उपनिषद कोट्स – Upanishad Quotes in Hindi Sanskrit
Upanishad Quotes Sanskrit – 1
- एतेषां लक्षणं वक्ष्ये शृणु गौतम सादरम् । सुस्निग्धमधुराहारश्चतुर्थांशविवर्जितः ॥
In Hindi Meaning: हे गौतम! अब तुम्हें इनका (मिताहार का ) लक्षण कहता हूँ. सादर (ध्यानपूर्वक) सुनो। सबसे पहले साधक को चाहिए कि वह स्निग्ध एवं मधुर भोजन (आधा पेट) करे, (उसका आधा भाग पानी) एवं चौथाई भाग (हवा के लिए) खाली रखे। इस तरह से शिव (कल्यान) के निमित्त भोजन करने को मिताहार कहते हैं। (प्राणजय के लिए प्रमुख) आसन दो कहे गये हैं—पहला है पद्मासन, दूसरा है वज्रासन ॥ - Upanishad Quotes Sanskrit – 2
हेतुद्वयं हि चित्तस्य वासना च समीरणः ।
तयोर्विनष्ट एकस्मिस्तद्वावपि विनश्यतः ॥
In Hindi Meaning: चित्त (की चंचलता) के दो कारण हैं, वासना अर्थात् पूर्वार्जित संस्कार एवं वायु अर्थात् प्राण; इन दोनों में से एक का भी निरोध हो जाने पर दोनों समाप्त (निरुद्ध) हो जाते हैं॥ - Upanishad Quotes in Hindi – 3
यदग्रे वेदशास्त्राणि तुलसीं तां नमाम्यहम्।
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि ‘पुण्यदे ॥
In Hindi Meaning: जिसके मूल में सभी देवता, सिद्ध, चारण, नाग एवं तीर्थ चारों तरफ से स्थित हैं तथा जिसके मध्य में ब्रह्म देवता निवास करते हैं। जिनके अग्रभाग में वेद शास्त्रों का निवास है। उन तुलसी को मैं नमस्कार करता हूँ। हे तुलसी ! तुम लक्ष्मी की सहेली, कल्याणप्रद, पापों का हरण करने वाली तथा पुण्यदात्री हो। ब्रह्म के आनन्द रूपी आँसुओं से उत्पन्न होने वाली तुलसी तुम वृन्दावन में निवास करने वाली हो । नारद के द्वारा स्तुत्य आपको नमस्कार है, नारायण भगवान् के मन को प्रिय लगने वाली आपको नमस्कार है । - Upanishad Quotes in Hindi – 4
कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेत् शतं समाः।
एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे ॥
In Hindi Meaning: इस संसार में कर्म करते हुए ही मनुष्य को सौ वर्ष जीने की इच्छा करनी चाहिये। हे मानव! तेरे लिए इस प्रकार का ही विधान है, इससे भिन्न किसी और प्रकार का नहीं है, इस प्रकार कर्म करते हुए ही जीने की इच्छा करने से मनुष्य में कर्म का लेप नहीं होता।
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- Upanishad Quotes in Hindi – 5
हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्य मुखम् अपिहितम् अस्ति।
पूषन् तत् सत्यधर्माय दृष्टये त्वम् अपावृणु ॥
In Hindi Meaning: सत्य का मुख चमकीले सुनहरे ढक्कन से ढका है; हे पोषक सूर्यदेव! सत्य के विधान की उपलब्धि के लिए, साक्षात् दर्शन के लिए तू वह ढक्कन अवश्य हटा दे। - Upanishad Quotes in Hindi – 6
शेवधिः अनित्यं इति अहं जानामि हि धृवम् हि तत् अधृवैः न हि प्राप्यते। ततः मया अनित्यैः द्रव्यैः नचिकेतः अग्निः चितः तेन नित्यं प्राप्तवान् अस्मि ॥
