Rani Padmini History in Hindi रानी पद्मिनी का जौहर rani padmini ka johur
Rani Padmini History in Hindi रानी पद्मिनी का जौहर rani padmini ka johur
- रानी पद्मिनी के पिता का नाम गंधर्वसेन था.
- रानी पद्मिनी की माँ का नाम चंपावती था.
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पद्मिनी अद्भुत सुन्दर थी, उनकी सुन्दरता के चर्चे हर ओर थे.
- रानी पद्मिनी की शादी के लिए उनके पिता ने स्वयंवर आयोजित किया था.
- इसी स्वयंवर में चित्तौड़ के राजा रत्न सिंह के साथ रानी पद्मिनी की शादी हुई थी.
- पद्मिनी की सुन्दरता के बारे में सुनकर अलाउद्दीन खिलजी, रानी पद्मिनी को पाने के लिए बेचैन हो उठा था.
और उसने रानी को पाने के लिए चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया. - उसने चितौड़ के किले को कई महीनों तक घेरे रखा. लेकिन चित्तौड़ के वीर सैनिकों के कारण वह चित्तौड़
पर विजय नहीं पा सका. - तब उसने छल से काम लेने की बात सोची. उसने राजा रत्न सिंह के पास संदेश भेजा कि हमने चित्तौड़ के रानी की सुन्दरता के बारे में बहुत सुना है, आप एक बार हमें रानी को देखने दीजिए. तो हम किले से हट जायेंगे.
- राजा-रानी यह प्रस्ताव सुनकर बहुत क्रोधित हुए. लेकिन इतनी छोटी सी बात के कारण चित्तौड़ के
सैनिकों का खून वे नहीं बहाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने कहा कि खिलजी आईने में रानी का चेहरा देख सकता है. - आईने में रानी का चेहरा दिखाया गया, लेकिन रानी को देखने के बाद उसके मन में छल समा गया.
अलाउद्दीन खिलजी ने राजा रत्न सिंह को धोखे से बन्दी बना लिया. - अलाउद्दीन खिलजी ने रानी के सामने शर्त रखी कि अगर रानी पद्मिनी खुद को उसे सौंप दे, तो राजा
रत्न सिंह को वो छोड़ देगा. - रानी ने खिलजी को कहा कि, वह अपनी सात सौ दसियों के साथ खिलजी के सामने आने से पहले अपने
पति से एक बार मिलना चाहती है.
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खिलजी ने रानी का यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया.
- रानी ने सात सौ पालकियों में राजपूत सैनिकों को बिठाया, और पालकी उठाने का काम भी उन्होंने वीर सैनिकों से हीं करवाया.
- अलाउद्दीन खिलजी के शिविर के पास पहुँचने पर वे सभी वीर सैनिक, यवन सेना पर टूट पड़े. खिलजी को इस हमले की उम्मीद नहीं थी, इसलिए उसके सैनिक विचलित हो गए.
- रानी ने राजा रत्न सिंह को आजाद करवा लिया.
- इसके बाद रानी पद्मिनी ने जौहर करने का निश्चय किया. रानी के साथ 16,000 वीरांगनाओं ने जौहर करने का निश्चय किया.
- एक विशाल चिता सजाई गई, रानी पद्मिनी और 16,000 वीरांगनाओं ने अपने परिवार वालों से अंतिम बार
मुलाकात की. फिर वे वीरांगनाएं जलती चिता में कूद पड़ी.
- रानी पद्मिनी और 16,000 वीरांगनाओं के जौहर ने चित्तौड़ की मिट्टी को हमेशा के लिए पावन बना दिया.
- इसके बाद 30,000 वीर सैनिक अलाउद्दीन की सेना पर टूट पड़े. भयंकर लड़ाई हुई,
अंत में खिलजी चित्तौड़ के किले में प्रवेश करने में सफल हुआ. लेकिन किले के भीतर उसे कोई नहीं मिला.
स्त्रियाँ जौहर कर चुकी थी और पुरुष शहीद हो चुके थे. - रानी पद्मिनी के जौहर की जीत हुई थी, और यह जौहर हमेशा भारतवासियों को इस बात की याद दिलाती
रहेगी कि भारत की स्त्रियों के लिए उनका सम्मान सर्वोपरी है.
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