Vidur Niti Quotes in Hindi with meaning – विदुर नीति कोट्स इन हिंदी
विदुर नीति कोट्स इन हिंदी || Vidur Niti Quotes in Hindi with meaning
- विदुर धृतराष्ट्र और पाण्डु के भाई थे, लेकिन दासी पुत्र होने के कारण उन्हें शासन करने का अवसर नहीं मिला.
उन्होंने मंत्री पद सम्भालकर अपने राज्य की सेवा की. वे बहुत विद्वान थे. विदुर निति में महात्मा विदुर ने
धृतराष्ट्र को राज्य, जीवन आदि से सम्बन्धित कई महत्वपूर्ण ज्ञान की बातें बताई है. जो नीतिगत बातें हमेशा
हर किसी को जीवन में सही राह दिखाती रहेंगी. महात्मा विदुर के विचार आज भी लोगों को रास्ता दिखाते हैं,
ये विचार आज भी प्रासंगिक हैं. और आगे भी सभी को जीवन जीने की निति बताते रहेंगे. निति का अर्थ होता है,
ऐसे विचार जो लोगों को जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में सरल शब्दों में बताते हैं. और विदुर निति की सारी
बातें मर्यादा से बंधी हुई है. - सुखी जीवन के सूत्र : मित्रों से मेलजोल, ज्यादा धन कमाना, पुत्र का आलिंगन, मैथुन में प्रवृत्ति, सही समय पर
प्रिय वचन बोलना, अपने वर्ग के लोगों में उन्नति, अभीष्ट वस्तु की प्राप्ति और समाज में सम्मान. -
जरूरत पड़ने पर जानकर लोगों से शर्म किए बिना सलाह लेनी चाहिए.
- ऐसे लोग धर्म या निति नहीं जानते : नशे में धूत व्यक्ति, असावधान व्यक्ति, पागल, थका हुआ व्यक्ति,
जो बात-बात पर क्रोध करता हो, जो व्यक्ति भूखा हो, वह व्यक्ति जिसे जल्दबाजी की आदत हो,
लालची व्यक्ति, डरा हुआ व्यक्ति और कामी. - 6 प्रकार के मनुष्य हमेशा दुखी हीं रहते हैं: दूसरों से ईर्ष्या करने वाला, नफरत करने वाला, असंतोषी,
बात-बात पर क्रोध करने वाला, जिसे शक करने की आदत हो गई हो और दूसरों के सहारे जीवन निर्वाह करने वाला. - ये 6 सुख हैं : नीरोग रहना, किसी का कर्जदार न होना, परदेश में नहीं रहना,
अच्छे लोगों के साथ मेलजोल बनाये रखना, अपनी वृत्ति से जीविका चलाना और निडर होकर रहना. - ये 8 गुण ख्याति बढ़ाते हैं : बुद्धि, कुलीनता, इन्द्रियनिग्रह, शास्त्रज्ञान, पराक्रम, अधिक न बोलना,
शक्ति के अनुसार दान देना और कृतज्ञता.
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जरूरत न हो, तो कहीं रुकना नहीं चाहिए: Vidur Niti Quotes in Hindi
- Vidur Niti Quotes in Hindi: हमें आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए.
- बिना बुलाए किसी का यहाँ जाने वाला व्यक्ति सम्मान नहीं पाता है. इसलिए हमें बुलावा मिलने पर हीं जाना चाहिए.
- द्वाविमौ ग्रसते भूमिः सर्पो बिलशयानिव .
राजानं चाविरोद्धारं ब्राह्मणं चाप्रवासिनम् ॥
– बिल में रहने वाले जीवों को जैसे सांप खा जाता है, उसी तरह दुश्मन से डटकर मुकाबला
न करने वाले शासक और परदेश न जाने वाले ब्राह्मण – इन दोनों को पृथ्वी खा जाती है. - द्वे कर्मणी नरः कुर्वन्नस्मिँल्लोके विरोचते .
