Small Poem in Hindi – स्माल पोएम इन हिंदी
Small Poem in Hindi आया कैसा ये ज़माना रे भाई
- ‘आया कैसा ये ज़माना रे भाई’
Whatsapp और Facebook पर हर समय रहे बिजी
अपना Status देखे या न देखे पर
दूसरों का Status देखना है जरूरी।
आया कैसा ये ज़माना रे भाई।
आजकल रिश्तें निभा रही हैं हाथ की उगलियाॅं
जुब़ा से निभाने का वक्त नहीं।
सब Touch में बिजी है,
पर Touch में कोई नही।
आया कैसा ये ज़माना रे भाई।
अब तो लोग ‘प्रोफेशनल’ हो गए हैं
एक चेहरे पर कई-2 चेहरे लगाए हैं,
जिसको कोई भी समझ न पाया हैं।
‘फायदा’ अगर है तो ही संबंध बनाते हैं।
आया कैसा ये ज़माना रे भाई।
मशीनी युग में, बढ़ती भीड़ में और माया के मोह में
कितने अकेले हो गए है हम सब।
अपनों के लिए समय नहीं और आंखों में शर्म नही
भगवान को माने नहीं और ढोगियों को माने बाबा।
आया कैसा ये ज़माना रे भाई।
बढ़ती मंहगाई से आम आदमी का Budget है गड़बड़ायां
जिससे वह कुछ भी न कर पाया।
Mobile Data हुआ सस्ता
गैस, पेट्रोल व डीजल हुआ मंहगे से भी मंहगा।
आया कैसा ये ज़माना रे भाई।
वाह रे ज़माने तेरी हद हो गई
जिस अंगूठे को पहले ठेंगा कहते थे
आज उसी को Like कहते हैं।
आया कैसा ये ज़माना रे भाई।
अब तो Pancard और आधार ही हम सबके जीवन का आधार है।
इसी से ही होए अब तो सब काम है
और तो ओर एक नया टैक्स है आया
जो GST है कहलाया।
जिसने वैट, सेल टैक्स सब निपटाया।
आया कैसा ये ज़माना रे भाई।
और तो और अब तो ऐसे बना रहे हैं Digital India
बच्चों के अरमानों को रौंद कर,
बिना पटाखों के अब तो मनाएगें दिवाली।
आया कैसा ये ज़माना रे भाई-2
(मीना कुमारी)
एम.ए.बी. – प्ट, नई दिल्ली।
दिनांक 17.10.2017 - जीवन एक संघर्ष कविता – Jeevan Sangharsh Poem in Hindi
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