Sukti in Hindi Font – 50 सर्वश्रेष्ठ सूक्तियाँ
Sukti in Hindi Font – 50 सर्वश्रेष्ठ सूक्तियाँ
- निरोगी रहना, किसी का कर्जदार न होना, अच्छे लोगों से मेल रखना, अपनी वृत्ति से जीविका चलाना और निभर्य होकर रहना- ये मनुष्य के सुख हैं. – वेदव्यास
- जो व्यक्ति अपना पक्ष छोड़कर दूसरे पक्ष से मिल जाता है, वह अपने पक्ष के नष्ट हो जाने पर स्वयं भी दूसरे पक्ष द्वारा नष्ट कर दिया जाता है. – वाल्मीकि
- हम संसार को ग़लत पढ़ते हैं और कहते हैं कि वह हमें धोखा देता है. – रवीन्द्रनाथ ठाकुर
- जो गुणज्ञ न हो, उसके सामने गुण नष्ट हो जाता है और कृतघ्न के साथ की गई उदारता नष्ट हो जाती है. – अज्ञात
- पूर्णतया निंदित या पूर्णतया प्रशंसित पुरुष न था, न होगा, न आजकल है. – धम्मपद
- प्रत्येक व्यक्ति सब बातों में निपुण नहीं हो सकता, प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट उत्कृष्टता होती है. – यूरोपिटीज़.
- वीर कभी बड़े मौकों का इंतज़ार नहीं करते, छोटे मौकों को ही बड़ा बना देते हैं. – सरदार पूर्णसिंह.
- धीरज होने से दरिद्रता भी शोभा देती है, धुले हुए होने से जीर्ण वस्त्र भी अच्छे लगते हैं. – चाणक्यनीति
- समय आए बिना वज्रपात होने पर भी मृत्यु नहीं होती और समय आ जाने पर पुष्प भी प्राणी के प्राण ले लेता है. – कल्हण.
- प्राप्त हुए धन का उपयोग करने में दो भूलें हुआ करती हैं, जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए. अपात्र को धन देना और सुपात्र को धन न देना. – वेद व्यास
- संयम का अर्थ घुट-घुटकर जीना नहीं है, स्वस्थ पवन की तरह बहना है. – रांगेय राघव
- सुदिन सबके लिए आते हैं, किंतु टिकते उसी के पास हैं जो उनको पहचान कर आदर देता है. ~ अज्ञात
- अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाड़ता है और आदमी है कि सर्वत्र उससे लोहा लेने के लिए कमर कसे रहता है. ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
- समृद्धि व्यक्तित्व की देन है, भाग्य की नहीं. ~ चाणक्य
- घाव पर बार-बार चोट लगती है, अन्न की कमी होने पर भूख बढ़ जाती है, विपत्ति में बैर बढ़ जाते हैं- विपत्तियों में अनर्थ बहुलता होती है. ~ अज्ञात
- अगर आप किसी काम में खुद को दक्ष नहीं बनायेंगे, तो आपके लिए धन कमाना बहुत मुश्किल होगा.
- अहंकार, क्रोध, प्रमाद, रोग और आलस्य- ये पांच कारण शिक्षा पाने के रास्ते में रुकावट पैदा करते हैं.
- अगर हम सीख्नना चाहें, तो हर एक भूल हमें बड़े सबक सीखा सकती है.
- गरीबी के मुख्यतः दो कारण होते हैं, आलस्य करना, 2. किसी क्षेत्र का विशेषज्ञ न बनना.
- आपदा हमें आगे बढ़ने के लिए नये रास्ते बताती है. आपदा को सकारात्मक रूप से लिया जाये, तो यह आपको हमेशा पहले से बेहतर बना देगी.
- आप बड़ी से बड़ी असफलता से बाहर निकल सकते हैं, बशर्ते आप अपनी प्रेरणा और उम्मीद को थामें रहें.
- किस भी व्यक्ति की योग्यता का आकलन इस बात से होता है कि आप जीवन की परिस्थितियों का सामना कैसे करते हैं.
- शिक्षा पद्धति किसी भी देश का भविष्य तय करती है.
- अनुभव पाने के लिए महंगी कीमत चुकानी होती है, लेकिन अनुभव से आप ज्ञान की उन बातों को सीख सकते हैं. जो ज्ञान की बातें न तो किसी विद्यालय न तो किसी विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती है.
- मातृभाषा का उपयोग करने वाले देश दूसरे देशों से बहुत आगे निकल जाते हैं.
- सच्ची शिक्षा व्यक्ति को जीविकोपार्जन करने में सक्षम बना देती है.
- सीखे गए को भूल जाने पर जो कुछ बच रहता है, वही शिक्षा है.
- हम उन लोगों से भी सीख सकते हैं, जिन लोगों से हम खुद को श्रेष्ठ समझते हैं.