अब्रुवन्परुषं किं चिदसतो नार्थयंस्तथा ॥
– इन दो कर्मों को करनेवाला मनुष्य इस लोक में विशेष शोभा पाता है
1. बिल्कुल भी कठोर न बोलने वाला
2. बुरे लोगों का आदर नहीं करने वाला. -
आप सफलता की ऊँचाइयों पर टिके रहना चाहते हैं, तो मर्यादा कभी मत तोड़िए.
- द्वाविमौ पुरुषव्याघ्र परप्रत्यय कारिणौ .स्त्रियः कामित कामिन्यो लोकः पूजित पूजकः ॥
– 2 प्रकार के लोग दूसरों पर विश्वास करके चलते हैं, इनकी अपनी कोई इच्छाशक्ति नहीं होती है:
1. दूसरी स्त्री द्वारा चाहे गए पुरुष की कामना करने वाली स्त्रियाँ
2. दूसरों द्वारा पूजे गए व्यक्ति की पूजा करने वाले लोग - द्वाविमौ कण्टकौ तीक्ष्णौ शरीरपरिशोषणौ .
यश्चाधनः कामयते यश्च कुप्यत्यनीश्वरः ॥
महात्मा विदुर के अनुसार ये दो आदतें नुकीले कांटे की तरह शरीर को बेध देती है:
1. गरीब होकर भी कीमती वस्तुओं की इच्छा रखना
2. कमजोर होकर भी गुस्सा करना. - द्वाविमौ पुरुषौ राजन्स्वर्गस्य परि तिष्ठतः .
प्रभुश्च क्षमया युक्तो दरिद्रश्च प्रदानवान् ॥
– ये दो प्रकार के पुरुष स्वर्ग से भी ऊपर स्थान पाते हैं :
1. शक्तिशाली होने पर भी क्षमा करने वाला
2. गरीब होकर भी दान करने वाला.
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एक बार चरित्र का पतन होने के बाद व्यक्ति विश्वास करने लायक नहीं रह जाता है.
- न्यायागतस्य द्रव्यस्य बोद्धव्यौ द्वावतिक्रमौ .
अपात्रे प्रतिपत्तिश्च पात्रे चाप्रतिपादनम् ॥
– किसी भी तरह अर्जित किये गये धन के दो हीं दुरुपयोग हो सकते हैं :
1. अपात्र को दिया जाना,
2. सत्पात्र को न दिया जाना - द्वाविमौ पुरुषव्याघ्र सुर्यमण्डलभेदिनौ .
परिव्राड्योगयुक्तश्च रणे चाभिमुखो हतः ॥
– ये दो प्रकार के पुरुष सूर्यमंडल को भी भेद कर सर्वोच्च गति को प्राप्त करते हैं :
1. योगयुक्त सन्यासी
2. वीरगति को प्राप्त योद्धा. - विदुर निति के अनुसार : 1 (यानि बुद्धि) से 2 (यानि कर्त्तव्य और अकर्तव्य) का निश्चय करके 4
(यानि साम,दाम,दंड और भेद) से 3 (यानी मित्र, शत्रु और उदासीन ) को वश में कीजिये,
5 इन्द्रियों को जीतकर 6 (यानि संधि, विग्रह ,यान ,आसन ,द्वैधीभाव, समश्रयरूप) गुणों को जानकार
तथा 7 (यानि स्त्री, जुआ, शिकार, मद्य, कठोर वचन,दंड की कठोरता और अन्याय से धन का उपार्जन)
को छोड़ कर सुखी हो जाईये. -
जो व्यक्ति नीतिगत जीवन नहीं जीता है, उस व्यक्ति का जीवन बेकार है.
- द्वावेव न विराजेते विपरीतेन कर्मणा.
गृहस्थश्च निरारम्भः कार्यवांश्चैव भिक्षुकः
– जो अपने स्वभाव के विपरीत कार्य करते हैं वह कभी नहीं शोभा पाते. गृहस्थ होकर अकर्मण्यता और
सन्यासी होते हुए विषयासक्ति का प्रदर्शन करना ठीक नहीं है. - राजा को निम्न सात दोषों को त्याग देना चाहिये- स्त्रीविषयक आसक्ति, जुआ, शिकार, मद्यपान,
वचन की कठोरता, अत्यन्त कठोर दंड देना और धन का दुरुपयोग करना. - जो किसी दुर्बल का अपमान नहीं करता, सदा सावधान रहकर शत्रु से बुद्धि पूर्वक व्यवहार करता है,
बलवानों के साथ युद्ध पसंद नहीं करता तथा समय आने पर पराक्रम दिखाता है, वही धीर है. - वह व्यक्ति जो दान, होम, देवपूजन, मांगलिक कार्य, प्रायश्चित तथा अनेक प्रकार के लौकिक आचार-
इन कार्यो को नित्य करता है, देवगण उसके अभ्युदय की सिद्धि करते हैं.
