Raksha Bandhan Essay in Hindi रक्षाबंधन पर निबन्ध rakhi par Nibandh or 10 lines :

Raksha Bandhan Essay in Hindi – रक्षाबंधन पर निबन्धRaksha Bandhan Essay in Hindi - रक्षाबंधन निबंध

Raksha Bandhan Essay in Hindi रक्षाबंधन पर निबन्ध rakhi par Nibandh or 10 lines

  • रक्षा बंधन
  • रक्षाबंधन का त्यौहार देश के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है. भारत वर्ष में तीज-त्यौहारों का मेला पूरे वर्ष भर लगा रहता है ताकि प्रेम सौहार्द की बेला कायम रहे. उनमें Raksha bandhan अपने हीं सौन्दर्य में रंगा हुआ, एक अनूठा उत्सव है. यह भाई-बहन के अटूट रिश्ते का त्यौहार है. इस त्यौहार के कारण भाई-बहन में एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्य का आभास होता है, एक जिम्मेदारी का भाव आता है. सभी त्यौहार सामाजिक व्यवस्था को सुचारू बनाने एवं भावनात्मक दृष्टि से जुड़े रहने का सन्देश देते हैं.
  • कब मनाया जाता है रक्षा बंधन ?
    राखी का यह पवित्र त्यौहार पवित्र सावन के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है.
    पौराणिक कथा :
    सभी त्यौहारों के पीछे उसका महत्व अर्थात कहानी छिपी होती है, जो हमें उस त्यौहार का हमारे जीवन में मूल्य तथा महत्व बताती है. साथ ही त्यौहार के इतिहास को हमारे सामने रखती है.
  • विष्णु भगवान के वामन अवतार के समय की कहानी है. राजा बलि ने अपने बल से पृथ्वी सहित तीनों लोकों को जीत लिया. इस प्रकार तीनों लोकों में उसका आधिपत्य हो गया. इंद्र देव ने इससे भयभीत होकर भगवान विष्णु को कोई उपाय करने कहा. विष्णु जी वामन अवतार लेकर राजा बलि के द्वार पर गये. ब्राहमण को द्वार पर देखकर राजा बलि ने उनसे कुछ भी मांगने का आग्रह किया, तो वामनरूपी भगवान विष्णु ने तीन पग भूमि माँगी. जिसके बदले में राजा बलि ने वामन देव को आशीर्वाद स्वरूप सदा उनके पास रहने का वचन लिया. वामन देव ने अपने रूप (आकर) को बढ़ाकर तीन पग में धरती, आकाश और पाताल को अपने आधीन कर लिया और बदले में राजा बलि को खुद को सौंप दिया.  यह देख माता लक्ष्मी चिंतित हो गई. और उन्होंने सावन की इस पूर्णिमा के दिन राजा बलि को रक्षासूत्र बांधा और बदले में अपने पति को लेकर चली गई. इस प्रकार माता लक्ष्मी ने राजा बलि को भाई बनाया और भाई बलि ने बहन लक्ष्मी की इच्छा पूरी की.
    इस तरह की कई कहानियाँ हमारे इतिहास में हैं जो राखी के इस त्यौहार का महत्व बताती है.
  • कैसे मनाते हैं रक्षाबंधन ?
  • सावन की पूर्णिमा को बहनें जल्दी से स्नान कर पूजा करती हैं, सबसे पहले भगवान को राखी बंधती हैं.
  • फिर थाल तैयार की जाती है जिसमें कुमकुम, चावल, दीपक, राखी, रुमाल, श्री फल एवं मिष्ठान रखे जाते हैं.
  • भाई को रुमाल देकर उसके दाहिने हाथ में श्री फल दिया जाता है. श्री फल पर पहले ही कुमकुम एवं चावल लगाया जाता है.
  • इसके बाद भाई के माथे पर तिलक एवम चावल लगाया जाता है. उसके दाहिने हाथ पर राखी बाँधकर उसकी आरती उतारी जाती है.

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