- बुद्धिमान मनुष्य का एक दिन मूर्ख के जीवन भर के बराबर होता है. – एक कहावत
- जो व्यक्ति श्रम नहीं करता, देवता भी उसका भला नहीं कर सकते हैं.
- श्रम और पूंजी दोनों मिलकर आश्चर्यजनक काम कर सकते हैं.
- कभी-कभी समय के फेर से मित्र शत्रु बन जाता है और शत्रु भी मित्र हो जाता है, क्योंकि स्वार्थ बड़ा बलवान है. ~ वेदव्यास
- दुनिया बड़ी भुलक्कड़ है. केवल उतना ही याद रखती है जितने से उसका स्वार्थ सधता है. बाकी को फेंक कर आगे बढ़ जाती है. ~ हजारीप्रसाद द्विवेदी
- जिसने कभी कोई शत्रु नहीं बनाया, उसका कोई मित्र भी नहीं बनता है. ~ टेनिसन
- माता के समान सुख देने वाली कौन है? उत्तम विद्या. देने से क्या बढ़ती है? उत्तम विद्या. ~ शंकराचार्य
- हमारे यथार्थ शत्रु तीन हैं-दरिद्रता, रोग और मूर्खता. वे वीर धन्य हैं जो इन तीनो के विरुद्ध युद्ध छेड़ते हैं. वे मानवता के यथार्थ के उपासक और हमारे सच्चे सेनानायक हैं. ~ रामवृक्ष बेनीपुरी
- आपके पास पचास मित्र हैं, यह अधिक नहीं है. आपके पास एक शत्रु है, यह बहुत अधिक है. ~ एक कह ावत
- कांच का कटोरा, नेत्रों का जल, मोती और मन, ये एक बार टूटने पर पहले जैसे नहीं रह जाते. अत: सावधानी बरतनी चाहिए. ~ लोकोक्ति
- यदि तुम भूलों को रोकने के लिए द्वार बंद कर दोगे तो सत्य भी बाहर रह जाएगा. ~ रवींद्रनाथ ठाकुर
- मनुष्य जितना चाहता है, उतनी ही उसकी प्राप्त करने की शक्ति बढ़ती जाती है. अभाव पर विजय पाना ही जीवन की सफलता है. उसे स्वीकार करके उसकी ग़ुलामी करना ही कायरपन है. ~ शरतचंद्र
- मनुष्य इस संसार में अकेला ही जन्मता है और अकेला ही मर जाता है. एक धर्म ही उसके साथ-साथ चलता है, न तो मित्र चलते हैं और न बांधव. कार्यों में सफलता, सौभाग्य और सौंदर्य सब कुछ धर्म से ही प्राप्त होते हैं. ~ मत्स्य पुराण
- प्रशंसा कीजिए जब हम दौड़ें, सांत्वना दीजिए जब हम गिरें, प्रोत्साहित कीजिए जब हमारा पुनरुत्थान हो, किंतु भगवान के लिए हमें बढ़ने दीजिए. ~ एडमंड बर्क
- यदि तुम सूर्य के खो जाने पर आंसू बहाओगे, तो तारों को भी खो बैठोगे. ~ रवींद्रनाथ टैगोर
- कार्य उसी का सिद्ध होता है जो समय को विचार कर कार्य करता है. वह खिलाड़ी कभी नहीं हारता जो दांव पर विचार कर खेलता है. ~ वृंद
- हितकारी और मनोरम बात दुर्लभ होती है. ~ भारवि
- बिना प्रेम किए मर जाने से ज़्यादा दुखद कुछ कोई और नहीं हो सकता. लेकिन इससे भी ज़्यादा तकलीफ की बात यह है कि जिसे आप प्रेम करते हों, उसे बिना यह बताए ही दुनिया से विदा हो जाएं, कि आप उससे प्रेम करते थे. ~ अज्ञात
- यदि किसी को दूध नहीं दे सकते, तो मत दो. मगर छाछ देने में क्या हर्ज़ है? यदि किसी भूखे को अन्न देने में समर्थ नहीं हो तो कोई बात नहीं, पर प्यासे को पानी तो पिला सकते हो. ~ तुकाराम
- पति होने की तुलना में प्रेमी होना कहीं आसान है. इसकी सीधी सी वजह यह है कि हर दिन अक्लमंदी की बात कहना समय-समय पर कुछ प्यारी-प्यारी बातें कहते रहने की तुलना में कहीं ज़्यादा मुश्किल होता है. ~ बाल्जाक
- पुस्तकें जागृत देवता हैं, उनकी सेवा कर के तत्काल वरदान पाया जा सकता है. ~ रामनरेश त्रिपाठी
- जिसने अपने आप को वश मे कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार मे नहीं बदल सकते. ~ महात्मा बुद्ध
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