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जो व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं है उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए.
- जो अपने बराबर वालों के साथ विवाह, मित्रता, व्यवहार तथा बातचीत रखता है, हीन पुरूषों के साथ नहीं,
और गुणों में बढे़ पुरूषों को सदा आगे रखता है, उस विद्धान की नीति श्रेष्ठ है ऐसा विदुर कहते हैं. - ऐसे पुरूषों को अनर्थ दूर से ही छोड़ देते हैं- जो अपने आश्रित जनों को बांटकर खाता है,
बहुत अधिक काम करके भी थोड़ा सोता है तथा मांगने पर जो मित्र नहीं है, उसे भी धन देता है. - जो धातु बिना गर्म किये मुड जाती है, उसे आग में नहीं तपाते. जो काठ स्वयं झुका होता है, उसे कोई
झुकाने का प्रयत्न नहीं करता, अतः बुद्धिमान पुरुष को अधिक बलवान के सामने झुक जाना चाहिये. - सत्य से धर्म की रक्षा होती है, योग से विद्या सुरक्षित होती है, सफाई से सुन्दर रूप की रक्षा होती है और
सदाचार से कुल की रक्षा होती है, तोलने से अनाज की रक्षा होती है, हाथ फेरने से घोड़े सुरक्षित रहते हैं,
बारम्बार देखभाल करने से गौओं की तथा मैले वस्त्रों से स्त्रियों की रक्षा होती है, ऐसा विदुर निति का विचार है.
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बुद्धिमान के लक्षण:
- अच्छे कर्म करना और बुरे कर्म से बचते रहना, भगवान पर भरोसा और श्रद्धा रखना.
- गुस्सा, ख़ुशी, गर्व, शर्म, उद्दंडता, और खुद को पूज्य समझना – ये भाव जिस व्यक्ति को पुरुषार्थ के मार्ग /सत्मार्ग
से नहीं भटका सकते. - जिस व्यक्ति के कर्त्तव्य, सलाह और पहले से लिए गए निर्णय को केवल काम संपन्न होने पर ही दूसरे लोग जान पाते हैं.
- जिस व्यक्ति के कर्म में न तो सर्दी और न तो गर्मी, न तो भय और न तो अनुराग, न तो संपत्ति और न हीं गरीबी विघ्न डाल पाते हैं.
- बुद्धिमान पुरुष शक्ति के अनुसार काम करने के इच्छा रखते हैं और उसे पूरा भी करते हैं और किसी चीज को छोटा समझकर
उसकी अवहेलना नहीं करते हैं. - जिस व्यक्ति का निर्णय और बुद्धि धर्म का अनुसरण करती है और जो भोग-विलास का त्यागकर पुरुषार्थ को चुनता है.
- जो व्यक्ति किसी विषय को जल्दी समझ लेते हैं, उस विषय के बारे में धैर्य से सुनते हैं, और अपने कामों को कामना
से नहीं बल्कि बुद्धिमानी से संपन्न करते हैं, और किसी के बारे में बिना पूछे बेकार की बात नहीं करते हैं. - बुद्धिमान और ज्ञानी लोग दुर्लभ वस्तुओं की कामना नहीं रखते, और न हीं खोई हुई वस्तु के विषय में दुखी होना
चाहते हैं और मुश्किल समय में भी परेशान नहीं होते हैं.
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अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान, परिश्रम, कष्ट सहने की शक्ति और धर्म में स्थिरता.
