सीता हरण की वास्तविक कहानी जानते हैं आप ! Ramayan Sita Haran story in Hindi :

Ramayan Sita Haran Story in Hindi – सीता हरण की कहानी
सीता का हरण नहीं हुआ, तो किसका हरण हुआ ! ramayan Sita Haran story in hindi

Ramayan Sita Haran Story in Hindi – सीता हरण की कहानी

  • रामायण में सीता हरण का प्रसंग आता है. इस लेख में हम जानेंगे कि सीता हरण की जो कहानी लोगों के बीच फैली हुई है. उस कथा में और वास्तविकता में क्या अंतर है.
  • लोगों के बीच यह कहानी फैली हुई है कि जब राम सीता और लक्ष्मण वनवास काट रहे थे. वे कुटिया बनाकर रहते थे.
    एक दिन रावण ने सीता हरण के उद्देश्य से मारीच को सोने का मृग बनकर सीता की नजरों के सामने जाने के लिए बोला.
    मारीच भगवान राम से छल नहीं करना चाहता था, उसने कहा, वह राम-सीता से छल नहीं करेगा. तो रावण ने मारीच को धमकी दी कि यदि वह सोने का मृग बनकर सीता के सामने नहीं जायेगा. तो रावण खुद उसका वध कर देगा. तब मारीच ने सोचा, रावण के हाथों मरकर उसे मुक्ति भी नहीं मिलेगी… जबकि राम के हाथों अगर उसे मृत्यु आई भी तो वह मोक्ष पा लेगा.
    मारीच सोने का हिरण बनकर माता सीता के सामने आया और जैसे हीं उसने देखा कि माता सीता ने उसे देख लिया है.
    मारीच घने वन की ओर भाग चला. माता सीता ने भगवान राम से कहा, मैंने सोने का मृग देखा है… मुझे वह सोने का मृग चाहिए. भगवान राम ने माता सीता से कहा, सोने का मृग नहीं होता है. यह कोई भ्रम होगा. पर माता सीता ने भगवान राम की बात नहीं मानी और राम से सोने के मृग को लाने की जिद करने लगी. राम लक्ष्मण को सीता की सुरक्षा करने को बोलकर सोने के मृग के पीछे चल दिए. आगे-आगे मृग दौड़ा जा रहा था और पीछे-पीछे राम दौड़ रहे थे. बहुत देर हो गई, राम मृग को लेकर नहीं आये.
  • तभी सीता ने राम की आवाज सुनी, “ लक्ष्मण मुझे बचाओ “. सीता ने वही आवाज़ कई बार सुनी. तो सीता ने लक्ष्मण से कहा, आप अपने भ्राता की मदद के लिए जाइये. लक्ष्मण ने कहा, भैया राम को कोई कुछ नहीं कर सकता है, यह जरुर किसी की माया होगी. लेकिन लक्ष्मण के वन की ओर भगवान राम की मदद के लिए जाने के लिए सीता जिद करने लगी. लक्ष्मण ने कुटिया से निकलते समय कुटिया के द्वार के बाहर एक रेखा खींच दी, जिसे पार करके कोई भी जीव कुटिया के भीतर प्रवेश नहीं कर सकता था.
    इसी रेखा को लक्ष्मण रेखा कहते हैं. लक्ष्मण के जाने के कुछ देर के बाद रावण ऋषि का वेश बनाकर आया.
    और माता सीता से भिक्षा मांगने लगा. माता सीता उसे भिक्षा देने लगी, तो उसने लक्ष्मण रेखा को देखा….
    जिसे पार करके वह सीता हरण नहीं कर पायेगा. तो रावण क्रोधित होने का ढोंग करने लगा. रावण बोला,
    अगर तुम बंधन में रहकर भिक्षा दोगी, तो मैं तुम्हारी भिक्षा ग्रहण नहीं करूंगा. माता सीता उससे लक्ष्मण रेखा में रहकर हीं, भिक्षा लेने की विनती करने लगी. लेकिन रावण अपनी जिद पर अड़ा रहा. अंत में सीता लक्ष्मण रेखा को पार कर भिक्षा देने, रेखा से बाहर आई. सीता के रेखा पार करते हीं रावण अपने वास्तविक रूप में आ गया. और सीता का हाथ पकड़कर पुष्पक विमान में बैठाकर लंका ले गया. इस तरह से सीता हरण हुआ.
  • लोग सोचते हैं, रावण ने वास्तविक सीता का हरण किया. लेकिन सच्चाई यह है कि राम को रावण के सीता हरण की योजना की जानकारी पहले हीं मिल गई थी. राम ने अग्नि देवता का आवाहन कर उन्हें बुलाया था. राम ने अग्नि देव से कहा, अग्नि देव आप अपनी पुत्री सीता को अपने पास सुरक्षित रखिये. भूलोक में कुछ लीला करनी है, उसके पश्चात मैं सीता को आपके पास से ले लूँगा. उसके बाद से छाया सीता हीं राम के साथ रह रही थी. आप छाया सीता को आधुनिक शब्दों में क्लोन सीता भी कह सकते हैं. अर्थात छाया सीता का हीं रावण ने अपहरण किया था. क्योंकि सीता पतिव्रता स्त्री थी, इसलिए अगर रावण वास्तविक सीता को छू भी लेता, तो उसी क्षण वह भस्म हो जाता.
    यह रही सीता के हरण की वास्तविकता. इस सच्चाई को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं. ताकि सीता हरण की सच्चाई सभी तक पहुंचे.

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