो अपने जीवन में कई युद्ध किये, लेकिन मोहम्मद गौरी के साथ उनके युद्ध के किस्से आज भी याद किये जाते हैं.
  • मोहम्मद गौरी ने 18 बार पृथ्वीराज के साथ युद्ध किया था, जिसमें 17 बार उसे पराजित होना पड़ा. अंतिम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार हुई.
  • पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद पूरे भारत में मुसलमानों का शासन फ़ैल गया.
  • इस युद्ध के बाद मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज को बंदी बना लिया, उसने पृथ्वीराज की आँखें गर्म सलाखों से फोड़ दी.

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History / Story of Prithviraj and Chandravardai in Hindi

  • इसके बाद चन्द्रवरदाई जो पृथ्वीराज के बचपन के मित्र थे, उन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ मिलकर मोहम्मद गौरी को मारने की योजना बनाई. चन्द्रवरदाई ने पृथ्वीराज के शब्दभेदी वाण चलाने के गुण की गौरी के सामने प्रशंसा की और भरे दरबार में पृथ्वीराज को वाण चलाने की अनुमति मिल गई.
    उस वक्त चन्द्रवरदाई पृथ्वीराज को इन पंक्तियों “चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान।
    से बता दिया कि गौरी कहाँ बैठा हुआ है. इन पंक्तियों को सुनकर पृथ्वीराज ने गौरी को मार दिया.
  • इसके बाद चन्द्रवरदाई और पृथ्वीराज चौहान बंदी जीवन बिताने के बजाय एक-दूसरे को मार डाला.
  • जब संयोगिता ने खबर पाई, तो उसने भी अपने प्राणों का अंत कर दिया.
  • हिन्दू राजाओं की आपस में लड़ाई और पृथ्वीराज द्वारा पहले हीं गौरी को नहीं मार देना, पृथ्वीराज के दुखद अंत का कारण बना.
  • पृथ्वीराज से संबंधित घटनाओं का वर्णन चंदबरदाई द्वारा लिखी गई पृथ्वीराज रासो में मौजूद है.

पृथ्वीराज चौहान का इतिहास – Prithviraj Chauhan History in Hindi

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