वीर रस के उदाहरण – Veer Ras Ke Udaharan :

वीर रस के उदाहरण – Veer Ras Ke Udaharan
वीर रस के उदाहरण - Veer Ras Ke Udaharan

वीर रस के उदाहरण – Veer Ras Ke Udaharan

  • साजि चतुरंग सैन अंग मैं उमंग धारि,
    सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है ।
    भूषन भनत नाद बिहद नगारन के,
    नदी नद मद गैबरन के रलत हैं ॥
  • बुन्देले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी
    खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी ।
  • वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।
    हाथ में ध्वज रहे बाल दल सजा रहे,
    ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं 
    वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो

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  • मैं सत्य कहता हूं, सके सुकुमार न मानो मुझे।

    यमराज से भी युद्व को, प्रस्तुत सदा मानो मुझे।।

  • वीर रस के उदाहरण – Veer Ras Ke Udaharan
  • ​यह भूमी है वीरों की

    देशभक्त और शहीदों की
    झुकते नहीं दबते नहीं
    पीछे कदम हटते नहीं
    यह भूमि है रणवीरों की​
    आए मुसीबत जो देश पर
    तब सब कुछ हम छोड़कर
    खुद को खुद से ही दूर कर
    बन जाते हैं हम ऐसे जलजले
    जिस की तपस में सब  जले ​
    सीने हैं अपने फौलादी से
    जीते हैं हम संग आजादी के
    दुश्मन की यह औकात कहाँ
    जो ​आँख उठे वह आँख कहाँ
    सीने कर ले छलनी  गोली से
    देश हमको जाति धर्म से ऊँचा है
    खून पसीने से इसको तो सींचा है
    बैर भाव कोई अपने मन में नहीं
    तूफानों से हम सब कम तो नहीं
    यह देश है उपवन बाग सरीखा है .
    सीने पर जब भी लागी गोली
    भारत माता बोले हम हमजोली
    मान  देश का न कभी झुकने दिया
    घास खाई फिर चाहे जहर पिया
    जय घोष हमारा सारी दुनियाँ बोली .
    यह ​बंदूकें  क्या  हमें  डराएंगी 
    शोले आँखों से हम छलकाते हैं
    रुक जाती है वायु भी बहना
    जब सीने चौंडे कर हम आते हैं
    यूँ ही नहीं दुनियाँ में हम
    हिंदवासी कहलाते हैं .

  • ​- ​राशि सिंह
  • ​मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
  • वीर रस के उदाहरण – Veer Ras Ke Udaharan
  • Veer Tum Badhe Chalo Poem – वीर तुम बढ़े चलो कविता

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