- जो व्यक्ति निश्चय करके कार्ययोजना बनाकर काम को शुरू करता है और काम के बीच में कभी नहीं रुकता और
समय को नहीं गँवाता और अपने मन को नियन्त्रण में किये रखता है. - ज्ञानी व्यक्ति हमेशा अच्छे कर्मों में रूचि रखते हैं, और उन्नति के लिए कार्य करते हैं और प्रयासरत रहते हैं.
तथा भलाई करनेवालों में अवगुण नहीं निकालते हैं, ऐसा विदुर निति का विचार है. - जो आदर-सम्मान होने पर भी घमंड नहीं करता और अपमान होने पर भी दुखी व विचलित नहीं होता तथा
गंगाजी के कुण्ड के समान जिसके मन को कोई दुख नहीं होता. - वह व्यक्ति जो प्रकृति के सभी पदार्थों का वास्तविक ज्ञान रखता है, सब कार्यों के करने का उचित तरीका जानता है
और मनुष्यों में सर्वश्रेष्ठ उपायों का जानकार है. - जो निर्भीक होकर बात करता है, कई विषयों पर अच्छे से बात कर सकता है, तर्क-वितर्क में कुशल है, प्रतिभाशाली है
और शास्त्रों में लिखे गए बातों को शीघ्रता से समझ सकता है. - जिस व्यक्ति की विद्या उसके बुद्धि का अनुसरण करती है और बुद्धि उसके ज्ञान का तथा जो भद्र पुरुषों की मर्यादा
का उल्लंघन नहीं करता.
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मूर्ख के लक्षण: Vidur Niti Quotes in Hindi
- ऐसे लोग ज्ञानहीन होने के बावजूद धमंड में डूबे रहते हैं, गरीब होकर भी ऐसे-ऐसे सपने देखते हैं जिनका पूरा होना
कभी सम्भव नहीं है, और बिना मेहनत के ही अमीर बनने की चाह रखने वाले लोग मूर्ख हैं. - जो अपने कामों को करना छोड़कर, दूसरों के कर्तव्यों का पालन करने में व्यस्त रहता है और अपने बुरे मित्रों के साथ
बुरे कर्मों में लगा रहता है. - वह व्यक्ति जो ऐसे वस्तुओं की कामना करता है, जो उसके लिए नुकसानदायक होते हैं, और जिन वस्तुओं को
पसंद करना चाहिए, उनके प्रति उदासीन रहता है, और खुद से ताकतवर व्यक्तियों से दुश्मनी मोल लेता है. - जो दुश्मन को दोस्त बनाता है, और दोस्त से ईर्ष्या करता है और हमेशा बुरे काम हीं करता है.
- ऐसा व्यक्ति जो अपने कामों के राज दूसरों को बता देता है, और जहाँ शक करने की जरूरत न हो वहाँ भी शक करता है.
और जिन कामों में कम समय लेना चाहिए उन्हें करने में बहुत ज्यादा समय लगाता है.
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जो अपने पितरों का श्राद्ध नहीं करता है और न हीं भगवान की पूजा करता है,
और न ही भले लोगों से दोस्ती करता है. - वह व्यक्ति जो बिन बुलाये हीं किसी जगह पर पहुँच जाता है और बिना पूछे ही बोलता है तथा अविश्वसनीय लोगों पर भी
विश्वास करता है. - जो खुद गलती करके भी इल्जाम दूसरे लोगों को देता है, और कमजोर होते हुए भी क्रोधित हो जाता है.
- ऐसा व्यक्ति जो अपनी ताकतों और क्षमताओं को न पहचानते हुए भी धर्म और लाभ के विपरीत जाकर न पा सकने वाली
वस्तु की कामना करता है. - जो किसी को भी बिना कारण के ही सजा देता है और अज्ञानियों के श्रद्धावान रहता है तथा कंजूसों का आश्रय लेता है.
- जब ये 4 बातें होती हैं तो व्यक्ति परेशान हो जाता है :
1. किसी व्यक्ति में काम की भावना जाग जाने पर.
2. खुद से अधिक बलवान व्यक्ति से दुश्मनी हो जाने पर.
3. यदि किसी से सब कुछ छीन लिया जाए.
4. किसी को चोरी की आदत पड़ जाए.
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