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Rahim Ke Dohe in Hindi with meaning – रहीम के दोहे अर्थ सहित
रहीम के दोहे –
- रहीम उन खास कवियों में से एक हैं, जिनके दोहे आज भी बहुत प्रसिद्ध हैं. इनके लिखे हुए दोहे आज भी प्रासंगिक हैं. इनके दोहों में गूढ़ अर्थ छिपे हुए होते हैं. और इनके दोहों का जीवन से जुड़ा होना इनके दोहों की चमक फीकी नहीं पड़ने देता है. रहीम अरबी, फारसी और संस्कृत के बढ़िया जानकार थे.
रहीम के दोहे अर्थ सहित : - एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय ।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अगाय ॥
अर्थात – एक-एक करके कामों को करने से सारे काम पूरे हो जाते हैं. ठीक उसी तरह जैसे पेड़ के जड़ को पानी से सींचने से वह फल-फूलों से लद जाता है.
सारांश : एक हीं बार में सारे कामों को शुरू करने से सफलता नहीं मिलती है, ठीक वैसे हीं जैसे अगर किसी पेड़ के एक-एक पत्ते या एक-एक टहनी को सींचा जाए और जड़ को सूखा छोड़ दिया जाए, तो पेड़ फल-फूलों से कभी नहीं भरेगा.
- रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय ।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सकै बचाय ।।
अर्थात – जब मुश्किल परिस्थिति आती है, तो व्यक्ति की अपनी कमाई गई दौलत या सम्पत्ति हीं उसकी सबसे बड़ी मददगार होती है. उस मुश्किल समय में व्यक्ति की सहायता कोई नहीं करता है. ठीक उसी तरह जैसे किसी तालाब का पूरा पानी सूख जाने पर, सूर्य कमल के फूल को सूखने से नहीं बचा सकता है.
सारांश : इतना जरुर कमाइए कि अपनी न्यूनतम जरूरतों को आप खुद पूरा कर सकें. और विपत्ति के समय आपको किसी और की ओर मुँह ताकने की जरूरत न पड़े.
- बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय ।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय ।।
अर्थात – हर व्यक्ति को कुछ भी बोलने से पहले और किसी दूसरे व्यक्ति से व्यवहार करने से पहले हीं सोच लेना चाहिए. क्योंकि जो भी बात एक बार बिगड़ जाती है, वह फिर लाखों कोशिशों के बाद भी सामान्य नहीं होती है. ठीक वैसे हीं जैसे, जब एक बार दूध फट जाता है, तो वह हमेशा के लिए फट जाता है. फटे दूध को लाख बार मथने से भी मक्खन नहीं बना करता है.
सारांश : व्यवहारकुशल बनिए, इससे आपको अकारण तनाव का सामना नहीं करना पड़ेगा.
- नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत ।
ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछु न दे ।।
अर्थात –संगीत से मोहित होकर हिरण शिकार बन जाता है. जो व्यक्ति किसी के प्रेम में पड़ जाता है, वह अपने प्रेमी को अपना तन, मन, धन सब कुछ सौंप देता है. वे लोग पशु से भी बुरे होते हैं, जो किसी से प्रेम, ख़ुशी या अपनापन पाने के बाद भी उसे कुछ भी नहीं देते.
सारांश : किसी भी व्यक्ति का केवल अपना मतलब पूरा करने के लिए उपयोग करना अच्छा नहीं होता है.
- रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय ।
सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय ।।
अर्थात – अपने मन की तकलीफ को अपने मन में हीं समेटकर रखना चाहिए. क्योंकि आपके तकलीफ को कोई बाँटकर कम नहीं करेगा, बल्कि लोग आपका मजाक हीं उड़ायेंगे.
सारांश : दूसरों को अपना दर्द कभी नहीं बताना चाहिए.
- रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय ।
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय ।।
अर्थात – प्यार या रिश्ता धागे की तरह होता है. जैसे ज्यादा खींचतान से धागा टूट जाता है, वैसे हीं रिश्ता भी टूट जाता है. एक जैसे एक बार जो धागा टूट जाता है, उसे जोड़ने पर गांठ पड़ जाती है, ठीक वैसे हीं रिश्तों में मनमुटाव होने के बाद मन में हमेशा के लिए एक खटास रह जाती है.
सारांश : जिन रिश्तों को आप लम्बे समय तक निभाना चाहते हों, उनमें कभी खटास न पड़ने दें.
