सेवानिवृत्ति पर कविता – Retirement Poem in Hindi Poem Poetry seva nivrutti
सेवानिवृत्ति पर कविता – Retirement Poem in Hindi Poem Poetry seva nivrutti
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रिटायरमेंट पर सुंदर सी कविता
- कभी लगता था जिस दिन होगा रिटायरमेंट
फिर लुफ्त उठाऊंगा जिंदगी का सेंट परसेंट .
पोतों के साथ खेलूँगा बचपन के वो खेल
जिन्हें भूलकर बन गया था साहब की रेल l
कब गुजर जिंदगी के चार दशक पता न चला
सुबह को उठकर नहाना धोना दफ्तर यही चला
बच्चों की पढ़ाई और शादी में सैलरी लग गई
जब आई बारी मकान बनाने की , रही न कमाई .
दफ्तर का बैग और वो फट्फटा सा स्कूटर
सुनकर जिसकी आवाज उड़ जाते थे कबूतर l
न जाने कितने सहकर्मी आए और चले गए
कुछ से छनी खूब कुछ कलेजा छलनी कर गए l
शिकवे गिले दफ्तर में सभी को सभी से खूब थे
मगर फिर भी सभी जिंदगी में सबके करीब थे l
कागजात कर लिए तैयार खुद भी हूँ तैयार
मगर आज न जाने क्यों दिल बड़ा है उदास l
यूँ तो अब साहब की चिकचिक नहीं रहेगी
मगर उस चिकचिक की कमी बहुत खलेगी l
मूँह में पान भरे शर्मा जी बहुत याद आएंगे
लौटकर नहीं आएंगे वो दिन जो दूर जाएंगे l
गुप्ता जी की कामचोरी बेवजह याद आएगी
नुक्कड़ की चाय की दुकान बहुत याद आएगी l
बीवी के तानों से यूँ तो मिल जाएगी निजात
समय बिताया जो नहीं डाल हाथों में हाथ .
अब घर में शाम को रेपरकी आवाज नहीं आएगी
पोते पोतिया भी लेना छोड़ देंगे लेना दिलचस्पी l
मगर यादों से तू मेरी नौकरी न कभी जाएगी
आने पर याद लबों पर मुस्कान सदा आएगी l
- राशि सिंह मुरादाबाद उत्तर प्रदेश (अप्रकाशित एवं मौलिक रचना )
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