In Hindi Meaning: ”मैं धनकोष के विषय मे जानता हूँ कि वह अनित्य है; अनित्य (अध्रुव) पदार्थो से उस ‘तत्त्व’ की प्राप्ति नहीं होती जो नित्य (ध्रुव) है। इसलिए मैंने नचिकेता- अग्नि को संचित किया है तथा अनित्य पदार्थों की हवि देकर ‘नित्य’ तत्त्व को प्राप्त किया है।” - Upanishad Quotes in Hindi – 7
तत् एकम् अनेजत् मनसः जवीयः देवाः एनत् न आप्नुवन् यस्मात् पूर्वं अर्षत्। तत् तिष्ठत् धावतः अन्यान् अत्येति। तस्मिन् सति मातरिश्वा अपः दधाति ॥
In Hindi Meaning : वह अचल, अचलायमान एकमेव ब्रह्म मन से वेगवत्तर, अत्यधिक वेगवाला है। उस एकमेव तक देवता नहीं पहुँच पाते, क्योंकि वह सदैव उनसे आगे-आगे पहुँच जाता है पहुँचा होता है। वह ठहरा हुआ भी दौड़ते हुए दूसरों को पार कर आगे निकल जाता है। उस तत् में जीवन-शक्ति का स्वामी वायु जलधाराओं को स्थापित करता है। - Upanishad Quotes in Hindi – 8
तपः दमः कर्म इति तस्यै प्रतिष्ठा। वेदाः सर्वाङ्गानि सत्यम् आयतनम् ॥
In Hindi Meaning: तप, आत्म-विजय (दम) तथा कर्म इस अन्तरज्ञान के आधार (प्रतिष्ठा) हैं, ‘वेद’ इसके सब अंग हैं, सत्य इसका धाम है।
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उपनिषद कोट्स – Upanishad Quotes in Hindi Sanskrit
- Upnishad Quotes in Hindi – 9
यः विद्यां च अविद्यां च तत् उभयं सह वेद अविद्यया मृर्युं तीर्त्वा विद्यया अमृतम् अश्नुते ॥
In Hindi Meaning: जो तत् को इस रूप में जानता है कि वह एक साथ विद्या और अविद्या दोनों है, वह अविद्या से मृत्यु को पार कर विद्या से अमरता का आस्वादन करता है। - Upnishad Quotes in Hindi – 10
ईशा वास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्।
तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम् ॥
In Hindi Meaning: इस वैश्व गति में, इस अत्यन्त गतिशील समष्टि-जगत् में जो भी यह दृश्यमान गतिशील, वैयक्तिक जगत् है-यह सबका सब ईश्वर के आवास के लिए है। इस सबके त्याग द्वारा तुझे इसका उपभोग करना चाहिये; किसी भी दूसरे की धन-सम्पत्ति पर ललचाई दृष्टि मत डाल। - Upnishad Quotes in Hindi – 11
वायुरनिलममृतमथेदं भस्मांतं शरीरम्। ॐ क्रतो स्मर कृतं स्मर क्रतो स्मर कृतं स्मर ॥
In Hindi Meaning: वस्तुओं का प्राण, वायु, अमर जीवनतत्त्व है, परन्तु इस का अन्त है भस्म। ओ३म। हे दिव्य संकल्पशक्ति! स्मरण कर, जो किया था उसे स्मरण कर! हे दिव्य संकल्पशक्ति, स्मरण कर, किये हुए कर्म का स्मरण कर। - Upnishad Quotes in Hindi – 12
नाविरतो दुश्चरितान्नाशान्तो नासमाहितः।
नाशान्तमानसो वापि प्रज्ञानेनैनमाप्नुयात् ॥
In Hindi Meaning: ”जो दुष्कर्मों से विरत नहीं हुआ है, जो शान्त नहीं है, जो अपने में एकाग्र (समाहित) नहीं है अथवा जिसका मन शान्त नहीं है ऐसे किसी को भी यह ‘आत्मा’ प्रज्ञा द्वारा प्राप्त नहीं हो सकता। - उपनिषद कोट्स – Upanishad Quotes in Hindi Sanskrit