- धनि रहीम जल पंक को, लघु जिय पिअत अघाय ।
उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय ।।
अर्थात – कीचड़ युक्त पानी, समुद्र के पानी से श्रेष्ठ होता है क्योंकि कीचड़ युक्त जल से ढ़ेरों प्यासे जीवों की प्यास बुझ जाती है. और समुद्र में बहुत ज्यादा पानी होने के बावजूद वह बेकार होता है क्योंकि उसके किनारे पर जो खड़ा होता है उसकी प्यार भी समुद्र के पानी से नहीं बुझती है. नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत ।
सारांश : जो दूसरों के काम नहीं आते हैं, वे लोग बेकार होते हैं. चाहे वे कितने हीं सम्पन्न क्यों न हों.
- खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान ।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान ॥
अर्थात – किसी व्यक्ति की खैरियत, खून और खाँसी, किसी की खुशी, किसी से किसी की दुश्मनी, किसी का किसी प्रति प्यार और शराब का नशा इन चीजों कोई व्यक्ति लाख छुपाने की कोशिश कर ले, ये चीजें लोगों को पता चल हीं जाती है.
- आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि ।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि ॥
- अर्थात – जैसे हीं कोई व्यक्ति किसी से दूसरे व्यक्ति से कुछ मांगता है. वैसे हीं माँगने वाले व्यक्ति की इज्जत, आदर और सामने वाले व्यक्ति आँखों से उसके प्रति स्नेह खत्म हो जाता है.
सारांश : अगर अपनी इज्जत नहीं खोना चाहते हैं, और चाहते हैं कि सामने वाला व्यक्ति आपका आदर करता रहे, और सामने वाले व्यक्ति के आँखों में आपके प्रति स्नेह की भावना रहे तो उससे कुछ मत मांगिये.
- रूठे सुजन मनाइये जो रूठे सौ बार ।
रहिमन फिर फिर पोइये टूटे मुक्ताहार ।।
अर्थात – अगर कोई सज्जन अर्थात अच्छा व्यक्ति आपसे सौ बार भी रूठे, तो आपको उसे सौ बार मना लेना चाहिये. रहीम कहते हैं कि मोती की माला चाहे जितनी बार टूटे उसे जोड़ लेना चाहिये.
सारांश : अच्छे व्यक्ति को हर बार मना लेना चाहिए, लेकिन यदि बुरा व्यक्ति रूठे तो उसे नहीं मनाना चाहिये.
- जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह ।
धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह ।।
अर्थात – जैसे यह पृथ्वी सर्दी, गर्मी और वर्षा को सहती है, वैसे हीं हमें सुख, दुःख सब कुछ सहना चाहिए. पड़ती है.
सारांश : जैसे ऋतुएँ बदलती हैं, वैसे हीं हमारे जीवन की परिस्थितियाँ भी बदलती रहती है. इसलिए हमें हर परिस्थिति का सामना धैर्य से करना चाहिए.
- जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय ।
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय ॥
अर्थात – नीच प्रवृत्ति वाले लोग जब जीवन में आगे बढ़ने लगते हैं, वो बहुत घमंड करने लगते हैं. ठीक वैसे हीं जैसे शतरंज के खेल में प्यादा फर्जी हो जाने पर टेढ़ा चलने लगता है.
सारांश : छोटी-छोटी सफलता जिसे घमंडी बना देती है, वह अच्छा व्यक्ति नहीं होता है.
- रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय ।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ॥
अर्थात – विपत्ति हीं भली होती है, जो थोड़े दिन के लिए आती है. लेकिन इसी दौरान हमें पता चल जाता है, कि किसे हमारे हित की चिंता है और कौन हमारा अहित चाहता है.
- रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर ।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥
अर्थात – जब आपका समय खराब चल रहा हो, उस वक्त धीरज रखना चाहिये. क्योंकि जब अच्छे दिन आते हैं, तो वे काम भी बनने लगते हैं जो बुरे दिनों में नहीं हो पाते हैं.
- रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत ।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत ॥
अर्थात – ओछे (गिरे हुए) लोगों से न तो दोस्ती अच्छी होती है और न तो दुश्मनी. ठीक उसी तरह जैसे, कुत्ता चाहे काटे या चाटे दोनों हीं अच्छा नहीं होता है………………………………………… - तुलसीदास के 11 दोहे अर्थ सहित – Tulsidas Ke Dohe in Hindi With Meaning Shloka
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Ati prernadayi dohe!
रहीम जी के दोहे बहुत ही शिक्षाप्रद हैं. धन्यवाद शेयर करने के लिए
Comment:very nice
Excellent. Poems.
I dont know why people write poems and then students suffer badly becoz of them
That very nice poems
I love you manaswi your max dear
Nice
Pranap Ravka.
Very good thing it is.
Very much nice for the students
Very inspirable and motivational.
very nice explanation
Very Nice Dohe
Excellent. Poems. Of. Raheem. I really. Love. These. Poems. A. Lot.